झाबुआ/इंदौर।संजय जैन-सह संपादक। अफसोस के सिवा कर भी क्या सकते थे? ऐसा तीसरी बार हुआ है, जब ना चाहते हुए भी विश्वास करना पड़ रहा है और हैरत इलाहाबादी की गजल के शेर ‘आगाह अपनी मौत से, कोई बशर नहीं, सामान सौ बरस का है, पल की ख़बर नहीं’ आदि से आज मन को समझाना पड़ रहा है, जब वॉटस एप पर वॉयरल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा की हार्ट अटैक से निधन की जानकारी मिली अविश्वास तब भी हुआ था,जब उमेश शर्मा के निधन की खबर वॉयरल हुई थी और गोविंद मालू के निधन की खबर पर भी कहां विश्वास हुआ था..?

काश,वे अपनी तबीयत खराब होने की गंभीरता समझ लेते

काश ल,वे सीहोर से लौटते में अपनी तबीयत खराब होने की गंभीरता समझ लेते। मित्र सुरजीत सिंह चड्डा की नहीं तो अपनी पत्नी की ही सलाह मान कर सीधे अस्पताल ही चले जाते। पत्रकार मित्रों की बीमारी में उन्हें सरकारी मदद के लिए हमेशा चिंतित रहने वाले सलूजा ने अपनी ही चिंता नहीं की। पत्रकारों के वे तो अजीज थे  ही साथ ही कांग्रेस में रहते भाजपा और भाजपा में रहते हुए कांग्रेस की नाक में दम कर रखा था। कांग्रेस से भाजपा में गए कई नेताओं को तवज्जो नहीं मिलने की फांस अब भी खटकती रहती है ल,लेकिन वो अब तक यह नहीं समझ पाए हैं कि सलूजा जैसी पार्टी और काम के प्रति निष्ठा कितनी है? यह बात भी याद रखना होगी कि भाजपा के बाकी प्रवक्ताओं से ज्यादा सलूजा कांग्रेस पर अधिक आक्रामक रहे तो इसकी एक वजह कांग्रेस के उपेक्षित खेमे से उनका याराना भी रहा था।

कमलनाथ के काफी खास थे

कांग्रेस में रहते वे कमलनाथ के काफी खास थे,लेकिन जिन भी कारणों से उन्हें शिवराज सिंह अच्छे लगे हों लेकिन भाजपा में जाते ही कमलनाथ के प्रति उतने ही आक्रामक भी हो गए थे। सलूजा ने भाजपा में खुद को अपने काम से स्थापित किया था। यही वजह रही थी कि शिवराज के भूतपूर्व होने के बाद वे मोहन राज में भी प्रवक्ता के रूप में अभूतपूर्व बने रहे थे। 

सभी को अपनी लापरवाही  वाला संदेश दे गए 

खैर,सलूजा जहां चले गए हैं वहां से तो कोई वापस आया नहीं,लेकिन जाते जाते सलूजा,सभी दलों के नेताओं सहित सार्वजनिक जीवन में व्यस्त रहते हुए खुद के स्वास्थ्य की चिंता नहीं करने वाले तमाम लोगों को अपनी लापरवाही  वाला संदेश भी दे गए हैं कि अपने लोगों की बात मान लेना चाहिए। जिस तरह से आजकल यकायक मौत की खबरें देखने-सुनने को मिल रही हैं, तब तो अपनी तबीयत नासाज होती लगे तो घर की बजाय गाड़ी सीधे अस्पताल की तरफ मोड़ लेनी चाहिए थी। वे हमेशा याद आते रहेगे।