मातृ शक्ति कलेक्टर के आदेश की खुलेआम उड़ रही है धज्जियां-प्रतिबंध के बावजूद जारी अवैध बोरिंग

बोरिंग कराई,तो होगी 2 साल की जेल- झाबुआ समेत प्रदेश के ढेरों जिलों में बैन
क्या बोरिंग वाहन होगा जब्त या प्रशासन होगा नतमस्तक? मेघनगर में बना हुआ है चर्चा का विषय
झाबुआ। संजय जैन-सह संपादक। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाबुआ जिले में पारा 45 डिग्री को छू रहा है साथ ही जिले में जल स्तर में निरंतर गिरावट भी हो रही हैं। जल संरक्षण और पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर नेहा मीना ने जिले में नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। बावजूद इसके जिले में धड़ल्ले से अवैध बोरिंग बेख़ौफ जारी है।
प्रशासन का सुस्त रवैया
मेघनगर में शुक्रवार की रात को माइनिंग ऑफिस के सामने अवैध बोरिंग किया जा रहा था,जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर रातभर जमकर वायरल होता रहा। आसपास के रहवासियों ने अवैध नलकूप खनन की सूचना स्थानीय अधिकारियों को भी दी,लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने खबर लिखे जाने तक कोई भी कार्यवाही नहीं की है। प्रशासन का सुस्त रवैया संदेह की स्थिति तो पैदा कर ही रहा है।
कहा गायब हो गया,बोरिंग वाहन रातोंरात?
उल्लेखनीय है कि जिले में सूखे से निपटने,जल संरक्षण और पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर ने पूरे जिले में नलकूप खनन करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही या बोरिंग मशीन संचालकों से उनकी सांठगांठ के चलते,यह कृत्य लगातार जारी है और उन पर कोई कार्यवाही तक नही की गयी हैं। अब देखना ये है कि जिले के मेघनगर में माइनिंग ऑफिस के सामने रात में खुलेआम जो बोरिंग हो रहा था,बोरिंग वाहन का मालिक कौन और रात के अंधेरे में कौन बोरिंग करवा रहा था? मजेदार बात तो यह है कि रात के अंधेरे में 150 फीट बोरिंग करने वाला वाहन रातोरात कहा गायब हो गया? उक्त मामला नगर में बेहद चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
कौन बोरिंग करवा रहा और किसका वाहन था?
कौन बोरिंग करवा रहा और किसका वाहन था? अब प्रशासन को पूरी ईमानदार से इसकी तह तक पहुंचना चाहिए। जांच उपरान्त एसडीएम और तहसीलदार क्या कार्यवाही करते है? यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। जबकि वायरल हुए वीडियो में सारी प्रमाणिकता साफ -साफ नजर भी आ रही है,उसके बाद भी अब अगर कार्रवाई नहीं होती है तो प्रभावी रसूखदार के सामने स्थानीय प्रशासन बौना स्वत: ही साबित हो जाएगा। प्रशासन को सिर्फ ,जिसने बोरिंग करवाई है उसको ही धर दबोच कर सब कुछ उगलवा लेना चाहिए। कलेक्टर के आदेश को कही रसूखदार अपनी जेब में रखने का दावा तो करता नजर नहीं आ रहा है? ऐसा हमारा मानना है।
अवैध बोरिंग करने पर है,दो साल की जेल
अवैध रूप से बोरिंग करने या कराए जाने पर बोरिंग मशीन को जब्त किया जा सकेगा और पुलिस इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कर सकेगी। अनुविभागीय अधिकारी यानी एसडीएम को किसी विशेष मामले में उचित जांच के बाद इसकी अनुमति देने का अधिकारी होगा। राज्य शासन के आदेश का उल्लंघन करने और बोरिंग करते पकड़े जाने पर अधिनियम की धारा-3 या धारा -4 के तहत दो हजार रुपए का जुर्माना और दो साल तक की सजा या फिर दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
सरकारी कार्यों की बोरिंग पर बैन नहीं है
सरकारी कार्यों के लिए किए जाने वाली बोरिंग पर रोक नहीं है। पीएचई विभाग बोरिंग का काम कर सकेगा और इसके लिए उन्हें अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी,यानी पहले से चले आ रहे सरकारी बोरिंग के कार्य और आगे होने वाले कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्यों लगाना पड़ा बोरिंग पर बैन?
दरअसल,खेती,निजी और व्यवसायिक कार्यों के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है। इसकी वजह से भूजल का स्तर नीचे जा रहा है। इसे देखते हुए प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। वहीं,यह भी निर्णय लिया गया है कि किसी क्षेत्र में पानी का संकट होने पर प्रशासन निजी बोरिंग का भी अधिग्रहण कर सकेगी और उसके जरिए पीने का पानी लोगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।
सख्त कार्यवाही अवश्य करेंगे
जल संरक्षण और पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है,इस संबंध में हमें शिकायत प्राप्त हुई है। संबंधित वाहन मौके पर नहीं मिला है, लेकिन हम उसकी जानकारी निकालकर सख्त कार्यवाही अवश्य करेंगे।
रितिका पाटीदार- एसडीएम,मेघनगर