प्रशासन को क्या मुख्यमंत्री के आदेश के भी कोई अहमियत नही ...?
फर्जी डॉक्टर और अवैध शराब माफियाओं के लिए एक अलग कानून बनाना होगा....?- नकेल कसने हेतु शहर में सीएमओ और अध्यक्ष एवं गांवों में सरपंच सचिव की जवाबदेही तय करना ही होगी
झाबुआ।संजय जैन- सह संपादक। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव प्रदेश की उन्नति ओर जनता की भलाई के लिए नित कोई न कोई निर्णय लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए आदेश जारी तो करवा रहे है,लेकिन देखने में अधिकतर यह आता है कि भ्रष्टाचार की मलाई खाकर और कम्बल ओढ़कर घी पीने वाले इनके आदेशो को अलमारी में बंद कर चिर निंद्रा में सो जाते हैं। इनको अच्छी तरह से पता है कि वे यदि आदेश का पालन करेंगे,तो उनकी ऐशो आराम में खलल पड़ जायेगा।इसलिए मुख्यमंत्री को जनता की भलाई के लिए गए निर्णय के सफल क्रियान्वयन के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
शहर में सीएमओ और अध्यक्ष एवं गांवों में सरपंच सचिव की जवाबदेही तय करना होगी
जिले में प्रत्येक गली मोहल्ले में एक न एक फर्जी डॉक्टर का क्लिनिक आसानी से दिखाई देता है,लेकिन जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ओर नगर परिषद स्तर पर ब्लॉक मेडिकल अधिकारी इन फर्जी डॉक्टर के क्लिनिक को देखकर शायद गांधारी बन जाते है। इन अवैध फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही वे नहीं कर रहे है,यह बात तो कटु सत्य है। इन पर नकेल कसने हेतु जिला स्तर पर शहर में सीएमओ और अध्यक्ष एवं गांवों में सरपंच सचिव की जवाबदेही तय कर अंगे कार्यवाही करने का अधिकार देना होंगे।जो ब्लॉक मेडिकल अधिकारी की सहायता से अवैध फर्जी डॉक्टरों के क्लिनिकों पर कार्यवाही कर सके,ऐसा हमारा मानना है। देखा जाय तो कोई भी दुकान खोलने के लिए,उद्देश्य सहित समस्त जानकारी के साथ नगर पालिका में आवदेन देकर अनुमति लेना अनिवार्य होता है,तो फिर गंभीर प्रश्न तो खड़ा होता है कि इतने अवैध फर्जी क्लीनक और ढाबे जिले में बेख़ौफ कैसे संचालित हो रहे है...?
नगरीय निकायों के क्षेत्र में नोडल अधिकारी की नियुक्ति करना होगी
ऐसा हमारा यह भी मानना है कि नगरीय निकायों के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाना चाहिए।इसके लिए परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण को बनाया जाना चाहिए और नियंत्रक अधिकारी JDA नगरीय प्रशासन विकास एवं आवास विभाग को हर संभाग स्तर पर बनाया जाना चाहिए,तो फिर देखिए, कैसे यह फर्जी डॉक्टर अलीराजपुर जिले की तरह अपने अवैध क्लीनिकों को छोड़कर भूमिगत हो जाते है...? साथ ही ग्राम पंचायतो के लिए नोडल अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत और नियंत्रक अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को बनाया जाना चाहिए।
अवैध शराब-धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है
दूसरी ओर अवैध शराब जो कि प्रत्येक शहर की गली मोहल्ले के साथ अवैध रूप से ढाबो और होटलों पर बिकती और परोसते हुए आसानी से नजर आती है,कुछ इसी तरह से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में यही हालात है। उल्लखनीय है कि प्रदेश सरकार वर्तमान में नशा मुक्ति अभियान 30 जुलाई तक चला भी रही है, उसके लिए पुलिस विभाग जी जान से जुटा हुआ भी है और गांव गांव शहर शहर में अभियान की गूंज दिखाई भी दे रही। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह इक्का दुक्का कार्यवाही मात्र फोटो सेसन तक ही सीमित रहती है,लेकिन धरातल पर वास्तविक स्थिति कुछ और ही नजर आती है।
मुख्यमंत्री का नशा मुक्ति का संकल्प ऐसे पूरा हो सकता है
सबसे पहले सरकार के जो नुमाइंदे शराब का सेवन कर रहे है ,सर्वप्रथम उन्हें नशा मुक्त करना चाहिए। साथ ही अवैध शराब परिवहन,स्मैक और गांजा इत्यादि के अवैध कामों में सलंग्न हे उनकी पहचान कर उनको प्रथम बार में चेतावनी देनी चाहिए और दोबारा पकड़े जाने पर कठोर कार्यवाही करनी होगी। नगरीय निकायों ओर ग्राम पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियो और जनप्रतिनिधियों को इन अवैध कार्यों पर नकेल कसने हेतु मुहिम छेड़ने के साथ कार्यवाही हेतु अधिकृत करना चाहिए। तब कही जाकर इसकी पूरी संभावना है कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का नशा मुक्ति का संकल्प जरूर पूरा होगा अन्यथा तो हर बार की तरह सिर्फ और सिर्फ मेहनत, समय ओर सरकारी धन व्यर्थ ही चला जाएगा,ऐसा हमारा मानना है।