चालाकी हुई उजागर कही जांच रिपोर्ट आने के पहले ही,जांच को प्रभावित करने हेतु जारी तो नही किया नोटिस पेटलावद सीएमओ ने?

प्रेस नोट में मृतक के परिवार को दी गयी आर्थिक सहायता का उल्लेख करना क्या उचित है? जांच में बाधा डालने के लिए सीएमओ के खिलाफ  विधि अनुसार कार्यवाही होगी क्या?

झाबुआ/इंदौर। । संजय जैन-सह संपादक। पेटलावद निर्माण हादसे मामले की जांच को सीएमओ पेटलावद खुले रूप से बेख़ौफ  प्रभावित कर रही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि उन्होंने भवन मालिक नरसिंह दास पिता प्रकाश चन्द्र बैरागी को 2 अप्रैल 25 को सूचना पत्र यह लिखते हुए जारी किया है कि 3 दिवस में जवाब नही देने पर अवैध रूप से किए जा रहे निर्माण को सील कर उसे मूल स्वरूप में ला दिया जाएगा। मजेदार बात तो यह है कि अभी तो जांच चल ही रही है,फिर भी जांच रिपोर्ट आने के पहले ही पेटलावद जिम्मेदार अधिकारी सीएमओ ने नोटिस क्यो जारी कर दिया ? यह तो वे ही जाने क्या सीएमओ अपने अधिकारों का दुरुपयोग तो नही कर रही है ? साथ ही प्रेस नोट में मृतक के परिवार को दी गयी आर्थिक सहायता का उल्लेख करना क्या उचित है ? यह तो साफ  तौर से जांच को प्रभावित और खुद को बेहद जिम्मेदार अधिकारी दिखाने हेतु एक सुनियोजित चालाकी तो है,ऐसा हमारा मानना है।

उपरोक्त के अलावा इतनी सारी अनियमितता,फिर भी क्यो नहीं कर पा रहे जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही?

गौरतलब है कि नगर परिषद पेटलावद सीएमओ आशा भंडारी जिन्होंने नगर पालिका अधिनियम 1961 एवं उसके अंतर्गत बनी धाराओं का पालन न करते हुए अनुशासनहीनता का कार्य किया है। साथ ही उन्होंने प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग भोपाल के परिपत्र का जिसमें प्रातः: 6 बजे से 9 बजे तक स्वच्छता अभियान के तहत नगर में भ्रमण कर,नगर सफाई इत्यादि का अवलोकन न करते हुए आदेश की अवहेलना भी की है। सूत्रों नुसार नगर परिषद पेटलावद में जब से वे पदस्थ हुई तब से मुख्यालय पर न रहते हुए अधिकतर रोजाना आना-जाना करती भी है,जबकि उन्हें तो मुख्यालय पर रहना चाहिए क्योंकि परिषद पेटलावद की स्थाई सीएमओ के बतौर उनको नियुक्त किया गया है।

क्या उनको सरकार, प्रशासनिक या जिला प्रशासन का संरक्षण प्राप्त तो नहीं है?

उल्लेखनीय है कि इस प्रकार से इन्होंने सीएमओ रहते हुए कई प्रकार की त्रुटियां कर अनुशासनहीनता का कार्य किया है,जो नगर पालिका कर्मचारी भर्ती तथा सेवा शर्ते व नियमों का साफ  तौर से उल्लंघन तो है,साथ वे इस तहत दोषी भी है । सीएमओ के खिलाफ  अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। क्या उनको सरकार, प्रशासनिक या जिला प्रशासन का संरक्षण प्राप्त तो नहीं है....? यदि नहीं है तो फिर अभी तक उनके खिलाफ  घटना के 12 दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होना,कई प्रकार की शंका कुशंकाओ को जन्म देती साफ  नजर तो आ रही है।

जारी प्रेस नोट में मृतक के परिवार को दी गयी आर्थिक सहायता का उल्लेख करना क्या उचित है?

पेटलवाद नगर परिषद ने 2 अप्रैल को अवैध रूप से किया जा रहे निर्माण को सील कर उसे मूल स्वरूप में लाने के लिए जांच रिपोर्ट आने से पहले ही नोटिस जारी कर दिया है। मजेदार बात तो यह है कि नगर परिषद पेटलावद ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि पीड़ित परिवार को संबल योजना के तहत 4 लाख मिलेंगे,सीएमओ ने प्रक रण बनाकर स्वीकृति हेतु भेजा है। मंत्री निर्मला भूरिया के प्रयासों से परिजनों को शासन स्वीकृति उपरांत आर्थिक सहायता के रूप में 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का स्वीकृति पत्र प्रदान कर,राशि संबंधित के खाते में सीधे जमा की जा सकेगी। प्रेस नोट में मृतक के परिवार को दी गयी आर्थिक सहायता का उल्लेख करना क्या उचित है?

जांच चल रही है फिर भी बेख़ौफ  जारी कर दिया सूचना पत्र

नगर परिषद पेटलावद के द्वारा नगरीय क्षेत्र में अवैध रूप से निर्माण किए जाने एवं अवैध निर्माण की गिली छत भरने के दौरान गिरने से हुई क्षति के संबंध में  नगर परिषद ने कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण कर्ता नरसिंग दास बैरागी पिता प्रकाश चंद्र बैरागी निवासी पेटलावद के खिलाफ  सख्त कार्यवाही करते हुए अवैध निर्माण को सील कर उसे मूल स्वरूप में लाने के लिए कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी कर,जवाब मांगा है। जारी नोटिस में कहा गया है कि आपके द्वारा अवैध रूप से निकाय से बिना अनुमति के निर्माण कार्य किया गया है और उक्त निर्माण कार्य कार्य की छत गिरने से आपके वहाँ कार्यरत कुछ मजदूरों को चोट लगी एवं दो लोगों की आकस्मिक मृत्यु हुई है । उक्त मामला संज्ञान में आते ही संबंधित नवीन दास बैरागी के खिलाफ  निकाय द्वारा मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही करने हेतु पत्र प्रेषित कर जवाब मांगा गया है । गौरतलब  है कि सीएमओ पेटलावद की अक्षम्य लापरवाही को,हमने प्रशासन के सम्मुख लगातार खबरें प्रकाशित कर लाया भी है। 2 अप्रैल को तो सीएमओ ने हद ही कर दी,उन्होंने अपनी हठधर्मिता के चलते जांच रिपोर्ट आने से पहले ही उसको प्रभावित करने के उद्देश्य से भवन मालिक को सूचना पत्र जारी भी कर दिया। नगर परिषद पेटलावद ने सूचना पत्र की कॉपी अधिकतर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को भी भेजी है। मजेदार बात तो यह है कि जब हमने कुछ जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि इस सूचना पत्र की हमें कोई भी जानकारी है ही नही। तनुश्री मीना एसडीएम पेटलावद ने तो हमसे सूचना पत्र की कॉपी ही मांग ली,जो हमने उनको हाथोहाथ उनके व्हाट्सअप नंबर पर भेज दी। इससे तो यह साफ  प्रतीत होता है कि कही सीएमओ ने अपनी मनमर्जी से जिम्मेदार अधिकारियों से मार्गदर्शन लिए बिना ही नोटिस जारी तो नही कर दिया?

कॉल रिसीव नहीं किया

इस संदर्भ में हमने कलेक्टर से चर्चा करनी चाहिये तो उन्होंने हर बार की तरह खबर लिखे जाने तक कॉल ही रिसीव नहीं किया।                        

नेहा मीना- कलेक्टर - झाबुआ

सीएमओ ने फोन नहीं उठाया 

आशा भंडारी सीएमओ नगर परिषद पेटलावद को बगैर अनुमति निर्माण के संबंध में जानकारी लेने हेतु फोन लगाया लेकिन सीएमओ ने फोन नहीं उठाया

आशा भंडारी- सीएमओ,पेटलावद

अप-डाउन कर रही है तो यह गलत है

अभी जांच चल रही है,जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कुछ बता पाऊंगा। मुझे सूचना पत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सीएमओ अधिकतर रोजाना अप-डाउन कर रही है तो यह गलत है। आप एसडीएम पेटलावद से दोनो मामले की चर्चा करें।

अक्षय सिंह मरकाम- एडीएम, झाबुआ

नोटिस के बारे में मुझे कुछ भी पता नही

अभी जांच चल रही है,जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कुछ बता पाऊंगी। आपके द्वारा मुझे संज्ञान में आया है कि सीएमओ ने भवन मालिक को सूचना पत्र जारी किया है। इस नोटिस के बारे में मुझे कुछ भी पता नही है,यदि आपके पास इसकी प्रति हो तो मुझे अवश्य भेजे। आप का प्रश्न सही है कि यदि जांच चल रही है तो सूचनापत्र सीएमओ कैसे जारी कर सकती है।

तनुश्री मीना- एसडीएम,पेटलावद