प्रदेश की कुछ प्रशासनिक और कुछ राजनैतिक फुलझड़ियो पर संघर्ष से सिद्धि की विशेष प्रस्तुति : संजय जैन, स्टेड-हेड की कलम से

प्रमुख सचिव को मास्टर प्लान की चिंता,
अब तक उलझा हुआ है,किस्सा कुर्सी का,धरी रह गई रायशुमारी...
झाबुआ/इंदौर।संजय जैन।स्टेड-हेड। नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला की नये साल में पहली मीटिंग विकास प्राधिकरण को दिशा दर्शन कराने वाली रही। स्थानीय अधिकारियों ने तो मास्टर प्लान को भुला दिया,लेकिन उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि इंदौर मास्टर प्लान की भी चिंता करें, इसके लिये स्थानीय लोगों से सुझाव भी लें। शुक्ला को यह बताने की हिम्मत नहीं हुई कि स्थानीय प्रबुद्धजनों ने तो एकाधिक बार सुझाव दे रखे हैं, लेकिन भोपाल ही तवज्जों नहीं दे रहा। प्रमुख सचिव ने यह भी पूछ लिया कि वाकई केबल कार योजना जरूरी है क्या....? इसका हश्र भी बाद में बीआरटीएस की तरह असफल योजना तो साबित नहीं होगा। शुक्ला का यह सुझाव भी था कि प्राधिकरण ऐसी योजना बनाए कि लोगों को रोजगार भी मिले। उन्होंने सीनियर सिटीजन बिल्डिंग की तारीफ के साथ ही वर्किंग विमेन होस्टल पर भी काम करने की सलाह दी है।
धरी रह गई रायशुमारी
भाजपा के संगठन पर्व में जिस तरह रुक रुक कर जिला-नगर अध्यक्षों की घोषणा का सिलसिला शुरु हुआ था उसको देखते हुए पार्टी में ही चर्चा चल पड़ी है कि यही सब करना था तो रायशुमारी की कवायद ही क्यों की गई...? हाल ही में भोपाल में वीडी शर्मा से मुलाकात करने पहुंचे, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान ने तो शायद अपने चहेतों के नाम घोषित ही करा लिये।
अब तक उलझा हुआ है,किस्सा कुर्सी का
संगठन पर्व में लगभग सभी जिलों में अध्यक्षों की घोषणा हो गई है।लेकिन कुछ खास जगहों में कुर्सी का किस्सा आज तक भी उलझा हुआ है। देखा जाय तो 25 जनवरी के पहले तक इंदौर के दोनों अध्यक्षों की घोषणा तो हो जानी थी,अब ऐसा प्रतीत रहा हो रहा कि कोई बड़ा उलटफेर हो सकता है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी नए प्रदेश की नियुक्ति के लिए भोपाल पहुच चुके हैं। गौरतलब है कि यदि अरविंद सिंह भदोरिया को फिर से प्रदेश अध्यक्ष का मौका मिल जाता है,तो इंदौर में नगर अध्यक्ष के लिये मुकेश राजावत की दावेदारी मजबूत हो सकती है। पिछली बार भी राजपूत समाज की ग्रामीण जिला के लिये दावेदारी नजर अंदाज कर दी गई थी। अगले प्रदेश अध्यक्ष के लिए बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल के नाम पर संघ के सुरेश सोनी सहित ज्यादातर बड़े नेताओं की भी सहमति है। अजा, जजा वर्ग के लिए फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी, महेंद्र सिंह सोलंकी, गजेंद्र पटेल के और ब्राह्मण कोटे से नरोत्तम मिश्रा भी प्रयासरत तो हैं ही,किंतु वीडी शर्मा खुद इसी कोटे से ही अध्यक्ष रहे हैं, इसलिये पार्टी नेतृत्व उनके नाम पर तो शायद ही सहमत हो। इंदौर नगर अध्यक्ष के लिये जिस तरह से पेंच फंसे है उसे देखते हुए कोई नेता दावा करने की स्थिति में नहीं है कि सुमित मिश्रा का होगा, दीपक जैन टीनू का होगा, बबलू शर्मा, मुकेश राजावत, नानूराम कुमावत का होगा या विवाद का हल नहीं निकला,तो गौरव रणदिवे को फिर मौका मिल सकता है। नाम तो हरिनारायण यादव का भी चल रहा है,वो अध्यक्ष बनना भी चाहते हैं लेकिन किसी निगम या मंडल के। जिले में चिंटू वर्मा का नाम तय हो जाए और शहर में विजयवर्गीय-मेंदोला की पसंद पर मोहर लग जाए,तो पूरे प्रदेश को पता चल जाएगा कि विजयवर्गीय का संगठन मामले में भी कोई तोड़ ही नहीं है।
नई शराब नीति पहले लागू तो हो
मुख्यमंत्री ने नई शराब नीति में धार्मिक क्षेत्रों में शराब बंदी लागू करने की घोषणा कर के धर्मानुरागियों का दिल तो जीत ही लिया है। मंत्री परिषद की बैठक में इस घोषणा पर चर्चा होना थी,लेकिन दो मंत्री गोविंद राजपूत और निर्मला भूरिया की अनुपस्थिति से यह चर्चा टल गई थी। मजेदार बात तो यह है कि अब तो खुद भाजपा के साथ कांग्रेस खेमे के लोग भी कहने लगे हैं कि यह घोषणा पहले लागू हो जाए फिर ही वो विश्वास करेंगे। इसके पीछे का कारण यह कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने उमा भारती को खुश करने के लिये अहाते बंद करने की घोषणा तो की थी,लेकिन आबकारी विभाग और शराब ठेका संचालकों की साठगांठ के चलते शराबियों को सड़क पर महफिल जमाने की छूट मिल गई थी।
नायब अब नायाब हो गए
गांव-शहरों के नाम बदलने को मिले समर्थन के बाद,अब प्रदेश में शासकीय पदों के नाम बदलने का सिलसिला भी शुरु हो गया है। रवींद्र भवन भोपाल में नवनियुक्त नायब तहसीलदारों को नियुक्ति पत्र बांटने के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कह दिया था कि आप सब को तो नायाब तहसीलदार कहना चाहिए। आप का काम नायाब है, नायब नहीं,आप सब नायाब बनें।
ये सब भी काम तो तहसीलदार के मातहत काम करेंगे,लेकिन कहलाएंगे नायाब तहसीलदार। सोचने की बात तो यह भी है कि इन का काम नायाब कहलाएंगे तो तहसीलदार के काम को क्या कहेंगे...? यही नहीं अब ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी के नाम में भी बदलाव किया गया है। इन्हें भी अब कृषि विस्तार अधिकारी के नाम से जाना जाएगा।
तोहफे नहीं, आप तो जरूरी सामान देंवे
कुछ अनूठा की शुरुआत पहले इंदौर करता है ,फिर ही बाकी शहर अपनाते हैं। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ भरत-अंजलि रावत ने अपनी बेटी के विवाह निमंत्रण कार्ड में अनुरोध किया था तोहफे नहीं लाये, भेंट करना ही है तो सिर्फ जरूरत का सामान देवे,आमंत्रितों ने दिल खोल कर इस अनुरोध का पालन किया। भेंट में आया सारा सामान बिवाइज सोशल वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से जरूरतमंदों में बांट दिया गया।
घोषणा करने वाले को मांग करना पड़ी
विधानसभा चुनाव के दौरान शिवराज सिंह ने विदिशा को नगर निगम की सौगात देने की घोषणा की थी। तब और अब में इतना ही फर्क हुआ कि यही घोषणा पूरी करने की मांग केंद्रीय मंत्री चौहान को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव से करना पड़ी। विदिशा में केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान और सीएम डॉ. यादव ने रोड शो किया,जिसके बाद सभा को भी संबोधित किया था। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 821190 प्रधानमंत्री आवास के निर्माण की स्वीकृति का पत्र भी सीएम डॉ. मोहन यादव को सौंपा था।
बाबा रे बाबा !
*ना काहू से दोस्ती,ना काहू से बैर * वाले रास्ते पर चलने वाले विधायक महेंद्र हार्डिया को गुस्सा भी आता है,यह हाल ही में वॉयरल हुए वीडियो से लोगों ने भी देख लिया था। एक तरफ तो भाजपा जीतू जाटव वाले कीचड़ को साफ करने में लगी हुई है और दूसरी तरफ बाबा का यह रौद्र रूप अब भोपाल तक चर्चा में बना हुआ भी है। उल्लेखीनय है बाबा के इस गुस्से से सर्वाधिक प्रसन्न तो एमआयसी सदस्य नंदू पहाड़िया हैं क्योंकि उनके हितों की रक्षा के लिये बाबा निगम अधिकारियों से जो अड़ लिये है।
क्या से क्या हो गया !
चित्रकूट में मुख्यमंत्री डॉ.यादव और मंत्री विजयवर्गीय की बंद कमरे की चर्चा के बाद मप्र में भाजपा की नब्ज पहचानने वाले एक राज्यसभा सदस्य की अचानक भोपाल यात्रा के अर्थ तलाशे जा रहे हैं। ऐसी क्या खिचड़ी पक रही है...? परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक से लेकर बंडा के पूर्व विधायक के यहां से मिले सोने के भंडार, पूर्व परिवहन मंत्री से लेकर उनके विरोधी मंत्री में चल रही बयानों की बमबारी और बेनामी जमीन के मामले । कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे हैं चाल-चरित्र-चेहरे में इतना फर्क क्यों नजर आने लगा है....?
मुआवजा भी बनता है
उल्लखनीय है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने में चाईनीज मांझे के खिलाफ जिला प्रशासन ने इसके खतरे बताते हुए आमजन को खूब सजग किया था और दूसरी तरफ फूटी कोठी ब्रिज पर दोपहिया वाहन से जा रहे हिमांशु सोलंकी के गले में उलझा यह मांझा जब उसकी मौत का कारण बन गया तो पुलिस अपने वाली पर उतर आयी थी। पहले तो पुलिस ने माना ही नहीं था कि मौत का कारण यह मांझा है।फिर उसके परिजन रिपोर्ट लिखाने गए तो एक से दूसरे थाने के चक्कर लगवाए गए थे। वरिष्ठ अधिकारियों ने लापरवाह पुलिसकर्मियों को दंडित तो किया,लेकिन मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के संबंध में किसी विभाग ने अब तक नहीं सोचा है, न ही किसी मंत्री ने इस मामले में सजगता दिखाई है।
बिजनेस तो मिला
कांग्रेस की हालत चाहे जैसी भी हो गत 27 जनवरी को महू में आंबेडकर जन्मस्थली पर कांग्रेस के बड़े जलसे में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी के आगमन से महू, इंदौर के होटल कारोबारियों को भारी बिजनेस हुआ। विभिन्न प्रदेशों के करीब दस हजार नेताओं को ठहराने के लिए बड़े पैमाने पर होटलों में कमरों की बुकिंग हुई थी।देश भर से कितने कार्यकर्ता जुटेंगे, इसका अधिकृत आंकड़ा तो जिले के नेताओं के पास नहीं था, लेकिन आने वाले मेहमान नेताओं के लिये कमरों की बुकिंग संबंधी सूची पहले ही पहुंच चुकी थी।