झाबुआ /इंदौर।संजय जैन-स्टेट हेड। ऐसी बैचेनी भाजपा में पहले कभी नहीं रही कि अगला नगर अध्यक्ष और ग्रामीण जिलाअध्यक्ष कौन बनेगा..? ऐसे देखा जाए तो 15 जनवरी तक सभी जिलों में अध्यक्षों की घोषणा हो जानी थी और 25 जनवरी से प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जानी थी। 

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपनी पसंद के नामों के लिये अड़े हुए

उल्लखनीय है कि प्रदेश के सबसे बड़े जिले इंदौर में अभी तक अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पायी है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिये चुनाव अधिकारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भोपाल भी पहुंच चुके है। गौरतलब है कि 62 जिलों में कुल छह किश्तों में 59 जिलों के अध्यक्ष घोषित किये जाने के बाद इंदौर और टीकमगढ़ से अलग हुए निवाड़ी जिले के अध्यक्षों के नाम अभी तक अधर में ही अटके हुए है।सूत्रों अनुसार इस बार इंदौर शहर के साथ ही ग्रामीण अध्यक्ष दोनों ही पदों के लिये मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपनी पसंद के नामों के लिये अड़े हुए हैं।गत दिनों भाजपा ने दो और जिलों के लिए जिला अध्यक्ष की घोषणा की थी जिसमे पहले छिंदवाड़ा में कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में शेषराव यादव को फिर से मौका दिया गया है। वे सागर से सांसद लता वानखेड़े के बहनोई हैं। दूसरे ओर नरसिंहपुर में रामस्नेही पाठक को जिला अध्यक्ष बनाया गया।जबकि मंत्री प्रह्लाद पटेल ने उनके भाई जालम सिंह पटेल के लिए दबाव बना रखा था, लेकिन यहां पटेल के ही विधायक प्रतिनिधि राम स्नेही पाठक को अध्यक्ष  को बनाया गया।  

इंदौर नगर और ग्रामीण के जिला अध्यक्ष पर अब तक सहमति नहीं बन पाई

इंदौर नगर और ग्रामीण के जिला अध्यक्ष पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। इंदौर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और मंत्री तुलसी सिलावट के बीच ग्रामीण अध्यक्ष को लेकर मामला उलझा है। विजयवर्गीय चाहते हैं कि एक साल पहले अध्यक्ष बनाए गए चिंटू वर्मा को ही फिर से मौका मिले। वहीं जिले (इंदौर ग्रामीण) के तीनों विधायक मनोज पटेल, तुलसी सिलावट और उषा ठाकुर ,चिंटू वर्मा के सख़्त खिलाफ हैं। इन विधायकों ने सिलावट के नाम अंतर दयाल को समर्थन दे दिया है।पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन को भी इस नाम पर आपत्ति नहीं है। जिले के साथ ही इंदौर नगर में भी मंत्री विजयवर्गीय ने अपने पुत्र-पूर्व विधायक आकाश की पसंद दीपक जैन टीनू के नाम को आगे बढ़ा रखा है।जबकि उनके ही खेमे के विधायक रमेश मेंदोला और तीन नंबर से विधायक गोलू शुक्ला ने सुमित मिश्रा के नाम का दबाव बना रखा है।एक अन्य दावेदार मुकेश राजावत संगठन में विंभिन्न पदों पर रहे हैं। राजपूत समाज से जुड़े पार्टी नेताओं ने भी उनके नाम का दबाव बना रखा है। भाजपा के अधिकांश नेता इस पक्ष में नहीं हैं कि शहर और ग्रामीण दोनों अध्यक्ष किसी एक विधायक-मंत्री की पसंद के बनाये जाएं। यदि प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा के चलते इंदौर के दोनों अध्यक्षों के नाम होल्ड किये जाते हैं,तो शहर और ग्रामीण में चौंकाने वाले नाम भी सामने आ सकते हैं।  

रणदिवे ने बताया अध्यक्ष पद का महत्व

इंदौर नगर अध्यक्ष के पद का कितना महत्व है,...? इसे वर्तमान अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने  बीते वर्षों में साबित कर के दिखाया है। वैसे तो नगर अध्यक्ष उनसे पहले भी रहे है,लेकिन रणदिवे की कार्यशैली, पुलिस-प्रशासन में दखल, सभी गुटों को साथ लेकर चलने की विनम्र शैली से इस पद का महत्व दावेदारों को भी पूरी तरह समझ में आया है।बहुत संभव है कि यदि नगर अध्यक्ष पद को लेकर आमराय नहीं बनती है,तो रणदिवे को रिपीट करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। 

निवाड़ी में भी पेंच फंसा हुआ

टीकमगढ़ जिले से अलग होकर बने निवाड़ी जिले में भी इंदौर की तरह जिलाध्यक्ष को लेकर पेंच फंसा हुआ है। पूर्व मंत्री स्व.सुनील नायक के भाई गणेशी लाल नायक के नाम पर पहले से आम सहमति इसलिये भी थी कि वे  2022 के उपचुनाव और 2023 के विधानसभा चुनाव में पृथ्वीपुर से टिकट के दावेदार थे, लेकिन बीजेपी ने दोनों बार पूर्व विधायक शिशुपाल यादव को मौका दिया था। जिसके चलते गणेशी लाल नायक का नाम जिलाध्यक्ष की रेस में तेजी से उभरा था। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूर्व विधायक शिशुपाल यादव का नाम आगे बढ़ाया, जिससे मामला पूरी तरह से फंस गया है। निवाड़ी में भाजपा  विधायक अनिल जैन ने भी अपने समर्थक संजय नकीब का नाम आगे बढ़ाया है। यही नहीं वो संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा से भी संजय नकीब के लिये मुलाकात कर चुके हैं।भाजपा संगठन यहां भी आम राय बनाने में जुटा है। प्रदेश में जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू होने वाली है, ऐसे में माना जा रहा है कि संगठन दोनों जिलों में नामों पर आम राय बनाकर जल्द ही  अध्यक्षों की घोषणा कर सकता है। 

प्रदेश अध्यक्ष के लिए हेमंत खंडेलवाल आगे

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया कल से शुरु होने के आसार हैं। इस दौड़ में बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है, उन्हें संघ के सुरेश सोनी का आशीर्वाद होने से मोहन यादव भी उनका समर्थन कर रहे हैं। पूर्व गृहमंत्री और नरोत्तम मिश्रा भी इस पद की दौड़ में हैं। मिश्रा प्रमुख मंदिरों में अनुष्ठान कर रहे हैं,लेकिन भाजपा के ज्यादातर नेताओं की राय है कि वर्तमान अध्यक्ष के बाद फिर से ब्राह्मण को अध्यक्ष बनाने से पार्टी में अच्छा मैसेज नहीं जाएगा। वही भोपाल की हुजूर सीट से तीन के बार के विधायक रामेश्वर शर्मा के नाम की चर्चा भी चल रही है।शर्मा इस बार मंत्री पद के भी दावेदार थे, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली थी। जिसके बाद से उनके नाम की चर्चा भी अध्यक्ष पद के लिए चल रही है, इनके साथ भी ब्राह्मण वाला फैक्टर जुड़ा है। पूर्व मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया का नाम भी इस रेस में शामिल हैं। इसके अलावा पन्ना से विधायक-पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह भी अध्यक्ष पद की दावेदारी में शामिल हैं।