सरकार को लग रहा प्रतिवर्ष करोड़ो का चूना-क्या जिम्मेदार जान कर भी बैठे है बेखबर....?-बड़ी आसानी से हो सकता है,प्रदेश का आज तक का सबसे बड़े घोटाले का खुलासा
अब तक तो बेख़ौफ़ अवैध लायसेंस पर चल रहे थे मल्टीप्लेक्स, नियम १९८३ वीडियो के लाइसेंस से-वर्तमान में तो जिले सहित प्रदेश में चल रहे लगभग सभी मल्टीप्लेक्स के लायसेंस भी एक्सपायर हुए तीन माह से अधिक हो गए है-प्रदेश के वर्तमान यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.यादव को इस ओर ध्यान देने की है बेहद दरकार
अब अवैध लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए अपनी-अपनी सेटिंग जमाने में लगे हुए है सिनेमा माफिया
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। फ़िल्म को प्रदर्शन के लिए सिनेमा एक्ट १९५२ ही मूल एक्ट है। जिसमे मध्य प्रदेश सिनेमा विनियमन नियम १९७२ बना था,जो सिर्फ और सिर्फ सिंगल स्क्रीन सिनेमा पर ही लागू होता है। सिंगल स्क्रीन सिनेमा में एक सीट से लेकर हजार सीट हो सकती है। वैसे ही विज्ञापन के लिए १९६० नियम बना हुआ है। केबल टेलीविजन के लिए १९९४/९५/९९ नियम बनाया गया है। मल्टीप्लेक्स दो या दो से अधिक स्क्रीन सिनेमा के लिए नियम २००६ बनाया गया है। जिसकी अधिसूचना क्रमांक एफ /३/४३/२००५ दिनांक ८ नवम्बर २००६ मध्यप्रदेश ग्राम निवेश अधिनियम १९७३ के साथ बना और एमपी सिनेमा एक्सिबिशन ऑफ़ फिल्मस बाय वीडियो नियम १९८३ बनाया गया है।
लगभग पूरे प्रदेश में उल्लंघन-बड़ी आसानी से हो सकता है,प्रदेश का आज तक का,सबसे बड़े घोटाले का खुलासा
मजेदार बात तो यह है कि पूरे मध्यप्रदेश में अधिकतर सिनेमा नियम १९८३ वीडियो का लायसेंस प्राप्त कर मल्टी प्लेक्स सिनेमा अवैध रूप संचालित कर रहे थे,जो भूमि विकास अधिनियम व नगर तथा ग्राम निवेश की धारा का खुले आम उल्लंघन तथा नियम विरुद्ध भी है। उलेखनीय है कि जिनका अवैध लायसेंस भी ३१ मार्च २०२५ में खत्म हो चुका है। अब दोबारा ऐसे सिनेमा माफिया अपनी-अपनी सेटिंग जमाने में लगे हुए है। मल्टीप्लेक्स सिनेमा माफिया सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ो का चुना बेख़ौफ़ लगा भी रहे है और वही दूसरी ओर जिम्मेदार विभागों के अधिकारी,यह सब जानकर भी बेखबर होकर हाथ पर हाथ धरे क्यो बैठे है.....? यह तो वे ही जानते है। हम दावे के साथ कहते है कि यदि सरकार और जिम्मेदार अधिकारी,इसकी तह तक पहुचने के लिए यदि पूरी ईमानदारी और सच्ची निष्ठा से कमान अपने हाथों में लेकर,मात्र प्रदेश के मल्टीप्लेक्स एवं सिंगल स्क्रीन सिनेमा के लाइसेंसो को बिना कोई भारी भरकम श्रम किये सिर्फ अपने वातानुकूलित कक्ष में बैठकर ऑनलाइन ही देख लेवे,तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा। वे यदि ऐसा करते है तो शायद प्रदेश का आज तक के सबसे बड़ा घोटाले का खुलासा बड़ी आसानी से हो सकता है,ऐसा हमारा मानना है।
प्रदेश के वर्तमान यशस्वी मुख्यमंत्री से ही है आमजन को आस-हादसा होने पर किसकी रहेगी जिम्मेदारी
प्रदेश के वर्तमान यशस्वी मुख्यमंत्री जिन्हें अब तक जीरो टॉलरेंस वाले मुख्यमंत्री के रूप में देखा गया है। उनके कार्यकाल में अब तक देखा भी गया है कि वे हर अनियमितता पर त्वरित कार्यवाही करते चले आ रहे है। आपको बता दे कि उच्च न्यायालय जबलपुर ने २८ फरवरी २०१८ को स्पष्ट रूप से आदेश भी जारी किया था कि मल्टीप्लेक्स के लिए नियम २००६ के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य है। जिसमे ऐसे मल्टीप्लेक्स और सिंगल सिनेमा के लाइसेंस विडिओ नियम १९८३ के तहत रिन्यूअल नहीं किये जा सकत है। लेकिन अब तक प्रदेश के अधिकतर सिनेमा नियम १९८३ वीडियो लाइसेंस पर मल्टीप्लेक्स को संचालित कर रहे थे,जो साफ तौर से अदालत की अवमानना की श्रेणी में आता है। मजेदार बात तो यह है कि अब दोबारा सभी सिनेमा माफिया २०२५ में ऐसे ही फर्जी लाइसेंस को विडिओ नियम १९८३ के तहत रिन्यू कराने के लिए अपनी-अपनी सेटिंग जमाने में लग भी चुके है। बिना वैध लाइसेंस के सिनेमा हादसा होने पर किसकी रहेगी जिम्मेदारी.....? उल्लेखनीय है कि न्यायालय के आदेश का परिपालन और जिम्मेदार लिप्त तमाम अधिकारियों को तलब करना मुख्यमंत्री का परम कर्तव्य भी है।
सभी जिम्मेदारों को भेजना होगा कृष्ण गृह-मल्टीप्लेक्स चल रहे थे,भांग के ठेके पर विदेशी शराब के ठेके की तरह
सरकार के जीरो टॉलरेंस की व्याख्या तो उसके लोग ही बता सकते है। इसका मत लोगों को ऐसे पता है कि* न खाऊंगा और न खाने दूंगा*। जब इस बारे में हमने लोगों से चर्चा कर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो अधिकतर लोगों ने रोष पूर्वक कहा कि पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार बुरी तरह से फैला हुआ है। सरकार यदि पूर्व अधिकारियों के इस घोटाले का भांडा फोड़ कर देती है,तो आमजन के हर कार्य सरकार पक्का बिना कोई शुल्क लिए करने में सक्षम हो जाएगी। कुछ लोगो ने कहा कि संलिप्त जिम्मेदार विभागों के अधिकारी और मल्टीप्लेक्स सिनेमा माफिया को तो तुरंत उठाकर ३ वर्ष के लिये कृष्ण गृह में डाल देना चाहिए,वह भी बिना जमानत की धारा लगाकर। कुछ लोगो ने तंज कसते हुए कहा कि ये मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमा भांग के ठेके पर शराब के ठेके संचालित करने जैसा तो नहीं है। आबकारी विभाग ही तो इनका अनुमोदन करके कलेक्टर से लाइसेंस जारी जो करवाते है।
आबकारी विभाग की सहभागिता संदेह के दायरे में
आपकी बता दे कि प्रदेश में अब तक लगभग सारे सिनेमा के लाइसेंस आबकारी विभाग की अनुशंसा के बाद ही कलेक्टर द्वारा जारी किए गए है। गौरतलब है कि सबसे अधिक राजस्व अर्जित करने वाले विभाग को,इतने बडे राजस्व के हो रहे नुकसान,की ओर ध्यान कैसे नहीं गया...? जो सम्पूर्ण रूप से समझ से परे है। आबकारी विभाग की सहभागिता संदेह के दायरे में तो है। जब हमारी टीम इस गोलमाल की तह तक पहुँची तो उपरोक्त बड़ा घोटाला हो रहा है,यह तो साफ प्रतीत हो रहा है । अब देखना यह है कि प्रदेश के वर्तमान यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जिन्हें जीरो टॉलरेंस और त्वरित निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता,वे अब आगे कितनी जल्दी कार्रवाई कर पाते है.....?
अब आबकारी विभाग के बदले नगर निगम,पालिका और परिषद जारी करेंगे लाइसेंस
मजेदार बात तो यह है कि नगर पालिका के पास पूर्व में आबकारी विभाग द्वारा जारी समस्त लाइसेंस की कोई भी जानकारी ही नहीं है और तो और लाइसेंस का नवीनीकरण करने हेतु क्या प्रक्रिया करनी है....? इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है सभी फर्जी और नियमानुसार बने लाइसेंस की मियाद ३१ मार्च २५ को खत्म हो गयी है। पिछले साढ़े तीन माह से जिले सहित प्रदेश में अधिकतर सिनेमा बिना वैध लायसेंस के संचालित हो रहे है। बेचारे वैध लायसेंसधारी कुछ सिनेमा मालिको ने तो अपने सिनेमा ३१ मार्च २५ से पूर्णत: बंद रखे है,लेकिन अवैध लायसेंस धारी सिनेमा मालिक बेख़ौफ एक्सपायर फर्जी लायसेंस से सिनेमा को सतत चला रहे है। हमने पूर्व में भी इसी समाचार पत्र में ४ दिसंबर २०२४ को इस अक्षम्य अपराध के बारे में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर प्रशासन को आगाह भी कर दिया था,वो तो शुक्र है कि अब तक कोई हादसा नही हुआ है। ऐसे में कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी रहेगी...?जो एक बेहद चिंतनीय विषय है। प्रशासन को सभी सिनेमा मालिको से लायसेंस तत्काल तलब करवाने चाहिए,जिससे सारी अनियमितता बड़ी आसानी से सामने आ जायेगी,ऐसा हमारा मानना है।
मल्टीप्लेक्स सिनेमा परिसर में (नियम २००६) के तहत अनुज्ञेय गतिविधिया
दो या अधिक सिनेमा हॉल की एकीकृत न्यूनतम क्षमता १००० सीट की होनी चाहिए। जिन प्रकरणों में वाणिज्यिक कर विभाग से छूट चाही जावेगी,उन प्रकरणों में वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा निर्धारित हाल की संख्या ही मान्य होगी। कम से कम ११ हजार वर्ग फीट का भूखंड होना ही चाहिए। मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल की आंतरिक ऊंचाई न्यूनतम ८ मीटर से कम नहीं होनी चाहिए। वीडियो गेम आर्केड,फास्ट फूड केंद्र,बच्चों के खेलने एवं मनोरंजन हेतु स्थान एवं सुविधा,वाहन पार्किंग हेतु स्थान,म्यूजिक स्टोर,वीडियो थिएटर,थ्री डायमेंशन सिनेमा हॉल,लाइट एवं साउंड शो,ई-मनोरंजन हेतु प्रदर्शनी हॉल,लाइव शो एवं कंसर्ट के लिए हॉल,डिस्कोथेक,साइबर कैफे,गो-कार्टिंग,रेस्टोरेंट,बार-राज्य की आबकारी नीति के अनुरूप, आइसक्रीम पार्लर,कॉफी शॉप, बेकरी,बॉलिंग ऐली,कॉटेज स्वीट,होटल और शॉपिंग आर्केड एवं शो रूम होना चाहिए।
सिंगल स्क्रीन सिनेमा ( नियम १९७२ )
सिंगल स्क्रीन सिनेमा सिर्फ ग्राउंड फ्लोर पर ही संचालित किया जा सकता है। धारा ९ के अनुसार यहाँ पर कोई भी व्यावसायिक गति संचालित नहीं की जा सकती है। इन्हें नियम १९७२ के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बैठक सीटों की संख्या कम से कम १ से १००० या यह भी कह सकते है इसका कोई भी अनुपात तय नहीं है। इस सिनेमा पर नियम २००६ के कोई भी नियम लागू नहीं होते है।
मिनिप्लेक्स सिनेमा ( नियम १९८३ )
मिनीप्लेक्स सिनेमा ही सिर्फ नियम १९८३ वीडियो के तहत ही संचालित किए जा सकते है। २०२० में संशोधन के बाद इसमे सैटेलाइट,पेन ड्राइव,डीवीडी या वीसीआर से फिल्मों को प्रदर्शित करने की अनुमति दी गयी है। बैठक सीटों की संख्या कम से कम १ से १२५ ही होनी चाहिए। मुख्यत: इस सिनेमा के १०० मीटर के दायरे में कोई भी अन्य मिनिप्लेक्स सिनेमा संचालित नही किया जा सकता है। मिनिप्लेक्स सिनेमा पर नियम १९७३ और २००६ के कोई भी नियम लागू नहीं होते है।
दिखवाता हूँ
लाइसेंस की मियाद खत्म हो गयी है और फिर भी सिनेमा संचालित हो रहे तो यह नियम विरुद्ध है। मैं उसे तुरंत दिखवाता हूँ।
-संजय दुबे-प्रमुख सचिव,नगरीय प्रशासन
जांच कराएंगे
अवैध लायसेंस से पूर्व में सिनेमा संचालित हो रहे थे और अब मियाद खत्म होने के बाद जो सिनेमा संचालित कर रहे है तो गलत बात है। मैं इसकी तुरंत जांच करवाता हूं।
-संकेत भोंडवे- आयुक्त,नगरीय प्रशासन
नोटिस जारी करेंगे
शहर के समस्त सिनेमा मालिको को तुरंत नोटिस जारी कर उनके लायसेंस तलब करेंगे,साथ ही उन्हें फ़िल्म का प्रदर्शन तुरन्त बंद करने की सूचना भी देंगे। अभी तक शहर से किसी का भी लाइसेंस नवीनीकरण हेतु आवेदन नहीं आया है।
-मिलन पटेल-नपा सीएमओ,झाबुआ