कही मात्र तीतर पर तोप चलाने की कार्यवाही तो नही?-बैठक में अवैध क्लिनिको के लिए कोई चर्चा तक नहीं की

प्रशासन को मात्र सिंडिकेट के मुखिया और थोक दवाई व्यापारियों की तरफ अपना रुख करने की है दरकार
झाबुआ।संजय जैन-सह संपादक। मंगलवार को कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ,जिला शिक्षा ओर अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में एक बैठक ली जिसमे ड्रग्स इंस्पेक्टर को नोटिस दिए जाने का उल्लेख किया। गौरतलब है कि जिले में वैसे तो 374 पंजीकृत केमिस्ट है जिसमे सिर्फ एक को ही औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम के शेड्यूल एक्स (X)के तहत आने वाली दवाओं की बिक्री की अनुमति है।
बैठक में अवैध क्लिनिको के लिए कोई चर्चा तक नहीं की
जिले में जितने मेडिकल स्टोर है ,उससे कई गुना तो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप है जो खुद को डॉक्टर लिखते और बेख़ौफ अवैध दवाखाना भी चला रहे है। इन फर्जी डॉक्टरों के इलाज से न जाने कितने लोगों की जान गई होगी यह बात उजागर शायद इसलिए भी नहीं होती है क्योंकि तोड़ बट्टा हो जाता है। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर की उपरोक्त बैठक में झोलाछाप द्वारा चल रहे अवैध क्लिनिको के लिए कोई चर्चा नहीं की गई।जबकि बीते दिनों दमोह के बाद पास ही के रतलाम जिले में झोलाछाप के इलाज से एक मासूम की मौत हो गयी थी। गौरतलब है कि यह क्षेत्र झाबुआ रतलाम संसदीय में ही आता है जहाँ से पहली बार एक संसदीय क्षेत्र से तीन तीन मंत्री भी है।
किस आधार पर घर/क्लिनिक पर रख पा रहे है दवाई का स्टॉक?
झोलाछाप के क्लिनिकों साथ ही उनके घरों में दवाईयों का इतना स्टॉक भरा रहता है जितना की एक छोटे मेडिकल स्टोर में नही रहता है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तो ठीक लेकिन ब्लॉक मेडिकल अधिकारी ने भी कभी इसकी जांच करने की जेहमत तक नहीं उठाई है न ही कभी ड्रग्स इंस्पेक्टर ने इनके अवैध मेडिकल स्टोर घर पर दवाईयों को चेक किया होगा,ऐसा साफ प्रतीत होता है। बिना मेडिकल लाइसेंस के झोलाछाप इतना दवाई का स्टॉक किस आधार पर घर/क्लिनिक पर रख पा रहे है। सूत्रों की माने तो अधिकतर झोलाछाप एवं मेडिकल स्टोर्स तो गर्भपात करने की दवाईयां तो रखते है बल्कि गर्भपात तक करवा देते है।जिसके एवज में वे मोटी कमाई करते चले आ रहे है। खैर, यह जांच का विषय है लेकिन आज झाबुआ जिले में हजारों की तादात में फैल चुके अवैध क्लिनिको की जांच कर अवैध क्लिनिक ओर उसके संचालन करने वाले के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की बेहद जरूरत है।प्रदेश के मुखिया डॉ.मोहन यादव की भी यही मंशा है लेकिन शायद तीन तीन बार उनके द्वारा दिए गए आदेशो का शायद लगता है कि मोटी चमड़ी वालो ने मटिया मेट कर दिया है।
कही मात्र तीतर पर तोप चलाने की कार्यवाही तो नही?
मजेदार बात तो यह है कि मंगलवार की बैठक में मात्र एक मेडिकल स्टोर की गलती पर,ड्रग्स इंस्पेक्टर को नोटिस दे देना तो तीतर पर तोप दागने जैसा ही प्रतीत हो रहा है। जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भी नोटिस देना था ऐसा हमारा मानना है। उन्होंने जिले में कितने मेडिकल स्टोर और अवैध क्लिनिकों का निरीक्षण किया है...? कुछ जवाबदारी तो इनकी भी तो है। कुल तीन आदेश झोलाछाप डॉक्टरों के क्लिनिको का निरीक्षण करने हेतु सिविल सर्जन के अलावा जिले के ब्लॉक मेडिकल अधिकारीयो को दिए जिनका कितने ने अब तक पालन किया है...?बैठक में तो इसकी जानकारी भी लेनी चाहिए थी। शायद इन आदेशो का कोई असर हुआ ही नही है। जिम्मेदारो द्वारा मुख्यमंत्री के आदेश और कलेक्टर के निर्देश को कोई तवज्जो नहीं दी गयी,बल्कि गांधी के चमक और मिठाई के स्वाद से वे शायद आंख मूंद कर बैठ गए है। तीतर पर तोप चलाने की बजाय, इनके खिलाफ कलेक्टर को कार्यवाही करने की बेहद आवश्यकता है,वरना भविष्य में जिले में कोई घटना होगी तब उसका जवाब शायद ही किसी के पास होगा,ऐसा हमारा मानना है।
प्रशासन को मात्र सिंडिकेट के मुखिया और थोक दवाई व्यापारियों की तरफ अपना रुख करने की है दरकार
गौरतलब है कि हमने हमारी पूर्व की कई खबरो में सतत प्रशासन का ध्यान झोलाछाप के बने सिंडिकेट की ओर हर बार आकर्षित भी किया है। हर क्षेत्र में बने इन सिंडीकेट का एक मुखिया रहता है जो खुद भी एक झोलाछाप ही रहता है। यह मुखिया प्रशासन और झोलाछाप के बीच एक सेतु का कार्य करता है।यदि प्रशासन दृढ़ निश्चय और ईमानदारी से ऐसे मुखियाओं को दबोच ले तो,सारे अपने आप बड़ी आसानी से गिरफ्त में आ जाएंगे। सबसे पहले प्रशासन को जिले के तमाम थोक दवाई व्यापारियों की जांच करना चाहिए जो इन अवैध क्लीनको को दवाई की भरपूर खेप पहुचाते है। नियमानुसार वे तो सिर्फ पंजीकृत मेडिकल स्टोर को ही दवाई की सप्लाई कर सकते है। सिर्फ इनकी खरीदी और बिक्री के बिलों की जांच ही कर लेवे । मातृ शक्ति कलेक्टर तो सिर्फ उपरोक्त दो बातों की ही गंभीरता से जांच करवा लेंगी तो प्रशासन को बेहद व्यस्त और लंबा रास्ता तय नही करना पड़ेगा, मात्र कुछ दिन में ऐसे सारे अवैध लोग प्रशासन की गिरफ्त में बड़ी आसानी से आ जाएंगे, ऐसा हमारा मानना है।