अपराधियो में नही पुलिस का ख़ौफ़  गोलीबारी की घटना पर लोगो लोगो की प्रतिक्रियाये-कही पुलिस रात में गश्त के बजाय मस्त तो नही हो जाती है?

झाबुआ। संजय जैन-सह संपादक। कल सोमवार की रात लगभग 2 बजे के आस-पास जिला चिकित्सालय परिसर के पीछे निर्माणाधीन नवीन भवन के समीप जमकर गोलीबारी हुई। सूत्रों अनुसार समीपस्थ काली देवी थाना क्षेत्र के एक युवक रमसू ने अपनी मां के साथ मारपीट की थी,जिसका उपचार जिला चिकित्सालय में किया जा रहा था।

पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी में दर्ज

जैसे ही मां के साथ हुई मारपीट की सूचना रमसू  के दूसरे भाई को मिली,जो गुजरात में रहता था,वो तुरंत झाबुआ आ गया। रमसू को जब अपने भाई के झाबुआ पहुंचने की सूचना की भनक लगी तो वह रात में पुन: अपने साथियों के साथ जिला चिकित्सालय परिसर में पहुंचा और उसने गुजरात से आये अपने भाई पर आनन फानन में बंदूक से हमला कर दिया। सीसीटीवी में पूरा घटना क्रम दर्ज भी है। बताया जाता है कि इस गोलीबारी की घटना में कोई भी जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है,विवाद के बाद रमसू अपने साथियों के साथ फरार हो गया।

शिकायत दर्ज नहीं कराई

गौरतलब है कि खबर लिखे जाने तक अस्पताल प्रशासन ने किसी भी तरह की  शिकायत दर्ज नहीं कराई है। इस मामले में  पुलिस रमसू की तलाश कर रही है। ज्ञात हो कि रमसू पर पहले से की अलग-अलग थानों में कई प्रकरण दर्ज  भी है।

क्या पुलिस नियमित गश्त करती है नगर में?

गौरतलब है पूरे नगर में अलग-अलग बीट और संवेदनशील पॉइंट तो बने हुए है। लेकिन नगर में  दिन और रात में नियमित गस्त हेतु कोई भी कार्ययोजना शायद पुलिस कप्तान ने बनाया ही नहीं है और यदि बनाई भी है तो वे सिर्फ  अपने वातानुकूलित कक्ष में बैठकर कागज पर इसे निहारते होंगे या नगर में गस्त की  कार्ययोजना को अमल में लाने की जमीनी हकीकत से शायद वे परे ही होंगे। क्या पुलिस नियमित गश्त करती है नगर में ? कल रात घटी गोलीबारी की घटना से उपरोक्त बात साफ  प्रतीत भी हो रही है।

गोलीबारी की घटना पर लोगो लोगो की प्रतिक्रियाये-कही पुलिस रात में गश्त के बजाय मस्त तो नही हो जाती है?

जब हमारी टीम ने कल की इस घटना के बाद नगर के नागरिकों से चर्चा की तो अधिकतर लोगों ने कहा कि झाबुआ का इतना बड़ा पुलिस बल और कप्तान का मुख्य कार्यालय भी नगर में है, इसके बावजूद भी गोलीबारी की घटना सार्वजनिक शासकीय अस्पताल में हुई है,यह तो साफ  तौर पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर रहा है। कुछ लोगो रोषपूर्वक कहा कि जिले में अपराधियो, सटोरिये और हर क्षेत्र के माफियाओं में पुलिस का कोई ख़ौफ़  ही नही है। पुलिस कप्तान को अपराधियो में पुलिस का ख़ौफ़ पैदा हो,इसके लिए उन्हें कुछ सख्त प्रयास करने चाहिये। कुछ लोगो ने व्यंग्य कसते हुए कहा की शायद झाबुआ पुलिस गश्त करने में तनिक भी गंभीर नही है। वे तो गश्त करना ही नही चाहते,वे तो लगता है सिर्फ  मस्त रहना ही चाहते है। मात्र पुलिस कप्तान नगर के विशेष मोहल्ले जैसे की राजगढ़ नाका, बस स्टैंड, राजवाड़ा,हुडा,बुनियादी स्कूल और बावड़ी मस्जिद आदि में रात को नियमित गस्त करवाने हेतु प्रतिबद्ध हो जाय तो नगर के आधे से अधिक अपराध यू ही कम हो जाएंगे,ऐसा हमारा मानना है। कुछ लोगो ने चटकारे कहते हुए कहा कि पुलिस और प्रशासन के बड़े अधिकारीयो को किसी कार्यक्रम में कुछ तथाकथित संस्थाओं और समाजसेवियों द्वारा अतिथि बनाकर बुला लिया  जाता है,तो वे फुले समाते ही नही है। कही नगर की पुलिस भी शासकीय कार्यालयों की तर्ज दिन अस्त तो मजदूर मस्त पर  कार्य तो नही कर रही है। शायद इसलिए नगर पुलिस दिन में तो दिखती है लेकिन रात में गश्त के बजाय,मस्त तो नहीं हो जाती है..?

मेरी जानकारी में नही

मैं कंजवानी में असेसमेंट के लिए आया हु। गोलीबारी की घटना के बारे में मुझे कोई जानकारी नही। शाम तक लौटने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा।

डॉ.बीएस बघेल-सीएमएचओ,झाबुआ

शिकायत दर्ज नहीं करवाई है

अस्पताल परिसर में पुलिस चौकी है,इन्हें घटना को सूचना मिल गयी थी । इसलिए हमने अभी तक इस मामले में कोई भी शिकायत लिखित में दर्ज नहीं करवाई है।

डॉ.एमएल मालवीय-सिविल सर्जन-झाबुआ