कुम्बकर्णीय निद्रा से जागा प्रशासन-मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को झोलाछाप अवैध क्लीनिकों पर कार्यवाही का दिया आदेश

जब मुख्यमंत्री के आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो,अब मात्र जिला प्रशासन के आदेश पर कार्यवाही होगी क्या?
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। गौरतलब है कि इसी समाचार ने अवैध झोलाछाप क्लीनिकों के खिलाफ 9 अप्रैल 2025 के अंक में अक्सर हादसे के बाद ही क्यो जागती है सरकार...? नामक शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद कुम्भकर्णी निद्रा से प्रशासन अब जाग गया है और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को झोलाछाप अवैध क्लीनिकों पर कार्यवाही हेतु एक और नवीन आदेश मातृ शक्ति कलेक्टर ने जारी कर दिया है।
क्या पहले के आदेश बाद भी जिला प्रशासन सोया रहा था?
कलेक्टर ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला झाबुआ ने झोलाछाप क्लिनिक पर कार्यवाही हेतु दो आदेश जारी किए थे,जबकि प्रदेश के मुखिया डॉ.मोहन यादव ने सख्ती से कार्यवाही हेतु दमोह घटना के बाद आदेश दिए थे। पहले भी आयुक्त चिकित्सा शिक्षा संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मध्यप्रदेश शासन भोपाल की ओर से आदेश क्रमांक 248 भोपाल दिनांक 15/7/2024 जारी किया था,उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। तब भी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी चिरनिद्रा में सो रहे थे क्या....?अब अचानक कल सोमवार को भरचक निंद्रा जिला प्रशासन की भंग हुई ओर आनन-फ़ानन में फिर एक नवीन आदेश सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सालय झाबुआ तथा समस्त मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला झाबुआ के नाम आदेश क्रमांक 2709 झाबुआ दिनांक 21/4/2025 से जारी कर दिया,जिसमें उल्लेख किया की गैर मान्यताधारी व्यक्तियों झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा प्रदायित चिकित्सा व्यवसाय को नियंत्रण करे। गौरतलब है कि इसके पूर्व में दो आदेश भी जारी हुए थे,उन पर ब्लॉक मेडिकल अधिकारी के ने क्या कार्यवाही की.....? इस बात की जानकारी लेकर लापरवाह ब्लाक मेडिकल अधिकारी पर कार्यवाही होना थी क्योंकि उनके द्वारा अपने कार्यालय के पत्र क्रमांक 5133 झाबुआ दिनांक 18/7/24 एवं पत्र क्रमांक 2579 दिनांक 15/4/2025 का उल्लेख किया है ,ऐसा हमारा मानना है। अब तीसरे आदेश में यह विशेष इस बात का उल्लेख किया गया है कि आपको पुनः: निर्देशित किया जाता है कि कलेक्टर के आदेशानुसार अनुविभागीय अधिकारी- राजस्व एवं पुलिस विभाग से समन्वय स्थापित कर अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय करने वाले फर्जी चिकित्सकों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए जानकारी प्रति सप्ताह कार्यालय में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करे।
सिंडिकेट के मुखिया को सख्ती से धर दबोच ले
गौरतलब है कि बताया जाता है कि इन झोलाछाप डॉक्टरों बहुत बड़ी सिंडिकेट जिलेवार बनी हुई है,इसका मुखिया सभी अधिकारियों को सेट करके यह गौरख धंधा बेख़ौफ सतत चला पा रहा है। प्रशासन को चाहिए की मात्र इस सिंडिकेट के मुखिया को यदि सख्ती से धर दबोच ले तो,सारे झोलाछाप डॉक्टर के नकाब अपने आप उतर जाएंगे। प्रदेश के कई जिलो के शहरी और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे अनगिनत अनेक झोलाछाप इलाज करने वाले अपना क्लिनिक संचालित कर रहे है,वे सब आज बिना डिग्री लिए करोड़ो में खेल भी रहे है। झोलाछाप डॉक्टर इलाज करने वालो को मानव की जान से ज्यादा लक्ष्मी की अधिक आवश्यकता रहती है। यदि प्रशासन दृढ़ इक्षाशक्ति और ईमानदारी से उपरोक्त आदेश का पालन करे तो इन कुकरमुत्तोओ की तरह फैले इन झोलाछाप डॉक्टरों का साम्राज्य पल भर में ढह जाएगा,ऐसा हमारा मानना है।
आदेश हवा में गांधी के जयकारे के साथ कही खो तो नही जायेगा?
मजेदार बात तो यह है कि जब पूर्व के दो आदेश पर जिम्मेदारों ने कोई कार्यवाही की भी या नहीं,अब फिर एक नया आदेश जारी कर दिया गया। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि जिम्मेदार ब्लाक मेडिकल अधिकारी इन प्रभावियो और उनके सिंडिकेट के कप्तान को अपनी गिरफ्त में ला पाती है या नही,या फिर से मुख्यमंत्री,कलेक्टर और सीएमएचओ के आदेश को अपनी फ़ाइल की शोभा बनाने हेतु फ़ाइल कर फिर से मिठाई खाकर चीर निद्रा में चले जाते है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टर अवैध क्लिनिक खोलकर बैठे है,अब कितने जेल की सलाखों में पहुंचते है या फिर आदेश हवा में गांधी के जयकारे के साथ कही खो तो नही जायेगा....?