प्रदेश के अलग हट कर प्रशासनिक मुद्दो पर संघर्ष से सिद्धि की विशेष पेशकश,संजय जैन- स्टेट हेड की कलम से

अब इंदौर कलेक्टर दिखाएंगे तत्परता हरदा कलेक्टर ने डॉटर्स क्लब की पहल की एसडीएम हाय- हाय जनसुनवाई में मीडिया प्रतिबंधित! नाम के प्रभारी मंत्री! बात बंटेंगे तो कटेंगे वाली नहीं है-पृथक बुंदेलखंड के लिये वोटिंग
अब इंदौर कलेक्टर दिखाएंगे तत्परता
झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। इंदौर को शर्मसार करने वाले भाजपा पार्षद जीतू जाटव पर देरी से सख्ती के लिए भाजपा से लेकर पुलिस प्रशासन सब की ढिलाई रही है। अब गेंद कलेक्टर आशीष सिंह के पाले में हैं उनकी तत्परता है कि पुलिस महकमे से मिली जानकारी के बाद जिला बदर की फाइल तैयार हो रही है। उनका बस चले तो उसके मकान पर भी बुलडोजर चलवा दें,लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के कारण उनके हाथ शायद बंध गए हैं। इस कांड के बाद अब जीतू जाटव के अपराधों के किस्से भी सार्वजनिक होते जा रहे हैं।
हरदा कलेक्टर ने डॉटर्स क्लब की पहल की
हरदा जिले के कलेक्टर आदित्य सिंह-2014 बैच वे उन आइएसो में से हैं,जिनके मात्र एक नवाचार से पूरे प्रदेश में उनकी तारीफ होने लगी है। मप्र में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को 10 साल पूरे होने को हैं,कलेक्टर हरदा ने जिले में रेवा-शक्ति योजना शुरू की है। इस योजना में एक और 2 बेटियों वाले परिवारों के लिए कीर्ति कार्ड बनाए जाएंगे। ऐसे 638 परिवारों को चिन्हित किया गया और इन परिवारों का डॉटर्स क्लब बनाया गया है। ऐसे परिवारों को समाजसेवी संस्थाओं की मदद से निजी अस्पताल में इलाज,बस के किराए, होटल रेस्टोरेंट में भोजन, प्राइवेट स्कूल में दाखिले, स्टेशनरी और किराना खरीदी में रियायत दिलाई जाएगी आदित्य सिंह को तो तीन साल पहले कलेक्टर बन जाना था,लेकिन तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस उन्हें नजरअंदाज करते रहे।
एसडीएम हाय-हाय
मध्यप्रदेश में संभवतया यह पहला प्रकरण है जब घुघरी तहसील में पदस्थ 68 पटवारियों के में से 60 पटवारियों को एक साथ दो दिन का वेतन काटने का आदेश एसडीएम आसिफ खान के अनुमोदन पश्चात तहसीलदार ने जारी किया है। इस कार्रवाई के खिलाफ जिला पटवारी संघ ने तहसीलदार को एक ज्ञापन तो सौंपा ही साथ ही एसडीएम खान के खिलाफ हाय-हाय के नारे लगाते हुए,संघ ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि यह हिटलरशाही फरमान वापिस नहीं लिया गया तो संगठन जिला स्तर पर हड़ताल करने के लिए विवश हो जाएगा।
जनसुनवाई में मीडिया प्रतिबंधित!
एक तरफ तो मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जनता दरबार लगाने और लोगों की समस्या हाथों-हाथ हल करने का नवाचार कर रहे हैं,वहीं दूसरी तरफ उनके ही जिले में नागदा के एसडीएम ने जनसुनवाई में मीडिया का प्रवेश ही प्रतिबंधित कर दिया। इसके विपरीत आयुक्त जनसंपर्क डॉ.सुदाम खाड़े ने सभी जनसंपर्क अधिकारियों को निर्देश दे रखे हैं कि जनसुनवाई वाले मामलों का खूब प्रचार-प्रसार हो ताकि लोगों में जागरुकता बढ़ सके। जब एसडीएम नागदा द्वारा मीडिया को जनसुनवाई कार्रवाई से मीडिया को बाहर करने पर हल्ला मचा और बात बिगड़ने लगी तब फोटोग्राफरों को प्रवेश के हेतू राजी हुए।
नाम के प्रभारी मंत्री!
उज्जैन में जिस तरह महाकाल होने से अन्य किसी देवता को उतनी प्रमुखता नहीं मिलती,वही हाल राज्य सरकार की व्यवस्था का है। जब खुद मुख्यमंत्री ही उज्जैन के हों तो उज्जैन के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल तो बस नाम के ही प्रभारी मंत्री रहेंगे। एक साल से अधिक हो गया,प्रभारी मंत्री टेटवाल कितने कार्यक्रमों में आए, उज्जैन के लिये क्या कुछ किया....? खुद उन्हें भी याद नहीं होगा।
मां देती रहती हैं आशीष!
फिल्मी दुनिया में ऐसे निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली हैं,जो अपनी मां लीला का नाम साथ में न लगाएं तो उनका नाम अधूरा लगता है। शायद उसी तरह से प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल भी दो साल पहले उनकी मां के निधन के बाद से मां उषा का नाम लगा रहे हैं। उनके पिता का निधन तब हो गया था,जब आशीष मात्र 12 साल के ही थे। उनकी मां उषा बीमारी के चलते अस्पताल में इंफेक्शन पर इंफेक्शन का शिकार होती रहीं। आखिर में 66 वर्ष में उनका भी निधन हो गया। उसके बाद मां का आशीष सदैव साथ उन पर बना रहे,इसलिए उन्होंने अपने नाम के साथ उनकी मां का नाम भी जोड़ लिया।
बात बंटेंगे तो कटेंगे वाली नहीं है
महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों को ठगने-लूट मचाने वाले अन्य किसी धर्म के नहीं सनातन संस्कृति का गुणगान करने वाले ही है,ऐसे में बटेंगे तो कटेंगे नारा तो कम से कम यहां फिट नहीं बैठता। लूट भी हजार दस हजार की नहीं हर दिन लाखों की। मंदिर समिति ने दिसंबर महीने में श्रद्धालुओं के आगमन और होने वाली आय के जो आंकड़े जारी किये हैं,वो चौंकाने वाले हैं कि कुछ दिन तो 18 लाख रु.रोज की आय हुई। फिर दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में घट कर 9 लाख हो गई,प्रशासक धाकड़ सहित बाकी लोगों की कारगुजारी सामने आइ और गिरफ्तारी हुई,तो आय बढ़ कर 30 से 35 लाख तक हो गई। कलेक्टर-एसपी ने खुद आरोपियों से पूछताछ की थी। कुछ नाम और भी बताए थे,लेकिन एडीएम को तो अस्थायी प्रभार दे दिया और बाकी भी चैन की सांस ले रहे हैं। धाकड़ को दूसरी बार प्रशासक बनवाने संघ से जुड़े वरिष्ठ सदस्य ने भी चुप्पी साध ली है।
पृथक बुंदेलखंड के लिये वोटिंग
अभी कोई बड़ा चुनाव तो है नहीं,लेकिन मध्य प्रदेश में वर्षों से की जा रही पृथक बुंदेलखंड की मांग तेज हो गई है। बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने 26 विधानसभाओं में जनमत संग्रह करना शुरू कर दिया है। बुंदेलखंड राज्य की मांग को इस जनमत संग्रह से मजबूती ही मिलना है क्योंकि आंदोलन के अगले चरण में क्षेत्र के लोग और अधिक उत्साह दिखाएंगे।