पहले से विवाहित जोड़ों का हुआ,गजब सामूहिक कन्या विवाह,जिला प्रशासन की आंखों में धूल तो नही झोंकी?

क्या मातृ शक्ति कलेक्टर फर्जीवाड़े की जांच करवाएगी?-कोई भी कप्तान न कर सके, अवार्डों की होड़ में अनैतिक कार्य 

एक ब्लॉक समन्वयक अधिकारी ने भी योजना का लाभ लेने अपनी बेटी-दामाद की दोबारा शादी करवाई

झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। झाबुआ में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में गत 27 मार्च 2025 को जिला प्रशासन ने इतिहास रचने की मंशा से लगभग 2000 कन्याओं का विवाह,सरकार की सामूहिक कन्या विवाह योजना अंतर्गत करवाकर बहुत सुर्खियां बटोरी थी। उल्लखनीय है कि जिला प्रशासन की ग्राम पंचायत के कारींदो ने ऐसा अजीबो गरीब कारनामा कर दिखाया,जिसमें प्रशासन की बदनामी साफ  तौर से प्रतीत हो रही है। ज्ञात हो कि शिकायत कर्ता ने तो अपनी पीड़ा कलेक्टर को जनसुनवाई में भी व्यक्त कर दी है। साथ ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पेटलावद को भी आवेदन देकर सूचित किया है कि सामूहिक विवाह में विवाह उपरांत दोबारा विवाह करवाया गया है । यह तो साफ  तौर से शायद शासन के मिलीभगत के चलते धोखाधडी कर,मात्र वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया है।

पहले से विवाहित की भी,दूसरी बार शादी करा दी गयी

प्राप्त जानकारी अनुसार लक्ष्मी पिता पूनिया भाभर-निवासी बोरघाट,अनीता पिता रमेश सिंगार-निवासी गुलरिपाडा,राजू पिता वरदीचंद वसुनिया-निवासी भेरूपाडा यह सभी पहले से ही विवाहित थे। मजेदार बात तो यह है कि पंचायत सचिव ने भ्रष्टाचार का सहारा लेकर इनका सामूहिक कन्या विवाह में दोबारा विवाह करवाया ओर शासन की कन्या विवाह योजना का लाभ दिलाकर बेख़ौफ  धोखाधड़ी की है। उनके पूर्व की शादी की पत्रिका भी इस खबर के साथ प्रकाशित की गयी है। यह तीनों सामूहिक कन्या विवाह के लिए पूर्ण रूप से अपात्र थे।

मामला नंबर 1

1-सौ.लक्ष्मी पिता पूनिया भाभर का विवाह 15 मई 2024 में मनोज पिता सुभाष सिंगार निवासी सरदारपुर के यहा हुआ था।

मामला नंबर 2

2-कीर्ति उर्फ  अनिता पिता रमेश चंद्र सिंगार (ब्लॉक समन्वयक अधिकारी)निवासी गुलरीपाडा का विवाह सो.कृष्णा पिता भंवर सिंह मेडा निवासी देवीखेड़ा तहसील सरदारपुर में 10 फरवरी 2025 में संपन्न हुआ था।

इन दोनों विवाह का प्रमाण विवाह पत्रिका समाचार के साथ प्रकाशित भी की जा रही है

10 हजार रुपए रिश्वत की मांग की

इसकी शिकायत गत मंगलवार को कलेक्टर से जनसुनवाई में कैलाश पिता गोबरा सिंगार निवासी गुलरीपाडा ग्राम पंचायत झकनावदा जनपद पंचायत पेटलावद ने कर दी है। उनका कहना है कि उनके पुत्र सुभाष सिंगार का विवाह सौ.ममता डामर पिता देवचन्द डामर- निवासी मोहनकोट के साथ होना तय हुआ था। मैंने भी सामूहिक विवाह में सम्मिलित होने हेतु पंचायत सचिव विनोद देवदा को कन्यादान योजना अंतर्गत आवेदन दिया था। लेकिन पंचायत सचिव विनोद देवदा के द्वारा रुपए 10 हजार रिश्वत की मांग की गयी,साथ ही मुझे बताया कि वरिष्ठ अधिकारी को भी देना पड़ता है। गौरतलब है कि पंचायत सचिव को रिश्वत राशि नहीं देने पर,अपात्र बताकर मेरे आवेदन को निरस्त कर दिया। इससे मैं काफी आहत हुआ और मेरे पुत्र का विवाह समय पर नहीं कर पाया, जिसके चलते काफी आर्थिक नुकसान भी हुआ है।

झूठी वाहवाही लूटने के लिए तो नहीं की गई ऐसी अक्षम्य हरकत?

शिकायत की जांच अब वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाना है। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन के ने खुद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की उपस्थिति में लगभग दो हजार कन्याओं का सामूहिक विवाह करवाया था। जानकारी अनुसार उसमें से कई जोड़े पूर्व से ही विवाहित थे। शायद झूठी वाहवाही लूटने के लिए संबंधित कर्मचारियों ने जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर धोखाधड़ी पूर्वक शासन की योजना का लाभ दिलाया गया है,अब ऐसी चर्चा आम हो रही है।  जिस प्रकार की चर्चा चल रही है संभव है कि भ्रष्टाचार भी हुआ होगा,ऐसा हमारा मानना है,यह आगे सब अब जांच के विषय है। जिला प्रशासन झाबुआ को चाहिए कि जिले में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की उपस्थिति में जो हजारों कन्याओं का सामूहिक विवाह करवाया गया था उसकी जांच हेतु तुरंत एक कमिटी गठित कर जांच करवाए। ऐसा करने से लोगों के द्वारा भ्रष्टाचार कर विवाहित जोड़ों की दोबारा विवाह करने की अफवाहों पर तो विराम लग ही जायेगा साथ ही सच्चाई भी सामने आ जाएगी,ऐसा हमारा मानना है। अब जिला प्रशासन इस शिकायत पर कोई संज्ञान लेकर कार्यवाही करेगा या नहीं यह तो उनके विवेक पर निर्भर है,हमारे पास जो जानकारी आयी , उसे जिला प्रशासन को अवगत कराना हमारा कार्य है।

अक्षम्य कृत्य पर लोगो की प्रतिक्रिया,कोई भी कप्तान न कर सके,अवार्डों की होड़ में अनैतिक कार्य

जब इस मामले में हमने लोगो से चर्चा की तो अधिकतर लोगों का कहना सामूहिक विवाह तो पहले से ही भ्रस्टाचार करने के लिए आयोजित किये जाते रहे है। कभी नकली चांदी तो कभी अमानक सामान आदि ऐसे कई मामले भी पूर्व में सामने आए थे। जिसके बाद से सीधे नकद राशि देने का प्रावधान किया गया,यह प्रावधान तो कर्मचारियों के लिए सोने पर सुहागा बन गया। क्या मातृ शक्ति कलेक्टर फर्जीवाड़े की जांच करवाएगी ? कुछ लोगो ने रोषपूर्वक कहा कि अपना जिला तो जिले के हर दोनो कप्तानों के लिए हमेशा से एक पाठशाला ही रहती है। जो भी आता है सिर्फ  पुरस्कृत होने और अवार्ड पाने के चक्कर मे सब कुछ जानते हुए अनजान बन कर बैठ जाते है,क्योंकि अवार्ड जो उन्हें लेना होता है। साथ ही उनको इस होड़ के पीछे उनकी मंशा रहती है कि उनकी अगली पीस्टिंग किसे बड़े जिले में हो जाये। इस अक्षम्य कृत्य के बाद से तो हमने अब अपना मन पूरी तरह से बना लिया है कि इस कृत्य को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को सूचित कर इसके पीछे जिले के  कप्तानों की क्या मंशा है, इससे उनको अवगत अवश्य कराएंगे,ताकि भविष्य में अवार्डों की होड़ में अनैतिक कार्य कोई भी कप्तान न कर सके।

आरोप निराधार है

हमारे द्वारा पेटलावद जनपद पंचायत क्षेत्र के प्राप्त सभी आवेदनों की अनुशंसा ली गई और विवाह के पूर्व सूची का प्रकाशन भी किया गया था। जिसमें जानकारी प्राप्त हुई ,उनके फार्म निरस्त किए,साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अनमोल पोर्टल पर भी सूची डाली थी।मिली जानकारी अनुसार भी कुछ फॉर्म निरस्त किए गए। शिकायतकर्ता ने जो आरोप लगाए वे निराधार है।

राजेश कुमार दीक्षित-मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पेटलावद