मुख्यमंत्री बोले तब तो सब बोले -लगातार सामने आ रहे नए-नए नाम और कारनामें

इंदौर की जो जगहंसाई हुई,वह है अक्षम्य-सारे शूरवीर मौन साधे हुए भोपाल की तरफ ही देखते रहे
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। प्रदेश भाजपा ने जीतू जाटव (यादव)को इस्तीफा देकर शहीद होने का मौका नही देने की बजाय बर्खास्त कर उसे बेइज्जत करने में तत्परता दिखाई तो थी। वही महापौर को भी एमआयसी से हटाने की याद भी आ गई ,जीतू के इशारे पर उसके गुर्गों ने कांड जो किया था। उलेखनीय है कि कांड के छह-सात दिन बीत जाने के बाद सत्ता और संगठन को शर्म महसूस हुई। लोकमाता की न्यायप्रियता को बारमबार याद करने वाले इंदौर की फिजाओं में,यह चेतावनी तो ना जाने कब से गूंज रही थी कि शहर की फिजा बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को उल्टा लटका दूंगा,लेकिन यह चेतावनी देने वालों ने भी बता दिया कि घुटना तो पेट की तरफ ही मुड़ जाता है। गत दिनों मुख्यमंत्रि शहर में नहीं आए होते तो आननफानन में शायद ये एक्शन भी नहीं हो पाता। दो भाजपा पार्षदों के विवाद में एक मासूम बालक को जो कुछ भोगना पड़ा,उसकी भरपाई तो कभी हो ही नहीं सकती है। बताया जा रहा है कि जीतू की गिरफ्तारी की प्रबल संभावना है। उसके गुंडों की फौज के कारण इंदौर की जो जगहंसाई हुई है,वह तो अक्षम्य है।
लगातार सामने आ रहे नए-नए नाम और कारनामें
दर्जनभर आपराधिक मामलों से लदा जीतू सरकारी जमीनों पर कजा करने में भी पीछे नहीं है। भाजपा से निष्कासित पार्षद जीतू जाटव के नए-नए नाम और कारनामें लगातार सामने आ रहे हैं। उसका अब एक और कारनामा सामने आया है। उसने कल्याण मिल की जमीन पर अवैध 56 दुकान मार्केट तो बनाया ही, कुलकर्णी नगर के बगीचे पर भी कब्जा कर ऑफिस तान दिया। कब्जे की ढाल के लिए दूसरी ओर मंदिर भी बनवा दिया। कालरा कांड से पहले इस ऑफिस पर दिनभर गुंडे-बदमाशों का जमघट रहता था। लेन-देन के लिए भी लोगों को यहां बुलाया जाता था,यानी यह मांडवली का अड्डा था,इसके बाद भी नगर निगम और प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। निगम के बगीचे पर ताला लगाकर रखने की भी बात लोगों ने कही है। प्रकरण में हाल ही में एक और गिरफ्तारी नितिन उर्फ बंटी पिता सुभाष भोरूड की हुई है।
सारे शूरवीर मौन साधे हुए भोपाल की तरफ ही देखते रहे
इस पूरे कांड में यह भी गौर करने लायक है कि कांड के छह दिन बाद तक शहर के सारे शूरवीर मौन साधे हुए भोपाल की तरफ देखते रहे कि सीएम हाउस से पहले मन की बात का प्रसारण होगा। जब वहां से वाणी गूंजी तो रातोंरात महापौर पहुंच गए कालरा परिवार की व्यथा सुनने,पूरा सिंधी समाज सांसद की खामोशी पर पहले दिन से ही खफा चल रहा था, सांसद ने भी तुरंत जुबान हिला दी। दोनों पार्षदों को अनुशासनहीनता का नोटिस देने वाले शहर भाजपा अध्यक्ष को भी लगा था कि अब मुझे भी बोलना चाहिए,क्षेत्रीय विधायक तो बिना बोले ही घटना वाले दिन से सक्रिय थी,मामला दो नंबर और चार नंबर की खुन्नस वाला जो हो गया था। उनके सुपुत्र तो सोशल मीडिया पर लिख चुके थे कि आगे और लड़ाई है,यानी आगे और उतापा भी हो सकता है। पूरे मामले में दो नंबर के विधायक ही नहीं बोले क्योंकि जीतू के जन्मदिन वाले पोस्टरों में यह जुगल जोड़ी ही तो शहर में लगे होर्डिंग्ज में खिलखिला रही थी। जीतू के आसपास जो बाकी चेहरे होर्डिंग्ज में नजर आ रहे थे,उन्हीं में से अधिकांश की धरपकड़ भी चल रही है।
लचर रवैया-पुलिस ने नहीं मांगा रिमांड, 5 गुर्गे गए जेल
इस पूरे कांड में उदासीनता का सर्टिफिकेट लेने में पुलिस महकमा सबसे आगे रहा। सीएम बनने के बाद से इंदौर में उनके खास लोगों ने अपना तगड़ा नेटवर्क बना लिया है, फिर भी हकीकत पता करने में उन्हें लगभग छह दिन लग गए। सीहोर के ढाबे से जीतू के गुर्गे शैलेंद्र उर्फ पिंटू शिंदे समेत पांच को पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में पेश किया,हालांकि रिमांड नहीं मांगा था। नतीजा,कोर्ट ने सभी को जेल भेज दिया। बताते हैं कि पुलिस रिमांड मांगती तो,पिंटू से पूछताछ में कई खुलासे हो सकते थे। सीएम के निर्देश के बाद भी पुलिस का रवैया अब भी लीपापोती का दिख रहा है। दो पार्षदों के अहंकार में घर की महिलाओं ने जो सहा वह तो दुखद है ही,उस बालक के साथ की गई निर्लज्जता को लेकर इंदौर बहुत कुछ पूछने का हक तो रखता है,लेकिन वे पूछे तो पूछे किससे....? जब दादा-बहादर शहर को अपने मन मुताबिक चलाने लगेंगे तो इस तरह का गुंडाराज,कल फिर किसी नए रूप में सामने आ भी सकता है। बदनामी के छींटों से बदरंग हुए नगर निगम के चेहरे को साफ सुथरा दिखाने के लिये एमआयसी से छुट्टी कर दी गई। जिन गुंडों ने जीतू की फजीहत कराई उनमें से ज्यादातर नगर निगम में मस्टरकर्मी हैं। महापौर किस दबाव में हैं जो मस्टर कर्मियों के नाम पर पट्टlवाद को संरक्षण दे रहे है.....?
खोल दिए अपने लिए जेल के दरवाजे
साफ -सुथरे इंदौर को निर्वस्त्र करने की इस अकल्पनीय हरकत पर पीएमओ ने संज्ञान नहीं लिया होता तो,जीतू की हरकतों को प्रदेश संगठन शायद नजरअंदाज कर देता। आपको बता दे कि इससे पहले बल्ला कांड में भी पीएमओ ने असलियत पता की थी। यह दूसरी बार है कि दो नंबर फिर निशाने पर है। पुलिस रिकार्ड बताता है कि 11 वर्ष में जीतू के नाम 11 अपराध दर्ज है। उसने अपने व्यवहार में सुधार के बल पर वार्ड के मतदाताओं का दिल भले ही जीत लिया था,लेकिन इस कांड ने उसके लिये जेल के दरवाजे खोल दिए हैं। गत दिनों खंडवा सिंधी समाज युवा संगठन के एक युवक अर्धनग्न होकर मुख्यमंत्री और कलेक्टर से जीतू को आरोपी बनाने की मांग की थी। अब ऐसे विरोध के स्वर उठते देखकर तो ऐसा साफ प्रतीत होता है कि उसने अपने लिए शायद जेल के दरवाजे तो लगभग खोल ही दिए है।
जवाबदेही तो प्रभारी मंत्री की भी तय होना चाहिए
देखा जाय तो इस एक कांड ने सरकार को मौका दे दिया है कि शहर की इज्जत को दांव पर लगाने वाले और संरक्षण देने वालों को ठीक करने का साहस वे दिखाए। जिस शहर के प्रभारी मंत्री खुद सीएम हों,वहां एक सप्ताह तक कहीं कोई हलचल न हो तो जवाबदेही तो प्रभारी मंत्री की भी तय होना चाहिए। सरकार ने इस पूरे कांड की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की घोषणा कर दी है,ऐसी औपचारिकता तो पूर्व स्पीकर के पुत्र के शोरूम पर हुई गुंडागर्दी के बाद भी दिखाई थी। गौर करने लायक है कि वायरल हुए वीडियो में एमआयसी सदस्य जीतू और कमलेश कालरा दोनों में कोई दूध का धुला तो नहीं है। पुलिस महकमे के पास तो सब की कुंडली है,सीएम को बताएं और कार्रवाई करने का आदेश भी ले।