क्या पेटलावद सीएमओ आशा भंडारी को हकीकत में आंखों के सामने सब कुछ होते हुए भी, कुछ भी दिखाई नहीं दिया या देखकर भी वे अंजान तो नही बनी रही ...?
झाबुआ/इंदौर, संजय जैन-सह संपादक। सीएमओ आशा भंडारी को हकीकत में आंखों के सामने सब कुछ होते हुए भी उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दिया या देखकर भी वे अंजान तो नही बनी रही ....? जिसके कुछ उदाहरण रिकॉर्ड के आधार पर और मौका स्थल को देखने के बाद ही हम हमारी कलम से प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित सतत कर भी रहे है। सीएमओ की इतनी अधिक अक्षम्य लापरवाही के बावजूद भी प्रशासन सिर्फ जांच का आदेश जारी कर भूल तो नहीं गया दर्दनाक हादसे को....? अब तक की हुई कार्यवाही से यह साफ प्रतीत हो भी रहा है। कही सीएमओ को आखिर संरक्षण सरकार या प्रशासन का तो नहीं........?
पास का दिखाई न देने का प्रमाण...
थांदला रोड भंडारी पेट्रोल पंप के पीछे मालपाड़ा रोड पर नरसिंहदास बैरागी के द्वारा नगर परिषद के सूचना पत्र अनुसार बगैर अनुमति के अवैध रूप से निर्माण कि या जा रहा था। गौरतलब है कि जारी पत्र क्रमांक सा-प्रन-प/25/1892-पेटलावद-दिनांक 02/04/2025 में अधोहस्तक्षरकर्ता को जानकारी दिनांक 23/03/2024 को लिखा,जबकि वर्तमान में वर्ष 2025 चल रहा है। उक्त सूचना पत्र जारी करने हेतु उस पर हस्ताक्षर नस्ती और प्रिंट सूचना पत्र तो सीएमओ के समक्ष(टेबल)आया ही होगा,जिसके उपरांत ही सीएमओ ने सूचना पत्र पर हस्ताक्षर किए होंगे.....क्या उन्होंने सूचना पत्र पढ़ा ही नहीं या जानकारी में अंकित वर्ष उन्हें दिखाई ही नहीं दिया,जबकि उनकी खुली आंखों के सामने ही फाइल ओर सूचना पत्र उनके टेबल से ही जारी किया गया है।
दूर का दिखाई नहीं देना,के कुछ उदाहरण....
पहला उदाहरण....
थांदला रोड भंडारी पेट्रोल पंप के पीछे मालपाड़ा रोड पर नरसिंहदास बैरागी के द्वारा 6000 वर्ग फिट का मल्टी प्लेक्स सह शॉपिंग कांप्लेक्स निर्माण कार्य विगत 8 से 10 माह से सतत चल रहा था। उल्लेखनीय है कि उसी मार्ग पर न्यायालय भी बना हुआ है.....सीएमओ नगर परिषद के कार्य अथवा नगर भ्रमण करने ही नहीं गई होगी क्या....? वही दूसरी ओर उसी मार्ग पर शासकीय भूमि पर रेत ढेर लगाकर बिक भी भी रही है, इस अवैध बिक्री के खिलाफ भी उन्होंने अतिक्रमण की कोई कार्यवाही नहीं की क्या....? या यह भी कह सकते है कि यह भी उनके खुली आंखों के सामने कुछ दूरी पर होते हुए भी उन्हें दिखाई ही नहीं दिया,यह तो वही जाने...। हम तो इस पर यही कह सकते है कि यह जो पब्लिक है कि सब जानती है... फिर यह बात प्रशासन क्यो अछूती रह गयी,यह बात लोगों की समझ से तो कोसों दूर है ।
दूसरा उदाहरण...
नगर के लोगो ने हमें बताया कि थांदला रोड -भंडारी पेट्रोल पंप के सामने मालपाड़ा रोड पर पहले प्रज्ञा दीप स्कूल हुआ करता था,उस जमीन पर अवैध कालोनी का निर्माण कर लिया गया है। इस अवैध कॉलोनी पर कुछ मकान भी बन कर खड़े हो चुके है। मजेदार बात तो यह है कि नगर परिषद की कचरा गाड़ी वहाँ नियमित जाती भी है। साथ ही कुछ लोगों ने अवैध रूप से प्लांट काटकर बेचने हेतु चिन्हित भी कर रखा है। क्या शासन आदेश के पालन में सीएमओ ने नगर में अवैध कालोनियों का निरीक्षण तक नहीं किया...? या यह भी उनकी आंखों के सामने होते हुए,उन्हें भी कुछ दूरी से यह भी दिखाई ही नहीं दिया।
तीसरा उदाहरण...
नगर की गरीब लोगों की बस्ती में एक नाली का पानी सड़क पर सतत बह रहा है, जिसके समाचार मीडिया में प्रकाशित भी हुए थे। नगर भ्रमण के दौरान सीएमओ को कुछ दूर से यह भी दिखाई नहीं दिया क्या....? लिखने को तो ऐसे कई उदाहरण है,लेकिन जो प्रमुख थे उनका ही उल्लेख हमने इस खबर के माध्यम से प्रशासन के समक्ष रख दिये है। अब तो आगे यह देखना की सततं खबरों के बाद सरकार या प्रशासन क्या कार्यवाही करता है......?
क्या कार्यवाही हेतु प्रस्ताव प्रमुख सचिव/आयुक्त नगरीय प्रशासन विकास एवं आवास विभाग भोपाल को अनुशंसा हेतु भेजेंगी...?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार पेटलावद शहर में कई कालोनियां अवैध रूप से बनी हुई है जिसमे से कुछ सीएमओ आशा भंडारी के वर्तमान कार्यकाल में बन भी रही है,जिसकी बारीकी से जांच की जाए तो स्वत: ही सभी के सामने सच आ जाएगा। पेटलावद शहर में कितनी अवैध कालोनियों बनी और किसके कार्यकाल में बनी है....? साथ ही कितनी कृषि भूमि का अभी तक डायवर्सन हुआ है या डायवर्सन बगैर प्लाट विक्रय कर दिए गए है। इनमें से कुछ पर तो भवन निर्माण तक हो गए है। क्या कलेक्टर नेहा मीना तथा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तनुश्री मीना इनकी जांच करवाकर शासन के नियमानुसार संबंधित अवैध कालोनी काटने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की कार्यवाही करेगी....? और साथ ही क्या सीएमओ की लापरवाही मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही हेतु प्रस्ताव प्रमुख सचिव/आयुक्त नगरीय प्रशासन विकास एवं आवास विभाग भोपाल को अनुशंसा हेतु भेजेंगी।