मात्र पल्ला झाड़ देने से सीएमओ की जवाबदारी समाप्त होती है क्या?किसीकी टोपी किसके सर

सीएमओ को प्रात: सफाई व्यवस्था का जायजा लेने हेतु नगर भ्रमण करने के आदेश-क्या सीएमओ ने नगर में भ्रमण नहीं किया और किया तो निर्माण कार्य उन्हें क्यो नहीं दिख?

कही भाजपा का दोहरा चरित्र तो नही? पार्षद को बचाने के लिए थांदला सीएमओ को किया था निलंबित,अब पेटलावद सीएमओ को बचाने दिलाया मृतक परिवार को नाम मात्र का मुआवजा-इसे भाजपा का शासन कहे या ?

झाबुआ। संजय जैन-सह संपादक। हाल ही में रविवार को हुए पेटलावद हादसे में भाजपा का दोहरा रवैया और चरित्र उजागर हो रहा है,इसे कहने में कोई भी अतिशयोक्ति नही होगी। कारण थांदला में श्वान की मौत पर भाजपा पार्षद की स्पष्ट भूमिका होने के बावजूद भी उसको बचाने के लिए निर्दोष सीएमओ को तत्काल निलंबित कर दिया गया था। वही दूसरी ओर पेटलावद में बगैर अनुमति मल्टीप्लेक्स सहित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण के खिलाफ  कोई भी कार्यवाही नहीं करने वाले सीएमओ को शायद बचाने के लिए तत्काल नाम मात्र के मुआवजा प्रदान कर उन्हें स्पष्ट रूप से बचा लिया है,यह साफ प्रतीत हो रहा है । गौरतलब है कि बगैर अनुमति इतना बड़ा निर्माण तो कोई प्रभावी ही कर सकता है। पेटलावद विधायक और कैबिनेट मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया पेटलावद की होते हुए भी उन्होंने न ही कोई संज्ञान लिया और न ही कोई कार्यवाही प्रस्तावित की है। इस बात से यह भी कह सकते है कि इसमें भाजपा का साफ  दोहरा चरित्र उजागर हो रहा है,जिसकी सभी दूर घोर निंदा भी हो रही है।आपको बता दे कि इस अवैध निर्माण की छत गिरने से दो की दर्दनाक मौत और तीन मजदूर गंभीर घायल हुए है।

यह जो पब्लिक है कि सब जानती है

नगर परिषद सीएमओ का दायित्व था कि उन्हें निर्माण हेतु प्राप्त आवेदन का निराकरण करना था और अगर कोई त्रुटि आवेदन में थी,तो संबंधित को पत्र के माध्यम से अवगत भी करवाना था। मजेदार बात तो यह है कि इतने छोटे से नगर भ्रमण में बगैर अनुमति निर्माण चल रहा था तो उन्हें दिखाई क्यों नहीं दिया? इसका जवाब तो वे ही बता सकती है। अगर निर्माण दिखाई दिया था तो उन्हें नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 187  के तहत बने नियमों के संबंधित को सूचना पत्र जारी करना चाहिए था,लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया....? यह अब सभी लोग समझ ही गए होंगे,क्योंकि यह जो पब्लिक है कि सब जानती है।

क्या कारण रहा होगा कि सीएमओ धृतराष्ट्र बनी रही?

समस्त निकायों के मुख्य नगरपालिका अधिकारीयो को प्रमुख सचिव  मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग भोपाल ने क्रमांक 3667 भोपाल दिनांक 25/10/2019 को प्रातः 6 बजे से 9 बजे तक अनिवार्यत: प्रातःकालीन भ्रमण पर फील्ड पर रहने हेतु आदेशित किया था।  उसके पालन में सीएमओ को नगर को सफाई में नंबर वन बनाने हेतु नगर का भ्रमण करना तो चाहिए था,यदि आदेश का पालन उन्होंने किया होता तो स्वत ही उन्हें बगैर अनुमति से चल रहे निर्माण कार्य मौका स्थल पर दिखाई दे जाता,जिसमे कोई संदेह ही नहीं था। इस लापरवाही के चलते बिना अनुमति के निर्माण कार्य दो मंजिला तक पहुच चुका था। ज्ञात हो कि इसी अवैध निर्माण की छत डालने का कार्य किया जा रहा था,तभी उपरोक्त दर्दनाक हादसा हुआ था। वह तो बिना अनुमति निर्माण कार्य करने की जानकारी सार्वजनिक हुई,नही तो महीनों से शायद गठजोड़ से सब ठीक तो चल ही रहा था। क्या कारण रहा होगा कि

सीएमओ क्यों धृतराष्ट्र बनी रही? सीएमओ एक बेहद जवाबदार ओर नियंत्रक अधिकारी होता है

मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद का शासन से नियुक्त जवाबदार ओर नियंत्रक अधिकारी है। वह परिषद के समस्त शाखाओं पर और कर्मचारियों पर नियंत्रण रखता है। साथ ही कोई कार्य ऐसा नगर में न हो जिसका प्रतिकूल प्रभाव आम जनमानस पर पड़े इस बात को उन्हें विशेष ध्यान रखना होता है। इस बात का पूरा दायित्व संबंधित कर्मचारी के साथ साथ स्वयं सीएमओ का भी रहता है तभी तो उन्हें मुख्य नगर पालिका अधिकारी पद नाम दिया जाता है। हालांकि आज उन्होंने कारण बताओ नोटिस एक उपयंत्री और कर्मचारी के नाम से जारी भी कर दी है। लेकिन इसके पीछे उनकी मंशा क्या रही होगी...? यह बताने के लिए हम मुनासिब नही समझते है। नोटिस के बारे में चर्चा करने हेतु हमने सीएमओ से उनके मोबाइल पर बार-बार सम्पर्क किया तो उन्होंने खबर लिखे जाने तक हमारे कॉल्स रिसीव ही नही किये।

सीएमओ की भारी अक्षम्य लापरवाही उजागर हुई

आप नगर परिषद थांदला की 20 जून 2024 की घटना को देखिए,जिसमें तीन सफाई मित्रो के ने दो श्वान को लाठियों से पीटा था,जिसमें से एक मादा गर्भवती श्वान की मृत्यु हो गई थी। उस मामले में तो सीएमओ को जिम्मेदार मानकर आयुक्त नगरीय प्रशासन विकास विभाग भोपाल ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। जबकि पेटलावद की घटना तो थांदला की घटना से कई गुना दर्दनाक है। घटना मे सीएमओ की भारी अक्षम्य लापरवाही उजागर भी हुई है,जिसका अधिकतर मीडिया ने उल्लेख तो किया ही है,साथ ही जिला प्रशासन ने भी उपरोक्त निर्माण कार्य को बगैर अनुमति के अवैध निर्माण माना है।

जिले में क्यों चलाई जा रही है दोहरी नीति?

पेटलावद हादसे में दो निर्दोष मजदूरों की मौत हो गई । जिससे दो परिवार पूरी तरह उजड़ तो गए,साथ दो बहने भी विधवा हो गई,जिनके छोटे छोटे बच्चे है। इस हादसे के बाद से दोनों परिवार सदमे में है। अब उनको भरण पोषण की समस्या ने बुरी तरह से जकड़ लिया है। मात्र कुछ हजार रुपए के मुआवजे से परिवार का भरण पोषण करने वाला लौट कर तो नहीं आ सकता है ना। गौरतलब है इस हादसे के बाद मात्र कुछ रुपये मुआवजे की घोषणा प्रशासन ने कर तो दी है,जिससे पीड़ित परिवार के दुखों की भरपाई हो ही नहीं सकती है। जबकि थांदला में मात्र श्वान की मौत पर तुरंत सीएमओ को हटा दिया गया था। जिले में प्रदेश सरकार की इस दोहरी नीति के चलते उनकी बेहद जग हँसाई हो रही है।

क्या दोषियों को लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव दोष मुक्त कर देंगे या लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करेंगे?

लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को तुरंत जिम्मेदार लापरवाही पर सख्त कारवाई करना चाहिए। साथ ही उन्हें लापरवाह भवन मालिक और ठेकेदार के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही करना चाहिए। विधि अनुसार जांच अवश्य होनी चाहिए,ताकि जिम्मेदारों को मानव मूल्यों का पता चल सके। मृतकों को तो सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके पीड़ित परिवार के साथ न्याय होगा,ऐसा हमारा मानना है। हम पत्रकार तो अपनी कलम से विचार ही व्यक्त कर सकते है। दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए या नहीं यह बात जवाबदार गंभीर अधिकारियों के विवेक पर ही निर्भर करता है। हम तो आगे भी लिखते रहेंगे,आगे फिर उनकी मर्जी जी।

किसीकी टोपी किसके सर?

इस मामले में जब नगर के लोगों से चर्चा की उन्होंने बताया कि अक्सर यही होता बड़े अधिकारी छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों को,कोई भी लापरवाही होती है तो उनको बलि का बकरा बनाकर अपने को बचाने के लिए आगे कर देते है। लोगो को चटखारे लेते हुआ कि यदि रेल दुर्घटना होती है तो रेल मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है,वह यह थोड़ी कहता है कि ट्रेन में नही चला रहा था। जिम्मेदार तो उसे ही माना जानता है,चाहे लापरवाही किसी की भी हो। कुछ लोगो ने कहा अब सीएमओ ने नोटिस जारी कर अदने से अधिकारी और कर्मचारी को बलि का बकरा बना भी दिया है। इस नोटिस ने *किसकी टोपी किसके सर*वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है,जो नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है ।