लगातार पेटलावद हादसे में सीएमओ की अक्षम्य लापरवाही पर अलग हटकर*संघर्ष से सिद्धि की विशेष पेशकश : संजय जैन-सह संपादक की कलम से

सीएमओ ने अपनी अक्षम्य लापरवाही दूसरों के मत्थो पर डालने की चालाकी की है -कही सीएमओ को आखिर संरक्षण सरकार या प्रशासन का तो नहीं?
सीएमओ एक बेहद ही जिम्मेदार नियंत्रक अधिकारी होता है -12 दिन बीत गए हादसे के लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही क्यों नहीं हो पायी?
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-सह संपादक। जैसा कि सभी को ज्ञात है कि जिले के पेटलावद नगर में 23 मार्च 2025 को एक दिल दहला देने वाला दर्दनाक हादसा ही नहीं हुआ था,बल्कि दो परिवार भी बुरी तरह से तहस नहस हो चुके है। पेटलावद में नृसिंहदास वैरागी उर्फ नवीन पिता प्रकाश चंद्र वैरागी के द्वारा मल्टीप्लेक्स सह शॉपिंग कांप्लेक्स का निर्माण कार्य करवाया जा रहा था। उसने नगर परिषद पेटलावद में ऑनलाइन आवेदन निर्माण स्वीकृति हेतु लगाया भी था,जिसमें कुछ त्रुटि होने से उसे ऑनलाइन ही निरस्त कर दिया गया था। इसके उपरांत आर्किटेक्ट के माध्यम से उसने पुन: दूसरी बार ऑनलाइन आवेदन निर्माण पोर्टल पर डाला,जिस पर इंजीनियर ने केवल #प्लीज चेक# की टिप संबंधित के आवेदन पर ऑनलाइन पोर्टल पर लिख दी। उसके बाद आवेदक ने न तो क्यूरी नगर परिषद से और न ही संबंधित अधिकारियों से की,जैसा इंजीनियर ओर सीएमओ की बातों से साफ प्रतीत भी रहा है।
आवेदन के बाद एक माह की अवधि बीत जाने पर,स्वत ही निर्माण की स्वीकृति मान ली जाती है- धारा-187 अनुसार
नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 187 जो निर्माण स्वीकृति के लिए बनाई गई है,उसमें स्पष्ट अंकित है कि नगर परिषद आवेदन प्राप्ति के बाद संबंधित को आवेदन देकर अपेक्षा करेगी कि वह जब तक नगर परिषद के द्वारा संबंधित को निर्माण कार्य की अनुमति ऑनलाइन आवेदन पर जारी नहीं की जाती है तो वह तब तक निर्माण नहीं करेगा और यदि संबंधित को सूचना पत्र नहीं दिया जाता है तो आवेदन को एक माह की अवधि बीत जाने पर स्वत ही निर्माण की स्वीकृति हो जाएगी। शायद इसके चलते ही आवेदक ने मल्टीप्लेक्स सह शॉपिंग कांप्लेक्स का निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया था।
होता है सीएमओ एक बेहद ही जिम्मेदार नियंत्रक अधिकारी
गौरतलब हैं कि जब अचानक निर्माण स्थल पर मल्टी प्लेक्स सह शॉपिंग कांप्लेक्स निर्माण की ऊपरी छत भड़भड़ाकर गिर गयी,जिसके नीचे दबने से दो मजदूरों की मौत इलाज के दौरान हुई ओर तीन मजदूर गंभीर घायल हुए,तब घटना होने के बाद जिला प्रशासन आनन फानन में हरकत में आया। मजेदार बात तो यह है कि क्या नगर परिषद के जिम्मेदारों ने भी विगत 8 माह से अधिक समय से चल रहे उक्त निर्माण कार्य को देखा तक नहीं? और न ही निर्माण पोर्टल को देखने की जहमत ही नहीं उठाई थी। ज्ञात हो कि सीएमओ ऑनलाइन पोर्टल का एक बेहद ही जिम्मेदार नियंत्रक अधिकारी तो होता ही और उसे रोजाना निरीक्षण -परीक्षण भी करना होता है। आज की स्थिति में कितने आवेदन प्राप्त हुए,कितने स्वीकृत हुए और कितने पेंडिंग है....? इस बात पर भी उन्हें सतत अपनी निगाह रखना होती है। पेटलावद सीएमओ आशा भंडारी ने या तो ऑनलाइन निर्माण कार्य की स्वीकृति को पोर्टल पर देखा ही नहीं या देखकर भी अनजान बनी रही,इससे साफ प्रतीत होता है कि,इस मामले में पूरी तरह से लापरवाह ही रही।
निर्माण कार्य के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई
सीएमओ को नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 187 में एक संशोधन कर बगैर अनुमति निर्माण के लिए प्रशमन के साथ ही कुछ नियम बनाए है,उसमें भवन हटाने के भी नियम है,जिसके लिए कुछ प्रावधान भी है। उक्त नियमों का गजट प्रकाशन भी राजपत्र में हुआ है। उपरोक्त प्रावधान के तहत उक्त मल्टी प्लेक्स सह शॉपिंग कांप्लेक्स के निर्माण कार्य को पूर्ण होने के बाद स्वीकृति देने की शायद कोई योजना बनाई होगी,उस अनुसार ही शायद उपरोक्त मल्टीप्लेक्स सह शॉपिंग कांप्लेक्स के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई, ऐसा साफ प्रतीत होता है।
की है सीएमओ ने अपनी अक्षम्य लापरवाही दूसरों को मत्थो पर डालने की चालाकी
सीएमओ आशा भंडारी ने सारा दोष उपयंत्री ओर कर्मचारी पर ढोलने के लिए आनन फ़ानन में सूचना पत्र भी जारी कर दिया,जबकि स्वयं भी उस कार्य के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। उन्होंने अपनी गलती को छुपाने के उद्देश्य से उक्त अक्षम्य लापरवाही दूसरों को मत्थो पर डालने की चालाकी की है। कलेक्टर,एसडीएम से लेकर जिले के तमाम अधिकारियों को,जो अपने अपने कार्यालय प्रमुख है,इन सभी को पता है कि नगर परिषद की सीएमओ संस्था की नियंत्रक अधिकारी होता है। इस मान से तो सबसे पहले सीएमओ पेटलावद को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना था,ऐसा हमारा मानना है। लेकिन न तो अभी तक नगरीय विकास एवं विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने ऐसा किया और न ही कलेक्टर नेहा मीना ने सीएमओ को जिम्मेदार मानते हुए,उन्हें निलंबित करने के लिए प्रस्ताव प्रमुख सचिव-आयुक्त नगरीय विकास एवं आवास विभाग भोपाल को भेजा है। केवल जांच के आदेश जारी कर दिए जो कि विगत कई दिनों से कछुए की गति से चल रही,जिससे अभी तक लापरवाहों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो पायी है। सूत्रों नुसार पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल ने भी आरोपी नरसिंहदास उर्फ नवीन वैरागी को पकड़ने के लिए कोई सख्त कदम शायद उठाया ही नही है।