सार्वजनिक शौचालय में गंदगी और दुर्गंध,नहीं हो रही साफ. सफाई,खोखले साबित हो रहे खुले में शौच व स्वच्छता के दावे,दुर्गंध से परेशानी

झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड।  नगरपालिका ने सार्वजनिक स्थानों पर सुलभ और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया है,ताकि शौचालयों का लाभ आम जनता को मिल सके,लेकिन इन शौचालयों की सफाई पर नगरपालिका का ध्यान नहीं है। जिसकी वजह से सार्वजनिक शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहा है। शहर के बस स्टैंड,बाबेल चौराहा,बाबेल कंपाउंड,राजगढ़ नाका के सहित अन्य स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय बना है, किन्तु इन शौचालयों में गंदगी रहती है। नियमित साफ. सफाई नहीं होने से लोगों को परेशान होना पड़ता है। खासकर महिलाएं सबसे ज्यादा दिक्कत महसूस करती हैं। नगर पालिका अधिकारियों की लापरवाही, निष्क्रियता के कारण सरकार के लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी शहर में शौचालयों का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। स्थानीय नागरिकों ने बताया नगरपालिका की लापरवाही से सरकार के खुले में शौच से मुक्त शहर के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। शौचालयों की सफाई न होने की वजह से लोगों को खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। नागरिकों का कहना है कि कई बार नगर पालिका के समक्ष उठा चुके हैं,लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई।

साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब

शहर में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाया गया है,लेकिन सफाई के अभाव में इन शौचालय की हालत काफी खराब हो गई है। इस कारण लोग इनका उपयोग न कर खुले में शौच और लघुशंका के लिए जाते हैं। स्वच्छता को लेकर भले बडे-बड़े दावे किए जाएं,लेकिन यहां शौचालय की बात छोडिए,मूत्रालय भी बदहाल हैं। राहगीरों की सुविधा के लिए जगह-जगह मूत्रालय बनाए गए हैं,लेकिन इसकी स्थिति ठीक नहीं है। शौचालयों की दयनीय हालत के चलते सबसे अधिक परेशानी बाजार में खरीददारी के लिए आने वाली महिलाओं को होती है क्योंकि शौचालयों में फैली गंदगी से महिलाओं को परेशान होना पड़ता है। कई शौचालयों में तो पानी तक की कमी बनी रहती है। कई लोग शौच के बाद पानी तक नहीं डालते है। जिससे शौचालयों में दुर्गंध और गंदगी रहती है।

जब जिले के मुखिया और तहसील कार्यालय के यह हाल है,तो नपा की शौचालयों की कैसे सुधर सकती है?

आपको बता दे दी कि जिले के मुखिया और तहसील कार्यालय के शौचालयों की स्थिति बेहद दयनीय है। ऐसे में नपा की शौचालयों की  कैसे सुधर सकती है। लोगो का कहना है कि सभी बड़े अधिकारियों के कार्यालय में उनके शौचालय बने हुए हैए जिसकी साफ सफाई तो नियमित हो जाती है और हम आमजन को तो दुर्गंध भरे शौचालयों का इस्तेमाल करने छोड़ दिया जाता है । जिसकी ओर वातानुकूलित कक्ष में जिले के कप्तान और अधिकारियों  कोई भी ध्यान ही नही है। कलेक्टर कार्यालय में शिक्षा विभाग पास पहली मंजिल के शौचालय की लंबे अर्से से स्थिति बेहद  दयनीय और दुर्गंध भरी बनी हुई है,जिस पर जिम्मेदारो का ध्यान ही नही है। जिम्मेदारो  द्वारा सुध नहीं लेने से मूत्रालय और शौचालय में गंदगी व उठते दुर्गंध से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। मूत्रालय की दुर्गंध से वहां के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सफाई नहीं होने से इसकी दुर्गंध हवा में तेजी से फैलती है। इस कारण जहां आमजन इसमें जाने से कतराते ह,वहीं इस राह से जाने वाले लोगों को मजबूरी में मुंह पर रूमाल रखकर गुजरना पड़ता है। तहसील कार्यालय के शौचालय भी बेहद बदहाल हैं,किन्तु जिमेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
                                                        
शौचालयो का निरीक्षण करूंगी

स्वच्छता प्रभारी को निर्देशित करूंगी कि शहर के सभी सार्वजनिक शौचालयों की साफ. सफाई कर पानी लाइट की व्यवस्था की जाए। व्यवस्था में सुधार कर दिया जाएगा। में स्वयं ही सभी सार्वजनिक शौचालयो का निरीक्षण करूंगी।

कविता सिंगार- अध्यक्ष नगर पालिका ,झाबुआ

बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी

आपके माध्यम से जानकारी मिली है। आज ही स्वच्छता प्रभारी को निर्देश देता हूं कि सभी शौचालय की साफ. सफाई कराए एवं लोगो को परेशानी ना हो इसके लिए सार्वजनिक शौचालयों में बेहतर व्यवस्था बनाई जायगी।

एसएस चौहान-मुख्य नगरपालिका अधिकारी,झाबुआ