गिनी-चुनी दुकानों पर ही उपलब्ध है,कोर्स और यूनिफार्म-शिक्षा विभाग को स्कूलों ने नहीं बताया कोर्स क्या और कैसी होगी ड्रेस-डीईओ ने सभी स्कूलों से नहीं मांगी जानकारी


झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के अंतर्गत निजी स्कूलों के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। ड्रेस, पुस्तकों की जानकारी शिक्षा विभाग में न भेजने वाले निजी स्कूल जांच के घेरे में आ गए हैं। क्या इन स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा ?  फरवरी माह में निजी स्कूलों को अपने यहां संचालित कोर्स, ड्रेस सहित अन्य जानकारी शिक्षा विभाग को भेजनी थी, ताकि नए सत्र शुरू होने से पहले लोगों को पता हो कि कौन सी पुस्तकें खरीदनी है और ड्रेस कैसे होगी ?  यह व्यवस्था सरकार ने पिछले सत्र में ही की थी,लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।

परेशानी यह- गिनी- चुनी दुकानों पर ही उपलब्ध है,कोर्स और यूनिफार्म

कोर्स और यूनिफार्म स्कूल संचालकों ने अपनी सुविधा के अनुसार बुक स्टॉल पर सेट करके रखे हैं, उन्हीं की दुकानों पर उनके स्कूलों का कोर्स उपलब्ध है। यूनिफार्म के लिए भी दुकानें निर्धारित हैं, जो अपनी मनमर्जी के हिसाब से यूनिफार्म बेच रहे हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि कपड़ा व्यापारी स्कूल संचालकों को शिक्षण सत्र प्रारंभ होने से पहले ही उन्हें उनका कमीशन पहुंचा देते हैं। इस तरह कोर्स और यूनिफार्म जिले भर में गिनी-चुनी दुकानों पर ही बेची जा रही है, जिसका नुकसान पालकों को उठाना पड़ रहा है। इस तरह संबंधित दुकानदार का भी एक तरह से बाजार पर एकाधिकार हो जाता है।

निजी स्कूलों को सूचना पटल पर चस्पा करना करना थी-5 पुस्तक विक्रेताओं की सूची

निजी स्कूल संचालकों और पुस्तक विक्रेताओं के गठजोड़ को खत्म करने के लिए तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने गत 5 अप्रैल 22 को आदेश जारी किया था कि सभी निजी स्कूल पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सुचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करे। बावजूद इसके हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जिम्मेदारों ने इस आदेश को ताक में रखते हुए,किसी भी स्कूल का निरिक्षण तक नहीं किया गया है, जिससे इस आदेश का पालन हो सके। हर बार की तरहे इस वर्ष भी  किसी भी निजी स्कूल ने आदेश का पालन नहीं किया है।

इस तरह से बड़ी आसानी से अंकुश लगाया जा सकता है ,प्रभावी लुटेरे पाठ्यक्रम माफियाओं पर

5 अप्रैल 22 को जारी आदेश में सूचना पटल के साथ -साथ पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम की सूची की एक प्रतिलिपि भी स्कूलों के लिए जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर अनिवार्य रूप से तय सीमा के भीतर पहुंचाने का आदेश जारी करना चाहिए।  दुकानदारों पर स्वत: ही अंकुश लग जाएगा,ऐसा हमारा मानना है।
-निजी स्कूल के संचालक स्कूल यूनिफार्म-पुस्तकें व अन्य सामग्री दुकान विशेष से खरीदने का दबाव अभिभावकों पर नहीं बना सकेे।
-यदि स्कूल बोर्ड के पाठ्यक्रम के अलावा कोई अन्य पुस्तक पढ़ाना चाहता है तो उसमें किसी धर्म या समाज के लिए आपत्ति जनक बातें न हो।
-यूनिफार्म ऐसी तय करें की  5 साल बदलना न पड़े।
-स्कूल बैग का वजन निर्धारित सीमा के अंदर ही होना चाहिए।
-कोई भी स्कूल 10 प्रतिशत से अधिक फीस नहीं बढ़ा पाए। इससे अधिक फीस बढ़ाने के लिए जिला स्तरीय समिति से अनुमति प्राप्त करना चाहिए।
-स्कूलों बसों की फिटनेस, प्रदूषण सर्टिफिकेट एवं मोटरयान अधिनियम का पालन करना स्कूल की जिमेदारी होनी चाहिए।

पाठ्यक्रम में हो रही लूटपाट पर जब हमारी टीम ने परेशान अभिभावकों से चर्चा की तो अधिकतर लोगों का कहना था कि हम हर साल बच्चों के भविष्य के चलते इस पाठ्यक्रम माफियाओं के शिकार होते चले आ रहे है। सिर्फ  इक्का दुक्का कलेक्टर को छोड़कर इनकी चुंगल से हमे आज तक इस लूट खसोट से बचा नही पाया है। कुछ लोगो का कहना था कि हमने सुना है कि अभी की कलेक्टर किसी भी माफिया को अपने आसपास फटकने तक नही देती है। अत: उनसे हमें पूरी आशा है कि इस साल से पाठ्यक्रम माफियाओं के एक तरफा साम्राज्य का पूरे जिले से हमेशा के लिए पूर्ण रूप से खत्म हो जाएगा। कुछ अभिवावकों ने रोषपूर्वक हमे बताया की कलेक्टर को तो सिर्फ  नगर के प्रभावी एक मात्र सबसे बड़े पाठ्यक्रम माफिया गांधी बुक (राजकुमार गांधी) को अपने चुगंल में कर लेवे तो ,सारे दूसरे सभी छोटे मोटे माफिया स्वत: ही भूमिगत हो जाएंगे,ऐसा हमारा पूरा विश्वास है। प्रशासन कहता है कि लिखित में शिकायत देवे ,जो सम्भव नही है क्योंकि हमारे बच्चों के साथ आगे क्या व्यवहार ये माफिया इनके साथी स्कूलों की मिलीभगत से करेंगे,यह हम भली भाती से जानते भी है। अब तो हम सबको जिले की मातृ शक्ति कलेक्टर से ही काफी आस है कि इन माफियाओं के चुंगल से हमें मुक्त कराए।
 

प्रशासन सख्त हो तो ही खत्म हो सकेगी निजी स्कूलों की मनमानी

यह समस्या हर साल की है। नवीन शिक्षण सत्र प्रारंभ होते ही निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को विशेष दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं,जिससे अभिभावक मोलभाव नहीं कर पाता है। अच्छा कमीशन पाने के लिए निजी स्कूल निजी प्रकाशकों के महंगे पाठ्यक्रम अभिभावकों से खरीदवाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस मोनोपोली को खत्म करने के लिए सख्ती से कदम उठाए जाएं। यदि 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सूचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करने का आदेश थे तो इसकाm  सख्ती से पालन कराना भी जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी तो हैं।

जितेंद्र सिंह राठौर- रहवासी-झाबुआ

कड़ी कार्रवाई होगी

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के अंतर्गत निजी स्कूलों के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। सभी आदेशों का पालन करें। उल्लंघन किया तो कड़ी कार्रवाई होगी। वहीं अभिभावकों से भी अनुरोध है कि अगर स्कूल किसी विशेष दुकान से पुस्तकें या ड्रेस की खरीदी का दबाव बनाए तो वह इसकी शिकायत बीईओ या डीईओ कार्यालय में कर सकते हैं।

आरएस बामनिया-डीईओ-झाबुआ