लगातार प्रकाशित खबरो का असर क्या अब निर्देश रहेगा असरकारक?-प्रशासन की पूरी ईमानदारी और दृढ़ इक्षा शक्ति की दरकार

मातृ शक्ति कलेक्टर ने अब जारी किए निर्देश, जब चिड़िया चुग गयी खेत-बेचारे पालको को लूट के चुंगल से मुक्त होने की उम्मीद,शायद अब पूरी तरह खत्म हो गयी
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। उल्लेखनीय है कि लगातार खबरों के प्रकाशन के बाद प्रशासन ने लगता है सिर्फ खाना पूर्ति हेतु तो नहीं जारी कर दिया यह आदेश कि निजी विद्यालयों द्वारा पाठ्यपुस्तकों, यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री के क्रय हेतु पालकों पर अनुचित दबाव बनाने पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। मजेदार बात तो पिछले एक माह से हम प्रशासन का ध्यान इस लूट की ओर खबरो से आकर्षित भी करते चले आ रहे है। सतत प्रकाशित खबरो में 18 मार्च मंगलवार को प्रकाशित खबर डीएओ ने नही मांगी सभी स्कूलों से जानकारी,लूट मचने खुला तो नहीं छोड़ दिया? 19 मार्च बुधवार को प्रकाशित खबर- 15 दिन बाद शुरू होगा नया शिक्षण सत्र,माफियाओं को लूट मचाने के लिए खुला तो छोड़ नही देगा प्रशासन क्या? और शनिवार 12 अप्रैल को प्रकाशित खबर शिक्षा विभाग नहीं तय कर पाया पुस्तक मेले की तिथि,70 प्रतिशत बच्चे खरीद चुके कोर्स नए शिक्षण सत्र को शुरू होने को एक माह बीतने आ चूका है,क्या प्रशासन अब इतने दिनों बाद अपनी चिर निंद्रा से जागा है? उक्त निर्देश कही आनन फानन में मात्र औपचारिकता हेतु हाल ही में मंगलवार को तो जारी नहीं कर दिया? वो भी तब,जब नए शिक्षण सत्र को प्रारंभ हुए 1 माह होने को आ गया है। क्या प्रशासन को इतना भी पता नहीं है कि इन माफियाओं ने अब तक तो अपने लूट का खेल पूरी तरह से खेल लिया होगा? और पीड़ित पालकों की गाढ़ी कमाई पर पुस्तक एवं स्कूल माफियाडाका भी डाल चुके है। उल्लखनीय है अब इतने दिनों बाद जारी किए निर्देश से क्या होगा यह सभी भली भाती जानते ही है,जबकि अधिकतर जिलो में उपरोक्त निर्देश नए शिक्षण सत्र शुरू होने के 1 माह पूर्व ही जारी कर दिए है और तो और शिक्षण पुस्तक मेला भी लगा चुके है,जबकि जिले में शिक्षा विभाग शायद पुस्तक मेले की तिथि तय ही नहीं कर पाया है। इस मामले में तो शायद हमारा जिला पूरी तरह फिसड्डी साबित हो जाएगा,ऐसा हमारा मानना है।
मातृ शक्ति कलेक्टर को रखनी होगी अपनी निगाहे पैनी
कलेक्टर नेहा मीना के आदेशानुसार मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल द्वारा निजी विद्यालयों द्वारा पाठ्य पुस्तकों, यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री के क्रय हेतु पालकों पर अनुचित दबाव बनाने जाने पर उनके विरुद्ध कार्यवाही के संबंध में निर्देश जारी किये गये है। उक्त निर्देश के अनुक्रम में जिले में संचालित मान्यता प्राप्त संस्थाएँ-सीबीएसई विद्यालयों के निरीक्षण हेतु दलों का गठन किया गया है। हर साल परंपरा अनुसार ऊपरोक्त तमाम निर्देश तो जारी कर दिए गए है,लेकिन यह निर्देश हर साल की तरह क ही फाइलों की शोभा बढ़ाने हेतु तो नही दे दिए गए है? आपको ज्ञात हो कि हर साल खबरों का प्रकाशन होता है,फिर ही प्रशासन हरकत में आता है और सिर्फ कॉपी पेस्ट वाला निर्देश ही जारी कर,अपने वातानुकूलित कक्ष में कुंडली मार कर चिर निद्रा में सो जाता है। यही मात्र निर्देशो वाली प्रशासन की परिपाटी पालक सालों से देखते तो चले आ ही रहे है,साथ ही पुस्तक एवं स्कूल माफियाओं द्वारा लुटते भी चले आ रहे है,जिनकी पीड़ा हर साल की तरह इस साल भी शायद कोई दूर कर पायेगा। मातृ शक्ति कलेक्टर को इस निर्देश का परिपालन हेतु जमीनी स्तर पर उतरना होगा,साथ ही इस मामले में नियमित रूप से अपनी पैनी निगाहे संबधित विभाग के द्वारा की गयी कार्यवाही पर रखनी होगी साथ हो लापरवाहों पर तुरंत निलंबन की कार्यवाही तक करने की आवश्यकता है तब सही माने उपरोक्त निर्देशों का कोई औचित्य होगा,ऐसा हमारा मानना है।
प्रशासन की पूरी ईमानदारी और दृढ़ इक्षा शक्ति की दरकार
मजेदार तो हमने हमारी पूर्व की खबरो में नगर के सबसे प्रभावी पुस्तक माफिया गांधी स्टोर्स द्वारा बेख़ौफ लूट की जा रही है,उसका उल्लेख भी किया था। इस बारे में पीड़ित पालको ने हमे नामजद बताया था कि इस पुस्तक माफिया ने बेख़ौब और खुले आम लूट का तांडव मचा रखा है,जिसकी ओर कोई भी देखनेवाला ही नही है। प्रशासन कहता है कि आप शिकायत करे,जबकि पिछले माह खुले आम लूट करने वाले पुस्तक माफिया की नामजद खबरे प्रकाशित भी हो चुकी है। प्रशासन यदि पूरी ईमानदारी और दृढ़ इक्षा शक्ति से प्रकाशित खबरो को पढ़कर सिर्फ उपरोक्त माफिया को ही दबोच लेवे,तो अपने आप जिले के शेष छोटे मोटे पुस्तक एवं स्कूल माफिया पक्का भूमिगत हो जाएंगे और पालक इनके शिकंजे से मुक्त भी हो जाएंगे,ऐसा हमारा मानना है।