लोगों ने घरों में लगाए लाखों रुपए खर्च कर लगाया सोलर प्लांट,फिर भी उपभोक्ताओं को भरना पड़ रहा बिजली बिल

झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड।  बिजली की बचत करने के लिए जहां सरकार लोगों को सोलर प्लांट लगाने की सलाह दे रही हैं। वहीं जिन लोगों ने बिजली बिल में कमी लाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर अपने घरों में सोलर प्लांट लगाए हैं, उन्हें भी बिजली बिल भरना पड़ रहा है। सोलर पैनल के मेंटेनेंस का खर्चा अलग से होता है। लोगों का कहना है कि सोलर पैनल लगाने से बिजली बिल में कमी तो आई हैं,लेकिन कंपनी का जो फंडा हैं उसकी वजह से उन्हें अपनी बिजली का पूरा दाम नहीं मिल रहा है। कंपनी न्यूनतम रेट पर हमसे बिजली खरीद लेती हैं, लेकिन यही बिजली हमें तिगुने रेट पर लौटाई जाती है।

लगाया जाता है अलग से नेट मीटर

सोलर पैनल लगाने वाले उपभोक्ताओं के घरों में अलग से नेट मीटर लगाया जाता है। यह मीटर ऑनलाइन ग्रिड से जुड़ा रहता है। मीटर में एक्सपोर्ट और इनपोर्ट रीडिंग आती हैं। जिससे उपभोक्ता से सोलर पैनल से बिजली लेने के बाद उसे अंतर का बिल जारी किया जाता है। यानि जितनी बिजली सोलर पैनल उत्पादन करता हैं वह बिजली उपभोक्ता की मासिक खपत में समायोजित कर दी जाती है। शेष अंतर की राशि का बिल उपभोक्ताओं को दिया जाता है। यदि घरेलू खपत से अधिक बिजली का उत्पादन सोलर पैनल से करता हैं तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता के आगामी बिलों में राशि समायोजित की जाती है।

2.94 रुपए प्रति यूनिट खरीदते हैं बिजली

विद्युत वितरण कंपनी द्वारा घरों में लगे सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली को खरीदा जाता हैं। बिजली खरीदने की यह दर विद्युत प्रबंधन कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है। तीन किलोवाट वाले सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली को 2.94 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदा जाता है,या फिर उपभोक्ता के बिजली बिल की मासिक खपत में समायोजित कर दिया जाता है। समायोजन के बाद जो अंतर की राशि निकलती हैं वह उपभोक्ताओं को बिल के रूप में जमा करना होती हैं। जबकि विद्युत कंपनी द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं को जो बिजली दी जाती हैं वह 150 यूनिट खपत के बाद 6.61 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से वसूल की जाती है। देखा जाए तो उपभोक्ता जो बिजली बनाकर कंपनी को देता हैं कंपनी उसे न्यूनतम दर पर खरीदती हैं,लेकिन जब उपभोक्ताओं बिजली दी जाती हैं तो टैरिफ  नियम के अनुसार दी जाती है।

अंतर की राशि का बिल जमा करना पड़ता है

बताया गया कि विद्युत वितरण कंपनी जो बिजली घरों में सप्लाई करती हैं वह 150 यूनिट से ऊपर जाने पर 6 रुपए 61 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से चार्ज वसूलती हैं। वहीं जो उपभोक्ता सोलर प्लांट के माध्यम से बिजली उत्पादन कर रहे हैं, कंपनी उनसे 2 रुपए 94 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली क्रय कर उपभोक्ता के मासिक बिल की खपत में समायोजित कर देती है। यदि बिल के समायोजन में राशि को लेकर अंतर आता है उपभोक्ताओं को अंतर की राशि का बिल जमा करना पड़ता है।

दरें विद्युत कंपनी द्वारा निर्धारित

क्षेत्र में उपभोक्ताओं द्वारा सोलर पैनल लगाए गए हैं। इन उपभोक्ताओं के घरों में नेट मीटर के माध्यम से बिलिंग की जाती है। टैरिफ  की जो दरें हैं वह विद्युत कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है।

डीएस चौहान- अधीक्षण यंत्री, बिजली कंपनी-झाबुआ