स्कूल प्रबंधन पर नकेल में नंबर वन-कॉपी,किताब,स्कूली ड्रेस मामले में स्कूल संचालकों की मनमानी, संकटमोचक बनी सिवनी कलेक्टर,शिक्षक गायब मिले,कलेक्टर पढ़ाने लग गए, डॉ.विक्रांत भूरिया लुभाएंगे,भाजपा प्रेमी आदिवासियों को, मोहन यादव सरकार की अनंत संभावनाएं, इंदौर को पीले चावल देने आएंगे सीएम,कोई तो बोला, कैसे करें हिंदी माध्यम से एमएससी
प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक नोक-झोक पर,अलग हट कर संघर्ष से सिद्धि की विशेष पेशकश- संजय जैन-स्टेट हेड की कलम से

स्कूल प्रबंधन पर नकेल में नंबर वन-कॉपी,किताब,स्कूली ड्रेस मामले में स्कूल संचालकों की मनमानी

झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। शिक्षा सत्र शुरु होने का मतलब रहता है कॉपी,किताब, स्कूली ड्रेस मामले में स्कूल संचालकों की मनमानी., इस मनमानी को रोकने के लिये इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने जो फार्मूला तैयार किया है वो बाकी जिलों में भी लागू हो सकता है। अब शिक्षा सत्र शुरू होने से एक माह पहले हर स्कूल संचालक को वेबसाइट पर तीन पुस्तक और यूनिफार्म विक्रेताओं के नाम अपलोड करना होंगे। यही नहीं स्कूल परीक्षा परिणाम के पहले सूचीबद्ध पुस्तकें क्रय करने के लिये बाध्य भी नहीं कर सकेंगे। 30 अप्रैल तक अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के अनुसार किताबें खरीद सकेंगे।

संकटमोचक बनी सिवनी कलेक्टर

सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन एक तरह से सरकार की संकटमोचक बन गई हैं। इस बार लाड़ली बहनों की वजह से ही मप्र में भाजपा सत्ता में आई है। सरकार की चिंता थी कि 60 वर्ष की हो चुकी महिलाएं लाड़ली बहनों को दी जाने वाली राशि की पात्रता से बाहर हो जाएंगी,इस वोट बैंक की नाराजी की चिंता थी। सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन ने सरकार को चिंतामुक्त करने का रास्ता निकाल दिया । उन्होंने 60 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को अटल पेंशन योजना से जोड़ दिया।  कलेक्टर ने नवाचार के जरिए 60 साल से ऊपर की लाडली बहनाओं को अटल पेंशन योजना से जोडने की पहल की है। अब इस नवाचार को पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है।

शिक्षक गायब मिले, कलेक्टर पढ़ाने लग गए-पीएम श्री स्कूल से ही 5 शिक्षक गायब मिले

खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जब पहले दिन बीड़ा उठाया तो शिक्षा व्यवस्था की कलई खुल गई। अमलपुरा गांव के पीएम श्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अनुपस्थित शिक्षकों के कारण बच्चों की उपस्थिति भी काफी कम थी। कलेक्टर को देख स्कूल के अन्य शिक्षकों के होश फाख्ता हो गए। कलेक्टर ने स्कूल के सभी शिक्षकों का एक-एक करके जब नाम पुकारा तब इसमें से प्रीति वाला ,विनोद, शेख वकार और फुलवंती नाम के शिक्षक गायब मिले। इन सभी शिक्षकों को कलेक्टर ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। यही नहीं कलेक्टर ने शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दसवीं के बच्चों को स्वयं फिजिक्स और मैथ्स पढ़ाना शुरू किया,ज्यामिटरी की भी कई थ्योरी बखूबी बोर्ड पर समझाए। कलेक्टर ने न सिर्फ  किताबी बल्कि नैतिक ज्ञान भी बच्चों को दिया। जिसमें कम से कम 6 घंटे पढ़ने का टाइम टेबल बनाने की सलाह दी।

डॉ.विक्रांत भूरिया लुभाएंगे,भाजपा प्रेमी आदिवासियों को

आदिवासी नेता डॉ.विक्रांत भूरिया दौड़ में थे कि युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का दायित्व मिल जाए। युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे विक्रांत को यहां तो मौका मिला नहीं,बीते सितंबर में जम्मू-कश्मीर के रहने वाले उदय भानु चिब को युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। विक्रांत को आल इंडिया आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे की जगह यह दायित्व मिल गया है। मप्र में आदिवासी वर्ग का बड़ा वोट बैंक है जरूर,लेकिन  इन दो दशक में भाजपा ने इस वर्ग में बढ़त बना ली है। आदिवासी वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है,इसी वजह से विक्रांत को युवा नेतृत्व के रूप में बड़ी जिम्मेदारी मिली है।  मप्र में 22 फि सदी आदिवासी आबादी है। 230 में से 47 विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 24 सीटों पर भाजपा विधायक तो 22 सीटों पर कांग्रेस विधायक हैं। एक सीट पर बाप-भारत आदिवासी पार्टी का कब्जा है।

मोहन यादव सरकार की अनंत संभावनाएं

भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को खास बनाने के लिए सरकार ने एमपी के ब्रांडिंग लोगो में भी बड़ा बदलाव किया है। शिवराज सरकार की टैगलाइन अवसरों की जमीन -*लैंड ऑफ  अपॉर्च्युनिटी*को बदलकर इस बार इसकी थीम अनंत संभावनाएं-*इनफिनिट पॉसिबिलिटी*कर दी गई है। इसमें एमपी की पहचान बताने वाले प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है। लोगो में ऊपर की तरफ  महाकाल और नीचे की ओर टाइगर दिखाया गया है। साथ ही मेट्रो और सांची का सिंबल भी दर्शाया गया है। ज्ञात हो कि गुजरात वाइब्रेंट का लोगो डिजाइन करने वाली कंपनी ने ही इसे डिजाइन किया है।

फर्क तो है तब और अब में

शिवराज सरकार के वक्त एकाधिक ग्लोबल समिट इंदौर में हो चुकी हैं। तब इंदौर में सर्वेसर्वा शिवराज ही रहते थे। इंदौर के विधायक इतने पॉवरफुल थे ही नहीं कि जीआईएस में उन्हें महत्व मिले। यादव सरकार की यह पहली समिट है जो इंदौर के बदले भोपाल में हो रही है। भोपाल में क्यों हो रही है....? इसे विजयवर्गीय समर्थकों से बेहतर कौन समझ सकता है।....? यहां होती तो जाहिर है,नगरीय प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय वाले विजयवर्गीय का समिट में खास रोल हो जाता। ऐसे सारे अवसरों को टालने का यही बेहतर रास्ता है कि जीआईएस का आयोजन यहां हो ही न। ग्लोबल इंवेस्टर समिट को लेकर मंत्रियों-अधिकारियों की जो समिति गठित की गई है,उसमें भी इंदौर और सांवेर से मंत्री शामिल नहीं हैं।

इंदौर को पीले चावल देने आएंगे सीएम

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का लगभग आज 18 फरवरी को इंदौर आना तय है। सीएम इस दिन बीसीसी में इंदौर क्षेत्र के उद्योगपतियों से वन टू वन चर्चा तो करेंगे ही,उन्हें भोपाल में होने वाली जीआईएस के लिये निमंत्रित भी करेंगे। बहुत संभव है कि ऐसी ही चर्चा के लिये वो देवास भी जाएं। यह सारी कवायद सीएम को इसलिये भी करना पड़ रही है कि भोपाल प्रशासन जीआईएस के लिए उद्यमियों को लाने में उतनी ताकत नहीं दिखा पा रहा है।

कोई तो बोला

अमेरिका ने जिस तरीके से अवैध प्रवासियों को हथकड़ी-बेड़ी लगाकर वापस भारत भेजा,उसकी निंदा करने का साहस सत्ता पक्ष के अधिकांश नेता नहीं कर पाए। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ऐसे ही एक नेता कहे जा सकते हैं ,जो बोले तो सही। भोपाल आए केंद्रीय मंत्री खट्टर ने कहा अवैध प्रवासी कई देशों की समस्या है लेकिन अमेरिका ने जो भारतीय प्रवासियों के साथ व्यवहार किया वह कतई ठीक नहीं था।

कैसे करें हिंदी माध्यम से एमएससी

मप्र में सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की घोषणा तो कर दी,लेकिन विज्ञान की किताबें हिंदी में उपलब्ध नहीं होने से छात्र परेशान हो रहे हैं। हिंदी माध्यम से संचालित हो रहे एमएससी पाठ्यक्रम की किताबे कई कॉलेजों में अनुपलब्ध है। सत्तर प्रतिशत से अधिक ऐसे छात्र हैं,जिन्होंने स्कूल से लेकर बीएससी तक हिंदी में पढ़ाई की है। एमएससी के लिए भी हिंदी माध्यम लिया था लेकिन उपयुक्त किताबें नहीं मिल रही हैं।