तीन संतान वालों के लिए बजी खतरे की घंटी, इसके चलते छीन गई महिला शिक्षिका की सरकारी नौकरी- यह बात छुपाकर नौकरी करने वालों में मचा हड़कंप..............
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन,सह-संपादक। प्रदेश के छतरपुर जिले में एक महिला शिक्षक को तीन बच्चों की मां होना उन्हें बहुत भारी पड़ गया। स्कूल शिक्षा विभाग ने उसे नौकरी से हटा दिया है। महिला शिक्षक शासकीय स्कूल धमौरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थी। किसी ने तीन साल पहले उनकी शिकायत की थी कि मैडम की तीन संतान हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार वे तीसरी संतान की बात को छिपाकर नौकरी का लाभ ले रही थी। शिकायत के बाद,दो वर्ष पहले 2023 में मैडम को आरोप पत्र जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था। आरोप पत्र के बाद वे स्पष्ट नहीं कर पायी की,उनकी तीन संतान नहीं है और उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है। ज्ञात हो कि इसके बाद विभागीय जांच शुरू हुई। जांच में ये बात सामने आई कि रंजीता साहू ने 2001 के बाद तीसरी संतान के जन्म का तथ्य छिपाया था। जिसके चलते संयुक्त संचालक सागर ने अभी हाल ही में गत 21 मार्च 2025 को बाकायदा आदेश जारी कर इनकी सेवा समाप्त कर दी हैं। आपको बता दे कि ऐसे मामलों को लेकर लगातार शिकायतें कई विभागों में लंबित भी हैं। अब उपरोक्त शिक्षकों की नौकरी चली जाने से ,ऐसे तमाम सभी कर्मचारी तनाव में आ गए हैं।
क्या है सरकारी नियम..........?
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी सेवक,जिसकी तीसरा संतान 26 जनवरी 2001 के बाद जन्म लेती है तो वे सरकारी नौकरी के लिए अपात्र घोषित कर दिए जाएंगे साथ ही वे सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य भी घोषित हो जाएंगे। उपरोक्त नियम के तहत ही रंजीता साहू की नौकरी छीन ली गयी है । सूत्रों से प्राप्त जानकारी भिंड जिले के सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी विषय के शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा की नियुक्ति हुई थी। जब सरकार को पता चला कि उनकी तीसरी संतान भी है, तो उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई। गणेश प्रसाद शर्मा की भर्ती माध्यमिक शिक्षक वर्ग-2 के लिए हुई थी।
दिग्विजय सरकार में बने नियम पर,अब बीजेपी सरकार में हो रही कार्रवाई.....
उल्लेखनीय है कि सरकारी सेवक की तीसरी संतान होने पर उन्हें अयोग्य घोषित किए जाने का नियम 2001 में कांग्रेस शासनकाल अर्थात दिग्विजय सिंह की सरकार में बना था। तब से लेकर अब तक कई सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां जा भी चुकी हैं। प्रदेश में जून 2023 में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जिसमें रहमत बानो मंसूरी को तीसरी संतान होने पर 7 जून 2023 को उन्हें पद से हटा दिया था। उन्हें हटाने के पीछे मध्यप्रदेश सिविल सेवा 1961 नियम छह का उल्लंघन होना पाया गया था। रहमत बानो की शिकायत मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस ने 2020 में की थी। इसके बाद रहमत बानो मंसूरी हाईकोर्ट पहुंची थी। उन्होंने अपने ब्लॉक के 34 शिक्षकों की सूची भी लगाई, जिनके 3 या उससे अधिक बच्चे हैं,वह भी इस नियम के तहत आते हैं। यह मामला भी स्कूल शिक्षा विभाग का है, लेकिन अन्य विभागों के अनेक कर्मचारी और अधिकारी भी इस नियम की हद में आते हैं। बताया जा रहा है कि रहमत बानो प्रकरण के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में ही एक हजार से ज्यादा मामले ऐसे हैं,देखना होगा कि उनके खिलाफ शासन आगे क्या कार्रवाई करता है....?
क्या अन्य विभागों में शिकायतों पर होगी कार्यवाही या नियम में होगा संशोधन....?
हालांकि मध्यप्रदेश में 20 साल से अधिक समय से बीजेपी की सरकार है,लेकिन उसने इस नियम में किसी तरह का संशोधन भी नहीं किया है। मजेदार बात तो यह है कि यह नियम अब तक कायम भी है,जबकि बीजेपी सनातन धर्म के समर्थन में पुरजोर से डंका बजाती चली आ रही है। इसके चलते यह सवाल खड़े होना तो लाजमी है कि 20 वर्षो से बीजेपी शासित मध्यप्रदेश सरकार आखिर इस नियम में संशोधन करने का प्रयास क्यों नहीं कर रही है....?क्या अब अन्य विभागों में शिकायतों पर कार्यवाही होगी या नियम में संशोधन किया जाएगा.....? गौरतलब है कि बड़े-बड़े सनातन धर्म के प्रचारक और संत आये दिन अपने मंचों से तीन-चार संताने पैदा करने की लगातार अपील भी कर रहे हैं। प्रदेश सरकार प्रदेश के सरकारी और गैर सरकारी विभाग जिनमें 2001 के बाद तीन बच्चे वाले नौकरी कर रहे उनमें कुछ की शिकायत हुई और कुछ की नहीं .....क्या सरकार आदेश जारी कर समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जानकारी एकत्रित करके तीन संतान होने पर सेवा समाप्ति की कार्यवाही करेगी या फिर नियमों में संशोधन करेगी.....?
विधानसभा भी पहुंचा था मामला,तर्क भी रोचक........
एक साल पहले मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में 955 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था,जिनके तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं। इस कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था। यह मामला सुर्खियों में आ गया था,जब विधानसभा में तीन या तीन से अधिक संतान वाले कर्मचारियों के बारे में प्रश्न पूछा गया था। इन सभी से जवाब मांगा गया था। इनमें से 156 शिक्षकों ने जवाब दिया था, इनमें से कई कर्मचारियों ने नौकरी बचाने के लिए तीसरी संतान को गोद देने जैसे दावे भी किए थे। किसी ने लिखा था कि ऑपरेशन फेल हो गया था।
बैठे है 30 से 45 साल तक के कई लड़के कुंवारे.....
आकड़ो नुसार जानकारी निकल कर आयी है कि कई समाज में लड़कियों की कमी होने से विवाह योग्य लड़कों के लिए लड़कियां नहीं मिल पा रही हैए इसके चलते 30 से 45 साल तक के उम्र लड़के कुंवारे बैठे हुए है वही दूसरी ओर कुछ ने तो अंतर्जातीय विवाह भी कर लिया है।ऐसे में अब अधिक संतान पैदा करने की बात भी होने लगी है।