भौंगर्या मेले में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव करेंगे शिरकत,लोगों में उत्साह-7 मार्च से शुरू होगा भौंगर्या हाट...............
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। आदिवासी समाज होली पर्व उत्साह से मनाता है। इसके पहले लगने वाले भौंगर्या हाट में समाज के लोगों का उल्लास व उमंग देखने को मिलती है। होली पर्व के एक सप्ताह पहले लगने वाले भौंगर्या हाट में समाज के लोग होली पूजन सहित खाद्य सामग्री की जमकर खरीदारी कर चुके हैं,इसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने हाट बाजारों की लोकप्रियता देखते हुए इसे भौंगर्या पर्व का दर्जा दे दिया है। भौंगर्या हाट की शुरुआत कल 7 मार्च से होगी। होलिका दहन गुरुवार को होगा,उस दिन अंतिम भौंगर्या हाट रहेगा। होली के बाद लगने वाले हाट बाजार उजाडिया हाट कहलाते है क्योंकि होली के बाद आदिवासी फिर से काम की तलाश में पलायन कर जाते है और बाजारों में रौनक कम हो जाती है।
भौंगया मेले में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव करेंगे शिरकत.....
भौंगया मेले में राजनीतिक लोग भी खुब शिरकत करते है इसका राजनीतिक लाभ भी उठाया जाता है। कांग्रेस-भाजपा पार्टीयां भगोरिया हाट बाजारों में ढोल मांदल की गैरे,रैलियां भी निकाल कर अपना उस क्षेत्र में दबदबा जताती है। जिस पार्टी की गैर में जितने ज्यादा ढोल,मांदल उसकी उस क्षेत्र में उतनी ज्यादा पकड़ मजबूत मानी जाती है। ये राजनीतिक पार्टीयां इन ढोल पार्टीयों को धनराशि,इनके खाने पीने का इंतजाम भी करती है और साफा बंधाकर तडवी,बडवा, सरपंच का सम्मान भी किया जाता है। भगोरिया हाट बाजारों में प्रदेश के मंत्री,विधायक और मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे । कई विदेशी सैलानी,देश व प्रदेश के पत्रकार व अन्य गणमान्य नागरिक भी भगोरिया देखने पहूँचते है।
अन्य प्रदेशों से भौंगर्या हाट व होली के लिए लोग लौटे घर....
जिले में बड़ा रोजगार व उद्योग नहीं होने से आदिवास लोग मजदूरी के लिए महाराष्ट्र व गुजरात जाते है। समाज के लोग अन्य प्रदेशों से भौंगर्या हाट व होली के लिए घर लौट चुके है। समाज के लोग भौंगर्या हाट में खरीदी कर होली पर्व घर पर परिवार के साथ मनाते है। इसमें वह परिजनों सहित ग्रामीणों को रबी सीजन की फसल काटने में मदद भी करते है। फरवरी माह के पहले सप्ताह से लोगों की घर वापसी होने का सिलसिला शुरू हो चुका था। भौंगर्या हाट तक अन्य राज्य से सभी लोग अपने गांवों में पहुंच चुके है।
7 मार्च से शुरू होंगे त्योहारिया हाट...
आदिवासी अंचल में 7 मार्च से से 13 मार्च तक भौंगर्या हाट के हाट बाजार लगेंगे। यह झाबुआ,धार, अलीराजपुर और खरगोन जैसे क्षेत्रों में मनाया जाने वाला सबसे पुराना त्यौहार है। यह मेला होली से ठीक पहले मनाया जाता है,जिसमें लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और अपने पारंपरिक आदिवासी धुनों पर नाचते-गाते अपने पैर थिरकाते हैं। भौंगर्या हाट बाजारों में झूले,चक्करियों में झूलने का आनंद,बाजारों में शरबत,माजम,सेव,भजिया,पान की दुकान,करतब दिखाने वाले आदि का लुफ्त लेने का मजा ही कुछ अलग होता है। इसमें आदिवासी समाज के लोग कपड़ा,शृंगार,आभूषण व किराना सामग्री की बड़े पैमाने पर खरीदारी करते हैं। त्योहारिया हाट से लेकर भौंगर्या हाट के दिनों में अच्छा व्यापार होता है। इसके बाद होली से रंग-पंचमी तक व्यवसाय फिर मंदा हो जाता है। आधुनिकता युग में युवा नए कपड़े,चश्मे, जूते- चप्पल सहित अन्य सामग्री पहनकर भोंगर्या हाट में शामिल होते हैं।
पारंपरिक वाद्य यंत्रों को कर चुके है तैयार...
जिले में लगने वाले भौंगर्या हाट में आदिवासी समाज की संस्कृति,पारंपरिक पहनावा,वाद्य यंत्र की अनोखी झलक देखने को मिलती है। भोंगर्या हाट के पहले समाज के लोग पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मरमत कर उन्हें तैयार चुके है। इसमें मांदल व बड़े ढोल को रस्सी से कसा जाता है,ताकि उन्हें भौंगर्या हाट में बजाकर उस पर नृत्य किया जा सके। जिले में समाज के लोगों ने ढोल व मांदल को तैयार कर उसे बजाकर देखा। थाली,ढोल-मांदल की थाप व बांसुरी की धुन पर समाजजन थिरकते नजर आए। इस साल 13 मार्च को होलिका दहन होगा,उसके पहले 7 मार्च से भोंगर्या हाट की जिले में धूम मचेगी।
उत्साह,उमंग,मस्ती का त्यौहार.....
आदिवासी इलाकों में भौंगर्या हाट प्रदेश को संस्कृति के क्षेत्र में विश्व मानचित्र में विशेष स्थान दिलाता है। ग्रीष्म ऋतु की दस्तक के एहसास के साथ आम के मौर की खुशबू से सराबोर मदमस्त फागुनी हवा के झोंकों के साथ आदिवासियों का लोकप्रिय भौंगर्या हाट होलिका दहन होने के सात दिन पूर्व से प्रारंभ होता है। आदिवासी अंचलों में भौंगर्या हाट प्रारंभ होने के सात दिन पूर्व से जो बाजार लगते है,उन्हें आदिवासी अंचल में त्यौहारिया हाट कहते है। भौंगर्या हाट बाजारों को लेकर वैसे तो कई प्राचीन पुरातन कहावतें एवं किस्से कहानियां प्रचलित है। लेकिन आज का युवा शिक्षित आदिवासी समाज अपनी इन प्राचीन कहानियों,किस्सों को नहीं मानता है और वो इसे लेकर अपने-अपने तर्क देता है। हालांकी आज भी भगोरिया का पूराना स्वरूप कई बार उजागर होता दिखाई पड़ता है। भगोरिया का कृषि से भी बहुत महत्व है,यह फसल कटाई के मौसम के खत्म होने के साथ शुरू होता है। इसलिए स्थानीय लोग फसल कटाई के खत्म होने की खुशी में यह त्योहार मनाते हैं। कुल मिलाकर उत्साह, उमंग, मस्ती का यह त्यौहार होता है।
व्यापारियों को अच्छे व्यापार की उमीद........
पहले त्योहारिया हाट के समय से लोग बैलों और बैलगाड़ियों को सजाने का सामान की खरीदी करते थे। भौंगर्या हाट से पहले सजा कर तैयार कर लेते थे। परंतु अब कई किसानों के पास बैल बचे ही नहीं हैं,उनकी जगह ट्रेक्टर व अन्य संसाधनों ने ले ली है। जबकि सोशल मीडिया की वजह से भौंगर्या हाट की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई है। जिसकी वजह से देश ही नहीं विदेश के लोग भी भौंगर्या के बारे में जानने लगे हैं और इसका आनंद लेने के लिए दूर-दूर से ग्रामीण भी शामिल होते हैं। इस बार गेहूं,चना, मक्का आदि फसल अच्छी रही है तो व्यापारियों को भी अच्छे व्यापार की उमीद है।
खाद्य सामग्री की होगी जांच,शराब बिक्री का करेंगे विरोध...
जिले के लगने वाले भौंगर्या हाट में सबसे ज्यादा गुड़ सेव,जलेबी,भजिये की बिक्री होती है। इसके लिए व्यापारी पहले से खाद्य व्यजंन तैयार करते है। इसकी गुणवत्ता की जांच के लिए खाद्य विभाग पहले से कार्य योजना बनाकर इसकी जांच करेंगे। सैंपलिंग की कार्रवाई तेज की जाएगी। जिला प्रशासन भी भगोरिया हाट बाजारों में टेंट,माईक,जागरूकता शिविर आदि लगाने के अलावा जल पान की भी व्यवस्था करती है। वही जागृत आदिवासी दलित संगठन भौंगर्या हाट में शराबबंदी करने का प्रयास करता है,ताकि शराब के कारण विवाद न हो।
कब और कहां लगेगा भौंगर्या हाट बाजार.....
7 मार्च शुक्रवार को- भगौर,चैनपुरा,बेकल्दा,मांडली,वालपुर,कठिवाडा और उदयगढ।
8 मार्च शनिवार को- राणापुर,मेघनगर,बामनिया,झकनावदा,नानपुरद्वउमराली और बलेडी।
9 मार्च रविवार को- झाबुआ,रायपुरिया,काकनवानी, छकतला, कुलवट, सोरवा,आमखुट,झिरन, ढोलियावाड और कनवाडा।
10 मार्च सोमवार को- पेटलावद,रंभापुर,मोहनकोट,कुंदनपुर,रजला,आलिराजपुर,भाभरा और बडा गुडा।
11 मार्च मंगलवार को- थांदला,पिटोल,खरडू बडी,तारखेडी,बरवेट,बखतगढ़,आंबुआ और अंधारवाड।
12 मार्च बुधवार को- कल्याणपुरा,मदरानी,ढेकल,बरझर.उमरकोट,माछलिया,करवड,बोडायता,खटली, चांदपुर और बोरी।
13 मार्च गुरुवार को- अंतिम भगौरिया हाट बाजार पारा,फुलमाल, हरीनगर, सारंगी, समोई, चैनपुरा, सोंडवा और जोबट।