इंस्पेक्टरराज व भ्रष्टाचार का बड़ा कारण बन गया था 'पुलिस लाइसेंस'

नई दिल्ली। दिल्ली में होटल, रेस्तरां, गेस्ट हाउस व मनोरंजन पार्क जैसे अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को आरंभ करना और उसे चलाना आसान नहीं है। क्योंकि, दिल्ली पुलिस का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) इंस्पेक्टरराज, भ्रष्टाचार व शोषण का ऐसा माध्यम था, जिसने हर संचालकों का उत्पीड़न कर रखा था।
इस मामले से संबंधित एक एसोसिएशन के पदाधिकारी ने बताया कि स्थिति यह थी कि दिल्ली सरकार ने एनओसी जारी करने के लिए अधिकतम 49 दिन निर्धारित किए थे, लेकिन सारे दस्तावेज सही होने के बावजूद कई मामलों में दिल्ली पुलिस का लाइसेंसिंग विभाग छह से आठ माह ले लेता था। उसमें भी बिना भ्रष्टाचार के यह संभव नहीं था। अब जब उपराज्यपाल ने एक आदेश में दिल्ली पुलिस की मंजूरी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है तो उससे सभी बेहद राहत में हैं तथा इसके लिए दिल्ली सरकार को धन्यवाद करते हुए ईज आफ डूइंग बिजनेस की दिशा में बड़ा कदम बता रहे हैं।
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन आफ इंडिया (एनआरएआइ) के दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष संदीप आनन्द गोयल के अनुसार, पिछले वर्ष लाइसेंस के लिए एकीकृत पोर्टल जारी कर काफी मुश्किलों से मुक्ति दिलाई थी। अब पुलिस की मंजूरी की अनिवार्यता से मुक्ति दिलाकर बड़ी राहत दी है। इससे न सिर्फ होटल, रेस्तरां का कारोबार बढ़ेगा, बल्कि रोजगार व पर्यटन के अवसर बढ़ने के साथ दिल्ली सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
गत 13 मई को एनआरएआइ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मिला था और उनसे इंस्पेक्टरराज को लेकर चिंता जताते हुए इसे दूर करने की मांग की थी। वैसे, होटल, रेस्तरां जैसे प्रतिष्ठानों को खोलने के लिए दिल्ली पुलिस के साथ ही एमसीडी, अग्निशमन सेवा व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) का लाइसेंस या एनओसी जरूरी है।
दिल्ली पुलिस के लाइसेंस से छुटकारा मिलने के बाद अब संचालक एमसीडी के लाइसेंस से राहत की मांग कर रहे हैं। ये लाइसेंस या एनओसी लेने के लिए एकीकृत लाइसेंस पोर्टल पर आवेदन करना होता है। एक रेस्तरां संचालक के अनुसार, बाकी जगह से फाइल तो स्वीकृत हो जाती थी, लेकिन दिल्ली पुलिस में यह अटक जाता था। यहां नए आवेदन के लिए 46 तो नवीनीकरण के लिए 12 से 16 प्रकार के दस्तावेज लगाने पड़ते थे।
वहीं, दस्तावेजों को लेकर कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं थी। ऐसे में फाइल रोक देने की स्थिति में डिफेंस कालोनी स्थित दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग विभाग जाकर पता करना पड़ता था। उसमें महीनों तक लग जाते थे। उसमें भी पिछले वर्ष लागू चरित्र प्रमाण पत्र और यातायात पुलिस की अनापत्ति ने मुश्किलें और बढ़ा दी थीं, जिससे स्थानीय थाना पुलिस और यातायात पुलिस का भी भ्रष्टाचार शामिल हो गया था।
पहाड़गंज गेस्टहाउस आनर्स एसोसिएशन के महासचिव सौरभ छावड़ा के अनुसार, यह प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष की थी। जो काफी कठिन और मुश्किलों से भरा था। नया कारोबार शुरू करने वालों के लिए यह आर्थिक संकटों में डालने वाला था, क्योंकि पैसे लगाकर पूरी व्यवस्था खड़ी करने के बाद लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। अगर मंजूरी में महीनों लगते थे तो उससे आर्थिक बोझ बढ़ जाता था।