डॉक्टर क्लीनिक छोड़कर फरार

जिला प्रशासन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश को भूल गए है क्या लेकिन क्यो यह तो वे ही जाने?

झाबुआ/रतलाम।संजय जैन-सह संपादक। जिले के रावटी में एक प्राइवेट क्लीनिक पर डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाने के 2 घंटे बाद ही 7 साल की एक मासुम की मौत हो गई।प्राप्त जानकारी नुसार मासूम की मौत के बाद डॉक्टर क्लीनिक छोड़कर फरार होने में कामयाब हो गया है। इस घटना की सूचना मिलते ही परिजन, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। जांच करने पर उक्त क्लीनिक पर डॉक्टर की किसी भी प्रकार की डिग्री और संचालन के डॉक्यूमेंट अधिकारियों को नहीं मिले है।                            

यह है पूरा मामला

जानकारी में मृत बच्ची का नाम अरुणा (6) पिता नाथुलाल भाभर निवासी नायन (गुंदीपाड़ा) रावटी बताया गया है। जो जानकारी मिली उस अनुसार अरुणा को बुखार आने पर उसके पिता उसे मंगलवार सुबह करीबन 10 बजे लेकर रावटी के पंचायत चौराहे पर स्थित एक प्राइवेट क्लीनिक पर लेकर इलाज हेतु पहुचे थे। यहां इलाज कर रहे अजय चौहान नामक व्यक्ति ने बच्ची को एक इंजेक्शन लगाया, इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर रावटी बाजार चले गए। कुछ समय बाद बच्ची को उल्टी होने पर वे उसे वापस क्लीनिक पर लेकर पहुंचे। जहाँ दोपहर 1 बजे के करीब बच्ची की क्लीनिक पर ही मौत हो गई।इलाजकर्ता मौके से तुरन्त फरार हो गया। पुलिस, स्वास्थ्य व राजस्व विभाग को इस बारे में सूचना मिली तो अधिकारी वहां पहुंचे। बच्ची के शव को पीएम के लिए रतलाम मेडिकल कॉलेज भेजा गया है।

स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस को आवेदन दिया

तहसीलदार वंदना किराड़े, मेडिकल ऑफिसर दीपक मेहता व पुलिस की टीम मौके पर पहुंच कर उक्त क्लीनिक की जांच की गयी। जांच में इलाज से संबंधित व क्लीनिक संचालन के कोई भी वैध दस्तावेज नहीं मिले। उल्लखनीय है कि वहाँ पर भारी मात्रा में दवाईयां व खाली इंजेक्शन की शीशी को जब्ती कर लिया गया। साथ ही मौके पर पंचनामा बनाकर क्लीनिक को सील कर दिया गया। बच्ची की मौत पर रावटी पुलिस थाना में मर्ग कायम कर मामला जांच में लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी पुलिस को आवेदन दे दिया है।

करीब 10 से 12 साल से चल रहा है क्लीनिक

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो इलाजकर्ता के पास सिर्फ होम्योपैथिक की डिग्री है,लेकिन वह एलौपैथिक से इलाज कर रहा था, जो कि मान्य नहीं है। इलाजकर्ता डॉक्टर 10 से 12 साल से किराए पर जगह लेकर यह क्लीनिक रावटी में चला रहा था। यह भी जानकारी सामने आई है कि अजय चौहान रतलाम के किसी होम्योपैथिक कॉलेज में टीचर भी है। साथ ही प्राइवेट प्रैक्टिस के चलते वह अवैध क्लीनिक खोलकर आदिवासी क्षेत्र में बैठा लोगो को लूट रहा था।

 जिला प्रशासन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश को भूल गए है क्या? लेकिन क्यो?यह तो वे ही जाने
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी भी सामने आई है। रावटी क्षेत्र में ऐसे कई झोलाछाप अवैध रूप से क्लीनिक संचालित कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग को शायद इस क्लीनिक की जानकारी होते हुए भी वे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है। बताया जा रहा है कि 27 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने लेटर जारी कर ऐसे अवैध क्लिनिकों की जानकारी भी मांगी थी। अगर समय पर स्वास्थ्य विभाग जाग जाता तो,इस मासूम बच्ची की जान बच सकती थी।आपको बता दे कि दमोह में घटना होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने प्रदेश में चल रहे फर्जी अस्पताल,डाक्टर ओर झोलाछाप के अवैध क्लिनिक का सर्वे कर फर्जी होने पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए थे।जिला प्रशासन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश को भूल गए है क्या...? लेकिन क्यो..? यह तो वे ही जाने?

3 वर्ष का कारावास व जुर्माना पचास हजार रुपये  का प्रावधान

अधिनियम की धारा 7-ग के उल्लंघन में कारावास की कालावधि 3 वर्ष तक व जुर्माना पचास हजार रुपये तक का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि धारा 7-ग का संबंध गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सकों से है।म.प्र उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 की धारा 3 का उल्लघंन, न्यायालय में दोषसिद्धी (Conviction) होने पर दण्डनीय है जिसके प्रावधान धारा 8 में वर्णित हैं।

नेताओं और रसुखदार का सहारा लेकर  रोब झाड़ते है

ऐसा नहीं की यह आदेश पहली बार जारी हुआ है बल्कि प्रदेश सरकार ने समय समय पर झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हेतु आदेश निर्देश जारी किए है,लेकिन इन आदेश निर्देश का प्रदेश में कितनी तवोज्जो दी गयी है यह तो जग जाहिर है। 
 झोलाछाप डॉक्टर बगैर मान्यता डिग्री डिप्लोमा के बेरोकटोक धडल्ले से एलोपैथिक दवाइयों से इलाज भी कर रहे और इंजेक्शन के साथ साथ बोतले भी चढ़ा रहे है ऐसे झोलाछाप डॉक्टरो को इंसान की जान से ज्यादा लक्ष्मी की बेहद अमिट भूख रहती हैं। प्रदेश बगैर में अनेकों झोलाछाप डॉक्टर एलोपैथिक दवाइयों से इलाज कर करोड़ों की दौलत एकत्रित कर आलीशान घर और दुकान बना कर बैठे है।  नेताओं और रसुखदार का सहारा लेकर वे रोब झाड़ते हुए आसानी से देखे भीं जा सकते है। खैर हम तो केवल खबर लिखते है और लिखते भी रहेंगेम समाचार से सच्चाई अवगत कराना हम कलमकारो का कर्तव्य है जबकि कार्यवाही करना या नहीं करना यह तो सिर्फ और सिर्फ जिला प्रशासन के विवेक पर निर्भर है।

इनका कहना है
पीएम रिपोर्ट से चलेगा पता

रावटी स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. दीपक मेहता ने मीडिया को बताया कि इंजेक्शन के दो घंटे बाद बच्ची की क्लीनिक पर मौत हुई है। बच्ची को बुखार आ रहा था। क्लीनिक को सील कर दिया है। पीएम रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा कि आखिर क्या हुआ था? संबंधित प्राइवेट क्लीनिक संचालक से 27 मार्च को लेटर जारी कर जानकारी भी मांगी गई थी।