इंदौर के लिये जैसा हम चाहते हैं वैसा मास्टर प्लान देना ही होगा- घटिया निर्माण देशद्रोह समान

मेट्रोपोलिटन सिटी की प्लॉनिंग को गोपनीय रखने के चलते प्रबुद्धजनों में नाराजगी
झाबुआ/इंदौर।संजय जैन-स्टेट हैड। शहर के प्रबुद्धजनों की चिंता है कि सरकार ने इंदौर को मेट्रेपोलिटन सिटी का दर्जा देने की घोषणा तो कर दी लेकिन इस की प्लॉनिंग कैसी होगी,...? मास्टर प्लान कैसा बन रहा है...? इन बातों से शहर की चिंता करने वाले उन सभी जागरुक नागरिकों को दूर रखा गया है जो वर्षों से शहर के मास्टर प्लान और सुव्यवस्थित विकास के लिए सरकार को निरंतर ज्ञापन देने के साथ ही हर संभव सहयोग के लिए तत्पर रहे हैं।
जैसा हम चाहते हैं वैसा मास्टर प्लान देना ही होगा
भविष्य का मेट्रोपोलिटन सिटी वाला इंदौर शहर कैसा हो ? इससे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से क्षुब्ध शहर के प्रबुद्धजनों की प्रशासनिक अधिकारियों से भी नाराजगी है कि उन्होंने गोपनीयता का हवाला देकर मेट्रोपोलिटन की प्लॉनिंग बताने से भी परहेज कर रखा है। इंदौर उत्थान अभियान और मालवा चैंबर ऑफ कामर्स की संयुक्त बैठक में सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि आज रविवार 23 मार्च को राजमोहल्ला चौराहा स्थित शहीद ए आजम भगत सिंह की प्रतिमा पर सुबह 9.30 बजे माल्यार्पण के साथ संकल्प लेंगे कि जैसा हम चाहते हैं वैसा मास्टर प्लान देना ही होगा।जनभागीदारी और जनाकांक्षाओं के अनुरुप मास्टर प्लान नहीं बनाने पर,उसे मंजूर नहीं करेंगे।
कार्यों में घटिया निर्माण, देशद्रोह समान
संरक्षक दिनेश गुप्ता की मौजूदगी में शहर हित के इस मुख्य मुद्दे पर हुई बैठक में 60 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही थी।बैठक के संबंध में अजित सिंह नारंग ने कहा मेट्रोपोलिटन सिटी के लिये मंजूर कार्यों में घटिया निर्माण, देशद्रोह समान मानते हैं। सीएम द्वारा की गई महानगरीय निर्माण की घोषणा का यह सदन भी स्वागत करता है ,लेकिन जिस तरह निर्माण कार्यों का टेंडर मंजूर किया गया उस बारे में श्रीनिवास कुटुंबले ने पहले ही बता दिया था कि किस के नाम टेंडर खुलेगा...? और हुआ भी वैसा ही। हम मुंबई, बैंगलुरु के समान इंदौर को दम घोटू महानगर नहीं बनने देना चाहते है।
शंघाई सिटी की तर्ज पर धोलेरा सिटी की तरह विकास-निर्माण किया जाना चाहिए
अजित सिंह का कहना है किबहाल ही में हमने अहमदाबाद की यात्रा भी की है। चाइना की शंघाई सिटी की तरह वहां धोलेरा सिटी बन रही है। इंदौर को महानगर बनाना है,तो धोलेरा सिटी की तरह विकास-निर्माण किया जाना चाहिए।धोलेरा का प्लानर विश्व के जाने माने प्लानर है। सिटी विदिन फॉरेस्ट कांसेप्ट पर वहां काम हो रहा है। ब्लू-ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर का पालन धोलेरा में हो सकता है तो यहां क्यों नहीं हो सकता...? हम शासन को पहले भी सहयोग करते रहे हैं। इंदौर प्रशासन और राज्य सरकार हमारे सुझाव नहीं मानना चाहता तो कम से कम प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ही बात मान ले कि शहर का विकास राज्य सरकार, अधिकारियों की मर्जी से नहीं वहां के नागरिकों के सुझाव मुताबिक किया जाना चाहिए ।
ना बजट तय ना ही घोषणा
अशोक कोठारी ने कहा हैदराबाद में एशिया का सबसे बड़ा ब्रिज है लेकिन हमारे यहां बड़े ब्रिज का विरोध किया जाता है। इंदौर और भोपाल को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने की सरकार ने घोषणा तो कर दी लेकिन न ही बजट तय किया गया है और न ही आज तक मेट्रोपोलिटन अथारिटी की घोषणा की गई है।
आर्किटेक्ट का सीवी देखेंगे
पद्मश्री भालू मोंढे का कहना था कि भोपाल की अथारिटी जो भी मास्टर प्लान पर काम कर रही है उसका प्रदर्शन करना चाहिए। सरकार जिसे निर्माण काम सौंपे हम उस आर्किटेक्ट का सीवी देखेंगे कि उसने किन-किन शहरों में क्या-क्या काम किए हैं...?
2047 तक जनसंख्या दो करोड़ हो जाएगी
श्रीनिवास कुटुंबले का कहना था की इंदौर मेट्रोपोलिटन अथारिटी बनाए जाने के लिये इंदौर उत्थान अभियान चार वर्षों से प्रयासरत था। शासन ने जो घोषणा की है वो अभी अधूरी है, अब तक मेट्रोपोलिटन कौंसिल का गठन हुआ नहीं किया गया है। 2047 के मुकाबिक व्यवस्थित प्लान बनाना जरूरी है क्योंकि तब तक जनसंख्या दो करोड़ तक हो जाएगी।ज्ञात हो कि अहमदाबाद से धोलेरा तक का मुख्य मार्ग 2047 के हिसाब से बनाया गया है।
मास्टर प्लान शहर के हित मुताबिक नहीं, भूमाफियाओं के हित अनुसार
गौतम कोठारी का दर्द था कि बात हम 2047 के इंदौर की कर रहे हैं लेकिन वाहनों का दबाव, पार्किंग समस्या का ही आज तक हल नहीं खोज पाए हैं।शासकीय विभागों में समन्वय का अभाव यथावत है। नगर निगम सड़क बनाता है, फिर ही अन्य विभाग को ड्रेनेज लाइन, वॉटर लाइन, गैस लाइन डालने की याद आती है। वे बनी हुई सड़क फिर खोद कर चले जाते हैं। पेवर लगाने के नाम पर पैसे का दुरुपयोग होता रहता है। मास्टर प्लान शहर के हित मुताबिक नहीं, भूमाफियाओं के हित अनुसार बनता रहा है। हमें प्रेशर ग्रुप बनाना होंगे। मेट्रो को उज्जैन तक ले जाने की अपेक्षा मुंबई की तरह सबबर्न रेल सेवा जरूूरी है। इस उपनगरीय रेल सेवा से इंदौर, उज्जैन, भोपाल तक के छोटे शहरों को मेट्रो रेल सेवा से जोड़ा जा सकता है।
फॉरेस्ट इन द सिटी बनाया जा सकता है
एसएल गर्ग का कहना था विश्व मापदंड में किसी भी शहर के व्यवस्थित विकास में ग्रीनरी महत्वपूर्ण मानी गई है। इंदौर को फॉरेस्ट इन द सिटी बनाया जा सकता है,हमें एकजुट हो कर प्रयास करना होगा। सतीश भल्ला ने वियतनाम की बेहतर व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए कहा सफाई के नाम पर इंदौर तो वहां के मुकाबले दस प्रतिशत भी क्लीननेस में नहीं है । वहां के नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।
बीआरटीएस तोड़ने का निर्णय गलत
अधिकांश सदस्यों ने बीआरटीएस तोड़ने के निर्णय को गलत बताने के साथ ही जनप्रतिनिधियों के दोहरे रवैये पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि पहले तो सारे जनप्रतिनिधि समर्थन कर रहे थे बाद में वही सारे बीआरटीएस हटाने को, शहर के हित में बताने लगे है।विश्व के कई शहरों में बीआरटीएस को काफी उपयोगी माना गया है। उल्लखनीय है कि जब इंदौर में बीआरटटीएस पूरी तरह से सफल हो रहा था तब उसे तोड़ दिया गया। गौरतलब है कि दूसरी तरफ अहमदाबाद है जहां तो 12 किमी का एलिवेटेड रोड बना हुआ है।
एमजी रोड पर मेट्रो अंडरग्राउंड करने का निर्णय शहर के हित की अनदेखी वाला
बैठक में शामिल प्रबुद्धजनों ने एमजी रोड पर मेट्रो को अंडर ग्राउंड करने के निर्णय को शहर के हितों की अनदेखी करना बताया। सदस्यों का कहना था मेट्रो को एमजी रोड क्षेत्र में 8 मीटर अंडरग्राउंड कर रहे हैं, जबकि आम सहमति से तय हुआ था कि मेट्रो को बंगाली चौराहे से अंडर ग्राउंड करेंगे। शहर हित के मामलों में आवाज उठाने में हमारे जनप्रतिनिधि कमजोर पड़ रहे हैं, हमें एकजुट होकर अब आगे आना होगा।
यह सब थे मौजूद
पूर्व महापौर डॉ. उमा शशि शर्मा, विनय कालानी, पत्रकार कीर्ति राणा, पत्रकार संजय जगावत (जैन), एएसआइएस पॉल, इंजी वीके जैन, राजेश जैन, राजेंद्र दुआ, टीनू जैन, हरीश भाटिया, दीप्ति गौर, इंजी वीके जैन, परमानन्द चुग, परविंदर भाटिया, सतीश भल्ला, ओपी नरेडा, रचना गुप्ता, एकता मेहता, श्याम यादव, हुकमचंद जैन, ईश्वर बाहेती, यशवर्धन सिंह, राजेश अग्रवाल, अजय सिंह नरूका, सहित 60 से भी अधिक विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित थे ।