रूसी तेल पर EU का प्रहार, अंबानी की कंपनी पर पड़ेगा सीधा असर
यूरोपीय यूनियन ने हाल ही में रूस से आने वाले क्रूड ऑयल और उससे बने ईंधन पर सख्त प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इस फैसले का असर भारत की दो बड़ी तेल कंपनियों, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी पर पड़ सकता है. ये दोनों कंपनियां भारत की सबसे बड़ी ईंधन निर्यातक हैं और यूरोप उनका बड़ा बाजार रहा है. इस फैसले से रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी को आर्थिक नुकसान हो सकता है.
EU ने अपने 18वें प्रतिबंध पैकेज में रूसी तेल के प्राइस कैप को 60 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 47.6 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है. यह नई सीमा 3 सितंबर से लागू होगी. इसके अलावा, EU ने रूसी तेल के परिवहन में शामिल जहाजों और नायरा एनर्जी पर भी प्रतिबंध लगाए हैं. नायरा एनर्जी में रूस की कंपनी रोजनेफ्ट की 49% हिस्सेदारी है और अब इसे यूरोप में तेल उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं होगी. साथ ही, कंपनी को बैंकिंग सेवाओं और यूरोपीय तकनीकी सहायता में भी दिक्कतें हो सकती हैं.
रिलायंस के लिए मुश्किलें
रिलायंस इंडस्ट्रीज का रोजनेफ्ट के साथ बड़ा करार है, जिसके तहत वह सस्ता रूसी तेल खरीदती है. लेकिन अब रिलायंस को कठिन फैसला लेना होगा. अगर वह रूसी तेल खरीदना जारी रखती है, तो यूरोप का आकर्षक डीजल बाजार उसके लिए बंद हो सकता है. और अगर वह रूसी तेल छोड़ देती है, तो उसे सस्ता कच्चा तेल मिलना मुश्किल हो जाएगा. दोनों ही स्थितियों में रिलायंस के रिफाइनिंग मार्जिन पर असर पड़ सकता है.
भारत ने किया फैसले के विरोध
भारत सरकार ने EU के इस फैसले का विरोध किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता है. उन्होंने कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा सबसे जरूरी है, क्योंकि यह नागरिकों की बुनियादी जरूरतों से जुड़ा है. भारत ने यह भी कहा कि ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए.
हालांकि, EU के लिए इस कीमत सीमा को लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि तेल का व्यापार डॉलर में होता है और डॉलर के लेन-देन पर अमेरिका का ज्यादा नियंत्रण है. अमेरिका ने EU के इस कदम का समर्थन नहीं किया है. इसके अलावा, भारतीय रिफाइनर सीधे यूरोपीय खरीदारों से नहीं बल्कि बिचौलियों के जरिए व्यापार करते हैं, जिससे प्रतिबंध लागू करना और मुश्किल हो सकता है.