कहा गायब हो गया शहर का बेशकीमती कांजी हाउस,? पुराने कांजी हाउस की फाइल गुम

नगर में आवारा मवेशियों को दिनो-दिन बढ रही संख्या-लोगों का सडको पर चलना हो रहा दुश्वार,नगर पालिका विभाग नहीं कर रहा कोई कार्यवाही
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। वर्षों से खंडहर पड़े कांजी हाउस के साथ-साथ उसके आस पास की बेशकीमती जमीन पर पूरी तरह से धन्ना शेठो द्वारा कब्जा कर लिया गया है,जिस और जिम्मेदारों का ध्यान ही नही है। यहां तक की कांजी हाउस की फाइल तक नपा कार्यालय से गुम हो चुकी है। पिछले एक नागरिक ने स्वच्छंद घूमने वाले मवेशियों व पागल कुत्तों के आतंक को लेकर जनसुनवाई में आवेदन दिया था। इस दौरान उच्च अधिकारी ने नपा कार्यालय संपर्क कर कांजी हाउस के संबंध में जानकारी ली थी,लेकिन फाइल गुम होने के कारण इस ओर आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई थी। ऐसे में खुले घूमने वाले मवेशियों को पकड़कर रखने के लिए परिषद के पास माकूल व्यवस्था नहीं है। कांजी हाउस को लेकर समय-समय पर नागरिकों द्वारा मांग की जाती रही है, लेकिन अब तक इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया है। कांजी हाउस को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं।
गायब हो चुका है कांजी हाउस आज
कुछ लोगों का कहना था कि नगर के धन्ना सेठ ने कई वर्षों पहले अपने निवास की जमीन के साथ नपा से साठ-गाँठ कर कांजी हाउस को अपनी जमीन के साथ मिला दिया था। परिणाम स्वरूप कांजी हाउस आज गायब हो चुका है। प्रशासन को चाहिए की कांजी हाउस की जमीन और उसी जमीन के दूसरे छोर पर कौड़ियों की जमीन पर कैसे काम्प्लेक्स धन्ना शेठ ने खड़ा कर,उसमें से एक दुकान भी कैसे बेच डाली? इसकी गंभीरता से जांच करेैं। नगर को कांजी हाउस सहज ही उपलब्ध हो जायेगा,सिर्फ जरूरत है प्रबल दृढ़ संकल्प और ईमानदारी से कार्य करने की मात्र
हो रहा भय का माहौल निर्मित
नगर में आवारा पशुओं के द्वारा इन दिनो सडको पर बेफ्रिक होकर विचरण कर रहे है। कई बार इन आवारा पशुओं की बीच में लड़ाई भी होती रहती है जिससे सड़कों पर चलने वाले लोगों में भय का माहौल निर्मित होता जा रहा है। पूर्व में एक परिवार के व्यक्ति की मौत भी इन आवारा मवेशियो के द्वारा हुयी थी। इस तरह की घटनाएं नगर में होना आम बात हो चुकी है जिस पर नगर पालिका विभाग का कोई ध्यान नहीं है और ना ही जिम्मेदार इस ओर कोई कार्यवाही कर रहे है। नगर पालिका विभाग के द्वारा दिखावे के लिये कुछ दिनो तक आवारा मवेशियों को पकड़ने का नाटक किया जाता है,उसके बाद इस कार्य को रोक दिया जाता है।
तत्कालीन कलेक्टर ने दिखाई थी गंभीरता
पूर्व कलेक्टर बी चंद्रशेखर ने आवारा पशुओं पर कार्रवाई के आदेश दिए थे और इस दौरान परिषद के कर्मचारियों ने आवारा पशुओं को ढूंढ ढूंढकर पकड़ा था। पशु मालिकों पर जुर्माना भी लगाया गया था। उनके कार्यकाल के दौरान तो बाजार में एक भी आवारा पशु नहीं दिखाई देता था लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद स्थिति जस की तस हो चुकी है। शहर के किसी भी क्षेत्र में पैदल चले जाएं तो हर तरफ आवारा पशु सड़कों पर बैठे हुए दिखाई पड़ते है।
तरह -तरह की हो रही है बातें
इस संबंध में जब नगर पालिका कार्यालय संपर्क किया गया तो पुराने कांजी हाउस को लेकर तरह -तरह की बातें सामने आई है। कोई पुराने कांजी हाउस की जमीन लीज पर दे देने की बात कह रहा है तो कुछ लोग पुराने कांजी हाउस की फाइल गुम होने का कारण,जमीन का बिक जाना बता रहे है। पिछले कई वर्षों से पुराने कांजी हाउस का नहीं मिलना सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है।
कांजी हाउस केवल कागजो मे ही क्यो रह गया है?
पूर्व में बने कांजी हाउस को कागजो में ही दिखाकर उसके रखरखाव के नाम पर लॉखो रुपये का खर्चा दिखाया जा रहा है। लेकिन नगर पालिका के पास इसका कोई जवाब नही है कि उक्त कांजी हाउस केवल कागजों में ही क्यों रह गया है....? हकीकत की धरातल पर कांजी हाउस पर आखिर किसका कब्जा हो चुका है ? नगर पालिका के कांजी हाउस तक को विभाग के द्वारा फाईलो में घूम करवा दिया गया है। ऐसे कई और मुद्दे है जो नगर पालिका के कागजों में ही सिमट कर रह चुके है। यदि इसकी गंभीरता से जांच की जाए तो ना जाने कितने गढे मुर्दे फिर से जिंदा हो जायेगे।
जनसुनवाई में की थी शिकायत
चालक -परिचालक संघ के हाजी लाला पठान ने बताया कि उन्होने कई बार आवारा पशु व पागल कुत्तों को लेकर जनसुनवाई में शिकायत की थी लेकिन उन्हे कार्रवाई का आश्वासन देकर रवाना कर दिया जाता रहा। पिछले साल उन्होने पुन: कांजी हाउस को लेकर आवेदन दिया था। इस दौरान संबंधित अधिकारी ने नगरपालिका से कांजी हाउस को लेकर जानकारी मांगी थी,लेकिन कांजी हाउस की फाइल गुम हो जाने की सूचना उन्हें दी गई थी।
क्या कहना है, क्षतिपूर्ति के लिये कोर्ट में अर्जी कर सकते है
नगर पालिका को इस ओर एक मुहिम के तहत कार्यवाही चलानी चाहिये। जिससे की सड़क पर घूमने वाले आवारा पशुओं को पकडकर उन्हे या तो कांजी हाउस छोडा जाये या फिर गौशालाओ में भेज दिया जाये। नगर में कई बार अंधेरे के कारण पशु दिखाई नही देते है जिस पर से नगर पालिका द्वारा उनके सिंगो पर रेडियम लगाया जाए जिससे की वे अंधेरे में भी चमके। नगर पालिका विभाग के द्वारा यदि हादसे होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं करती है तो उन पर भविष्य में कोई पशुओं से यदि किसी व्यक्ति को कोई हानि होती है तो उसके लिये वे क्षतिपूर्ति का केस भी विभाग पर कर सकता है। फिर चाहे वह नार्मल डिसेबिलिटी हो या फिर पूर्ण डिसेबिलिटी हो या फिर परिवार के किसी व्यक्ति की जान भी चली गई हो वे क्षतिपूर्ति के लिये कोर्ट में अर्जी कर सकते है।
उमंग सक्सेना- वरिष्ठ अधिवक्ता,रोटरी क्लब सहित समाजसेवी-झाबुआ
लोगो को परेशानी होती है
नगर में आवारा पशु जो घूमते रहते है उनसे लोगो को परेशानी होती है। लोगो को मन में डर सा बना हुआ है। एक व्यक्ति की पूर्व में दुर्घटना होने से मृत्यु हो गई थी। घूमने वाले जानवरों में एक टैग लगाना चाहिए,जिसका हो उसे अपने घरो में ही रखे। नगर में आवारा पशुओं को पकडने के लिये भी नगर पालिका को कार्यवाही करनी चाहिए जिससे कि लोगों की जान माल की रक्षा हो सके।
श्रीमती अर्चना राठौर- अधिवक्ता,रोटरी क्लब सदस्य सहित समाजसेवी-झाबुआ
ढूंढवाता हूं फाइल,कांजी हाउस की वास्तविक स्थिति का पता फाइल मिलने पर ही बताया जा सकता है। फाइल को ढूंढवाता हूं ।
संजय पाटीदार- सीएमओ नगर पालिका ,झाबुआ
झाबुआ शहर की जनसंख्या- 45 हजार से अधिक,18 वार्डों में विभाजित है शहर,10 हजार के करीब मवेशी शहरवासियों व आस-पास के ग्रामीणों के पास है।