दिग्विजय सिंह ने अपना पोलिटिकल इंटेलीजेंस दिखा ही दिया

लोकतंत्र बचेगा या नहीं?-सरकार को झकझोर देने वाली पत्रकारिता अब नजर नहीं आती

झाबुआ/ इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। चतुर राजनीतिज्ञ वही है, जो चाहे जिस कार्यक्रम में भी जाए, लेकिन वक्ता की हैसियत से ही वही कहे जो उसने पहले से ही तय कर रखा हो। वक्ता फिर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह जैसा हो तो,वो पोलिटिकल इंटेलीजेंस के मामले में कई नेताओं पर भारी पड़ते हैं। उल्लखनीय है कि हाल ही में स्टेट प्रेस क्लब के भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में उन्हें बोलना था एआई का जीवन पर प्रभाव’ विषय पर लेकिन वो तो तय कर के आए थे कि बोलूंगा तो सिर्फ ईवीएम में गड़बड़ी और वन नेशन- वन इलेक्शन पर ही । मंच पर उनकी पत्नी अमृता भी थीं, वे विषय पर बोलीं और पत्रकार की तरह अन्य वक्ताओं के वक्तव्य पर टोकाटोकी भी करती रहीं।

नगर निगम के नवाचार गिनाए

मंच पर इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने नगर निगम के नवाचार तो गिनाए ही, साथ ही संविधान के 74वें संशोधन से मप्र में नगर निकायों को मिले अधिकार और पंचायतराज में मिली शक्तियों के लिये दिग्विजय सिंह की पहल की सराहना के साथ वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर अपनी बात भी रखी। (पार्टी की गाइड लाइन का पालन करते हुए) दिग्विजय सिंह के वक्तव्य पर उन्होंने अपनी कोई बात नहीं कही, जब कि श्रोता समझ चुके थे कि वे ईवीएम, एक देश-एक चुनाव मुद्दे पर उनकी हर बात का वे जवाब दे सकते थे। 

लोकतंत्र बचेगा या नहीं?

दिग्विजय सिंह ने वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा संविधान की अनदेखी का जिक्र करते हुए कहा  वन नेशन, वन इलेक्शन की बात करने वाले एक कानून का पालन क्यों नहीं करते...? वक्फ बोर्ड में भेदभाव झलकता है।विभिन्न ट्रस्टों में अन्य जाति का व्यक्ति नहीं हो सकता तो मुसलमानों के ट्रस्ट में गैर मुसलमान कैसे हो सकता है? देश में यदि लोकतंत्र को जीवित रखना है,तो निष्पक्ष चुनाव आयोग की आवश्यकता है। विपक्ष को वोटर लिस्ट नहीं मिलती है, नियमों का पालन नहीं हो रहा और चुनाव आयोग से कोई उत्तर भी नहीं मिलता है। हम चिंतित हैं कि देश में लोकतंत्र बचेगा या नहीं? लोकतंत्र को जीवित रखना है तो निष्पक्ष चुनाव आयोग बेहद जरूरी है। आज निष्पक्ष चुनाव भारतीय लोकतंत्र के लिये जरूरी है।मैं कहता आया हूं मुझे ईवीएम पर भरोसा नहीं है। वो मशीन हमारे वोट का नहीं,उस साफ्टवेअर का ही आदेश मान रही है।हमारी आपत्ति है कि साफ्टवेअर बता दीजिये, बाकी देशों में यह निष्पक्षता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के एलन मस्क, तुलसी गवार्ड ने भी ईवीएम हेक होने को स्वीकारा भी है। हम इसीलिये बेलट पेपर से चुनाव की मांग कर रहे हैं। बूथ केप्चरिंग तो दिख जाती थी, ईवीएम केप्चरिंग तो दिखती भी नहीं है।लोकतंत्र पर कब्जा करने के प्रयास में चुनाव आयोग सहयोगी बना हुआ है। किसी भी सफल लोकतंत्र में जनता को सूचना का अधिकार होना चाहिए। योजनाएं तो 2047 को फोकस कर के बनाई जा रही है,लेकिन तब तक लोकतंत्र बचेगा या नहीं यह देखना है। 

सरकार को झकझोर देने वाली पत्रकारिता अब नजर नहीं आती,हमें एआई का गुलाम नहीं होना चाहिए

अमृता सिंह(राय) की यह चिंता थी कि नई पीढ़ी को सीख देने वाले लोग अब नहीं है।अब समझौता वादी पत्रकारिता देख कर बेहद रोष भी होता है। सरकार को झकझोर देने वाली पत्रकारिता अब नजर नहीं आती है। एआई सहित नई चीजें आती रहेंगी। मेरे वक्त में इलेक्ट्रानिक मीडिया का उदय हो रहा था। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आदर्श/मानदंड कम हो रहे हैं। सोशल मीडिया के दौर में सिटीजन जर्नलिज्म को बढ़ावा मिला था। अब पत्रकारिता की जिम्मेदारी कम नजर आती है। टेक्नालॉजी ने माध्यम तो दिया, लेकिन जिम्मेदारी वैसी नहीं रही। आज टेक्नालॉजी हावी होने के साथ ही हम टेक्नालॉजी से इस्तेमाल हो रहे हैं।कई बार ज्यादातर पत्रकारों की एक जैसी भाषा में लिखा देखने को मिलने पर समझ आया कि चेट जीपीटी की मदद ले रहे हैं। आप की बौद्धिकता को कोई एआई चुनौती नहीं दे सकता। हमें उसका गुलाम नहीं होना चाहिए। मप्र के पत्रकारों के घर जलाए जा रहे, जेल भेजे जा रहे हैं,ऐसे में भी आप अपने पेशे को जिंदा रखे हुए हैं,यह बहुत बड़ी बात है। 

वन नेशन-वन इलेक्शन से पैसा, समय बचेगा

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा नेहरुजी के वक्त में अलग अलग चुनाव होते रहे। अटलजी ने वन नेशन-वन इलेक्शन की बात कही थी। कोविंद जी ने रिपोर्ट पेश कर यह कानून जेपीसी को भेज दिया है। देश का पैसा, वक्त, बचाना जरूरी है। अलग अलग चुनाव पर पिछली बार साढे छह लाख करोड़ खर्चा हुए। एक साथ चुनाव होने पर मात्र डेढ़ लाख करोड़ ही खर्चा होते।साथ ही पार्टियों को चंदा देने और लेने वालों को एक बार ही लेन देन करना पड़ेगा। मैं मेयर बना टैक्स बढ़ाने जैसा कठोर निर्णय लेने वाला था, लेकिन हर बार कोई  चुनाव निकल आया। निगम के जनभागीदारी के मॉडल को अन्य शहरों तक ले जाना है। सोलर सिटी बनाने, ग्रीन बॉंड लाने जैसे काम से पब्लिक पार्टिसिपेशन का नवाचार किया। 

महापौर का पलटवार

दिग्विजय सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा था कि भाजपा में जाने की होड़ लगी है।सारे घराने भाजपा को ही चंदा दे रहे हैं इसके जवाब में  महापौर ने कहा स्कूल (पार्टी ) कमजोर होता है तो स्टूडेंट भी कमजोर हो जाता है।चंदा देने वाले भी जानते हैं कि देश बनाने के काम में किस दल को सहयोग करना है। ईवीएम पर शंका को लेकर  कहा देश की जनता जानती है सच क्या है....? चुनाव आयोग भी समय समय पर प्रश्नों के  भी जवाब देता है। एआई उन देशों की प्लॉनिंग है,जो दुनिया के हर आदमी पर नजर रखना चाहते हैं। इसी कारण डॉटा चोरी हो रहा है। एआई से घबराए नहीं उसके सदुपयोग से अपने विचार को मजबूती से रख सकते हैं। एआई तब तक ही काम करता है जब तक आर्टिफिशियल डॉटा ही डाला जाए।

पहले प्रेस में आजादी वाला माहौल था

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने संबोधित करते हुए कहा कि पहले प्रेस में आजादी वाला माहौल था।आज के नेता-मंत्री पत्रकारों के तीखे सवाल सहन ही नहीं कर सकते।भारत में नेशनल मीडिया पॉलिसी के लिये काम कर रहे हैं। इस बिल की मंजूरी के लिये विपक्ष के साथ सरकार से भी पत्रकार अपेक्षा रखते हैं।