अब चौराहों ओर सड़कों पर नहीं लगेगी महापुरुषों ओर अन्य की प्रतिमाएं-हाईकोर्ट ने सोमवार को जारी किया आदेश
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जिस पर सोमवार को निर्णय करते हुए आदेश दिया कि प्रदेश भर में अब किसी भी चौराहे या सड़क पर महापुरुषों या अन्य किसी व्यक्ति की नई प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकेगी। साथ ही कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि पूर्व में जबलपुर मुख्य पीठ द्वारा जारी आदेशों का पालन सख्ती से सुनिश्चित किया जाए।
जनहित याचिका के बाद आया आदेश
यह आदेश उज्जैन जिले के माकड़ौन निवासी राजेश कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट एडवोकेट मनीष यादव ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया याचिका में कहा गया कि कुछ समय पहले माकड़ौन में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिभा को तोड़ दिया गया था और वहां सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा लगाने की कोशिश की गई थी। इससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी और सामाजिक सौहार्द बिगड़ने लगा था।
प्रतिमा लगाने को लेकर हो चुका है विवाद
उज्जैन जिले के माकड़ौन में बाबा साहब अंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति स्थापित करने को लेकर 25 जनवरी को विवाद हुआ था। एक पक्ष ने सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति स्थापित की, जिसके बाद दूसरे पक्ष ने उसे तोड़ दिया। इसके बाद, दोनों पक्षों में टकराव हुआ, जिसमें पथराव और आगजनी हुई। इस घटना में कई लोग घायल हो गए, जिनमें एक एसआई भी शामिल थे।
विवाद की आशंका बढ़ जाएगी
विवाद के बाद, गिरफ्तारी के विरोध में लोगों ने उज्जैन में प्रदर्शन किया था और आरोपियों को रिहा करने की मांग की गयी थी। हालांकि, बाद में दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया और दोनों महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित करने पर सहमति बनी थी।इसके बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों ने माकड़ौन नगर परिषद से अलग-अलग महापुरुषों की प्रतिमाएं लगाने की अनुमति मांगी थी। नगर परिषद ने विवाद से बचने के लिए उन्हें वैकल्पिक स्थानो की अनुमति देने की बात कही थी, लेकिन याचिका कर्ता का यह तर्क था कि अगर हर चौराहे-चौराहे पर अलग-अलग समाज अपनी-अपनी अलग-अलग प्रतिमा लगवाने लगेगा,तो ऐसे में यातायात व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा जाएगी और विवाद की आशंका भी बढ़ जाएगी।
हाई कोर्ट का यह रहा स्पष्ट रुख
एडवोकेट मनीष यादव और नेहुल वर्मा ने बताया कि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ ने वर्ष 2023 में ही इस विषय में स्पष्ट आदेश दिया था कि जिसमें चौराहे और सड़कों पर प्रतिमान लगाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन द्वारा कई बार अनुमति दे दी जाती है। जिससे कानून व्यवस्था और यातायात व्यवस्था दोनों प्रभावित होते हैं।
मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवो को सख्त निर्देश
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्य सचिव और सभी विभागों के प्रमुख सचिव यह सुनिश्चित करें कि जबलपुर पीठ द्वारा दिए गए 2023 के आदेश का पूरी तरह से पालन किया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल नई प्रतिमाओं पर लागू होगा। पहले से स्थापित प्रतिभाओं को इससे कोई नुकसान या बदलाव नहीं होगा।
प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट आयेगी
इस फैसले को प्रदेश में सार्वजनिक स्थलों पर सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और यातायात नियंत्रण को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे स्थानीय प्रशासन के निर्णयों में एकरूपता आएगी और चौराहे को लेकर होने वाले विवादों पर विराम लग सकेगा।
यह है आदेश के मुख्य बिंदु
-नई प्रतिमाओं की स्थापना पर पूर्ण प्रतिबंध
-जबलपुर खंडपीठ के 2023 के आदेश का सख्ती से पालन किया जाय।
-यातायात और कानून व्यवस्था प्रभावित ना हो ,इसके लिए निर्णय
पूर्व स्थापित प्रतिमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।