प्रदेश में मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए शहर की आबादी 10 लाख होना जरूरी

झाबुआ/ इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। मोहन यादव सरकार किस तेज गति से काम कर रही है इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि इंदौर में पहली बार हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के दूसरे दिन ही इंदौर-भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन के लिए गाइडलाइन तय कर दी गयी। इस गाइड लाइन में सबसे मुख्य बिंदु जो है वह यह कि जिन क्षेत्रों की आबादी 10 लाख या उससे अधिक होगी उन्हें ही मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के दायरे में शामिल कर समुचित विकास किया जाएगा। ऐसे क्षेत्रों का दायरा एक से ज्यादा जिलों तक का होना चाहिए।

शहर की आबादी 10 लाख होना जरूरी

10 लाख या उससे ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र में कम से कम दो या दो से ज्यादा नगर पालिका, पंचायतें या अन्य क्षेत्र शामिल होने चाहिए। इन क्षेत्रों के विकास के लिए कम से कम 15 वर्षीय कार्ययोजना बनेगी। योजना तैयार करने का काम मेट्रोपॉलिटन योजना समिति (एमपीसी) करेगी। ऐसे प्रोजेक्ट जो एक से अधिक विकास प्राधिकरण की सीमा क्षेत्र में विकसित किया जाना प्रस्तावित हो, विकास कार्य एमआरडीए (मेट्रोपोलिटन रिजन डेवलपमेंट अथॉरिटी) द्वारा किए जाएंगे। मेट्रोपॉलिटन योजना समिति में नगर पालिकाओं, पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि इसके अलावा एमआरडीए के प्रतिनिधि होंगे।

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तय करेगी सरकार

एमपीसी में एक अध्यक्ष व दो उपाध्यक्ष होंगे। नियुक्ति निगम-मंडलों की तर्ज पर सरकार करेगी। दो तिहाई सदस्य क्षेत्र में आने वाली नगर पालिकाओं व पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों में से चुनाव के जरिए चुने जाएंगे। इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकार, संस्थाओं, संगठनों के प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे। क्षेत्र में आने वाले लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र के सदस्य, संबंधित नगर पालिकाओं, परिषदों, नगर निगम के महापौर विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।

एमआरडीए के अध्यक्ष होंगे सीएम

मेट्रोपोलिटन रिजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। नगरीय विकास एवं आवास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास व राजस्व विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा मुख्य सचिव और नगरीय विकास, राजस्व, परिवहन, लोक निर्माण, पर्यावरण व पंचायत विभाग के एसीएस, पीएस सदस्य होंगे। साथ ही महानगरीय योजना समिति के प्रतिनिधि, संभागीय आयुक्त, नगर एवं ग्राम निवेश के संचालक को शामिल किया जाएगा। सदस्य संयोजक मेट्रोपॉलिटन आयुक्त को बनाया जाएगा। शासन द्वारा नामित चार विशेषज्ञ होंगे। 

ये विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे

विशेष आमंत्रित सदस्यों में नगर निगम के आयुक्त, रेलवे जोन के जीएम, केंद्रीय दूरसंचार व केंद्रीय नागरिक उड्यन मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे। मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के एमडी और नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद, पंचायतों और विधानसभाओं के नामित सदस्यों को शामिल किया जाएगा। प्लान का प्रारूप बनाने में एमपीसी की मदद एमआरडीए करेगा। विकास प्राधिकरणों की सीमा क्षेत्र के बाहर बचे क्षेत्रों के नियोजन व विकास के काम करने होंगे। खासकर जो प्रोजेक्ट एक से ज्यादा प्राधिकरणों की सीमा में विकसित किए जाने हों। मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष मेट्रोपॉलिटन आयुक्त होंगे। इसके अलावा नगर निगम आयुक्त, औद्योगिक विकास, हाउसिंग बोर्ड, मेट्रो कॉर्पोरेशन, परिवहन विभाग, जिलों के कलेक्टर, टीएंडसीपी के संयुक्त संचालक, पीएचई के प्रतिनिधि आदि भी शामिल।

प्रारूप को मंजूरी के बाद तीन समिति प्रमुख

मध्य प्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास अधिनियम 2025 के जिस प्रारूप को मंजूरी दी गई है,उसके लागू होने के बाद यह स्थिति बनेगी। अधिनियम-2025 लागू होने के बाद  तीन समितियों के माध्यम से मेट्रोपोलिटन क्षेत्र को मंजूरी मिलेगी। इसके लिए महानगर योजना समिति एवं महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया जा सकेगा।

पांच मेट्रोपोलिटन क्षेत्रों को मंजूरी दी- इंदौर में चार और भोपाल में पांच जिले हैं शामिल

मंत्रि परिषद की बैठक में लिए निर्णयों के संबध में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि केबिनेट ने मेट्रोपोलिटन क्षेत्रों को मंजूरी दी है।इंदौर क्षेत्र में इंदौर-उज्जैन-देवास-धार एवं भोपाल- सीहोर- रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) के लिए महानगर योजना समिति एवं महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन राज्य सरकार द्वारा किया जा सकेगा।  

5 मेट्रोपोलिटन विकास प्राधिकरण बनाएंगे

इंदौर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में मेट्रोपोलिटन विकास प्राधिकरण बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। इस प्राधिकरण का उद्देश्य शहरों का सुव्यवस्थित विकास करना होगा और यह नगर निगम या अन्य प्राधिकरणों के कार्यों को प्रभावित नहीं करेगा। मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के चेयरमैन होंगे। प्राधिकरण 25 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाएगा। इसके तहत तीन स्तरों की समितियां बनाई जाएंगी, जिनमें दो स्तरों में मुख्यमंत्री शामिल होंगे और तीसरे स्तर में स्थानीय अधिकारी व जनप्रतिनिधि होंगे।

होगा नया एमवायएच अस्पताल सात मंजिला 

चाचा नेहरु अस्पताल के सामने दूसरी बिल्डिंग खड़ी की जाएगी। आठ एकड़ जमीन में बनने वाला यह नया एमवाय अस्पताल सात मंजिला होगा।अभी एमवाय अस्पताल 1152 बेड वाला है। जबकि ओपीडी 4 हजार से ज्यादा मरीजों की है। यहां ओपीडी और आईपीडी दोनों में क्षमता से दोगुना मरीज आ रहे हैं। नया अस्पताल चाचा नेहरू अस्पताल के सामने इसे बनने में कम से कम तीन साल लगेंगे। 500 बेड की क्षमता का नर्सिंग हॉस्टल, पार्किंग, 40 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनेगा। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पहले ही भवन विकास निगम द्वारा तैयार कर ली गई है। यहां भी वही विभाग रहेंगे जो एमवायएच में संचालित है।