कही हाथी की भूख मिटाने का इंतजाम हो जाए,तब ही सीएम भी लोकार्पण करने शायद आ जाएगे क्या?

झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-सह संपादक।  कुमेड़ी क्षेत्र में लगभग 15 एकड़ क्षेत्रफल में 101 करोड़ रुपये की लागत से इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित किया गया है।यह अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) पांच महीने पहले बन कर तैयार हो चुका है। सिर्फ मुख्यमंत्री के हाथों,बस इसका लोकार्पण होना शेष है,लेकिन यह काम अभी तक टलता ही जा रहा है। एयरपोर्ट जैसी सुविधा वाला यह बस स्टैंड फिलहाल तो हाथी  जैसा ही साबित हो रहा है,जिसके लिए शायद चंदी-चारे का अभी तक इंतजाम हुआ ही नहीं है। जिस दिन कोई एजेंसी इसके संचालन का जिम्मा ले लेगी, अगले दिन से ही बस अड्डा शुरु भी हो जाएगा। 

किसी भी एजेंसी दिलचस्पी नहीं दिखाई

प्राधिकरण के आधिपत्य वाले इस बस अड्डे का संचालन अपने हाथों में लेने के लिए देश की किसी भी एजेंसी ने आज तक दिलचस्पी नहीं दिखाई है।प्राधिकरण इसका संचालन निजी हाथों में इसलिये भी देना चाहता है कि उसने इसके निर्माण पर जो राशि खर्च की है, वह उन्हें प्राप्त हो सके, किंतु कोई किराएदार मिल ही नहीं रहा है।

जारी किया जाएगा तीसरी बार टेंडर

प्राधिकरण ने आईएसबीटी का निर्माण पूर्ण करने की टाइम लाइन दिसंबर 24 रखी थी। समय सीमा में निर्माण पूर्ण भी हो गया था। इसका संचालन निजी एजेंसी को सौंपा जाना है। इन पांच महीनों में देश की किसी एजेंसी ने टेंडर की शर्तों के कारण उत्साह नहीं दिखाया है।यही कारण है कि अब तीसरी बार इसके संचालन के लिये टेंडर जारी किया जाएगा।पहला टेंडर तीन महीने पहले जारी किया गया था, चार एजेंसियों ने रुचि तो ली थी किंतु टेंडर मंजूरी तक बात नहीं पहुंची। इसके बाद प्राधिकरण की बोर्ड मीटिंग में दूसरी बार टेंडर जारी करने पर सहमति बनी। टेंडर जारी भी किया गया,लेकिन वही ढाक के तीन पात वाली बात ही रही। अब शायद प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में शर्तें शिथिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है,तो तीसरी बार टेंडर जारी किया जाएगा। 

शर्तों का पालन जरूरी है

करीब 101 करोड़ की लागत से निर्मित आईएसबीटी न सिर्फ विकास प्राधिकरण की पहचान को विस्तार देने वाला एक बेहतरीन प्रोजेक्ट है बल्कि बाकी राज्यों में आईएसबीटी से  सरकार को भी एक नई पहचान भी मिलेगी।प्राधिकरण इसका संचालन देश की किसी ऐसी एजेंसी को देना चाहता है,जो इस प्रोजेक्ट की गरिमा को बरकरार रख सके, इसलिये टेंडर की शर्तें भी सख्त रखी गई हैं। प्री-बीड में चार कंपनी आई थी,लेकिन शर्तों के कारण उन्होंने कोई रुचि नही ली थी। 

टेंडर लेने के लिये ये शर्तें रखी गयी है

-5 करोड़ रु बैंक गारंटी की।
-एजेंसी को 3 लाख स्के. फीट के निर्माण वाले मॉल, संकुल आदि के संचालन का अनुभव होना चाहिए। 
-बैंक गारंटी का एक प्रतिशत 5 लाख रु किराया प्राधिकरण को देना होगा। 
-यहां सौर ऊर्जा सिस्टम लगा है,लेकिन हर महीने कम से कम 60 लाख रु. बिजली का बिल अनुमानित है।यह खर्च भी संबंधित एजेंसी को वहन करना होगा। 
-जिसके नाम भी टेंडर मंजूर होगा,उसे कम से कम सौ कर्मचारी आईएसबीटी में साफ सफाई आदि के लिये रखना होंगे।
-आईएसबीटी में 27 दुकानें, 32 ऑफिस और 16 रेस्टोरेंट हैं।इनके संचालन की सशुल्क व्यवस्था भी एजेंसी को ही करना होगा। 

शर्तें शिथिल करने का प्रस्ताव

प्राधिकरण द्वारा अब तीसरी बार टेंडर जारी किया जाएगा। इस टेंडर में 5 करोड़ की बैंक गारंटी को घटाने का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जा सकता है। अधिकारियों को लगने लगा है कि पांच करोड़ अर्नेस्ट मनी की राशि को कम कर के मासिक किराये में वृद्धि करने पर निजी कंपनियां शायद संचालन में दिलचस्पी दिखा सकती हैं।

इतनी सुविधाएं हैं यात्रियों के लिए

-यह बस अड्डा 15 एकड़ क्षेत्रफल में 101 करोड़ रुपये की लागत से बना है।
-आईएसबीटी परिसर में लगभग 600 दो पहिया वाहन, 160 कार टैक्सी, 150 आटो रिक्शा एवं लगभग 50 प्रायवेट कारों के लिए पृथक से पार्किंग की व्यवस्था है। -इसके अतिरिक्त लगभग 315 चार पहिया वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था तल घर में भी है। 
-पार्किंग स्थल पर दो सुलभ शौचालय का निर्माण भी किया गया है। 
-टर्मिनल बिल्डिंग में 500 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है एवं एयरपोर्ट के समान वीआईपी लाउंज का भी निर्माण किया गया है। 
-टर्मिनल ब्लॉक में टिकिट काउंटर, पूछताछ कार्यालय, पुलिस चौकी, मेडिकल रूम एवं क्लॉक रूम की व्यवस्था भी की गई है। 
-आईएसबीटी को मेट्रो स्टेशन से भी सीधे जोड़ा गया है, जिसके माध्यम से मेट्रो के यात्री सीधे बस स्टैण्ड परिसर में एवं बस के यात्री सीधे मेट्रो स्टेशन पहुंच सकेंगें। 
-आवागमन की सुविधा हेतु आईएसबीटी के सामने 75 मीटर चौड़ा एमआर-10 एवं तीन तरफ 30 मीटर चौड़े रोड बनाये गये हैं। परिसर में वर्षा पानी के रिचार्जिंग की व्यवस्था भी की गई है।