कर्मचारी चयन मंडल में हद दर्जे का फर्जीवाड़ा-गड़बड़ी की जांच तो हुई नहीं और चयन परीक्षा के बाद नौकरी भी मिल गई

झाबुआ/इंदौर। संजय जैन-स्टेट हेड। दो साल पहले हुई उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की, आवेदकों ने अब तक सप्रमाण पांच बार शिकायतें कर दी हैं। हर शिकायती पत्र पर सामान्य प्रशासन विभाग-जीएडी ने आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी दिए है,किंतु इन पांच महीनों में अब तक भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फर्जीवाड़े का आलम यह है कि चयन परीक्षा के बाद उम्मीदवारों को नौकरी भी मिल गई। शिकायत करने वाले अभी अधर में हैं क्योकि जांच हुई नही और रिपोर्ट भी नही आयी, तो नौकरी मिलने की उम्मीद कैसे पूरी हो...?

यह था पूरा मामला

ईएसबी स्तर से कार्रवाई अपेक्षित नहीं

उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2023 में फर्जीवाड़े के आरोप की लिखित शिकायत बाकी परीक्षार्थियों के प्रतिनिधि के रूप में परीक्षार्थी कार्तिक गिरवाल एवं मनावर के सुदर्शन सोलंकी ने कर्मचारी चयन मंडल भोपाल से की थी। शिकायत में कहा था कि उक्त परीक्षा के बायोलॉजी विषय की दो शिफ्ट में समान प्रश्न होने के बावजूद एक शिफ्ट में प्रश्न को सही माना गया था जबकि दूसरी शिफ्ट में प्रश्न के हिंदी अनुवाद में त्रुटि(संरचनात्मक दृष्टि से सही नहीं)मानकर प्रश्न को निरस्त कर दिया गया था। जिससे एक शिफ्ट को इस प्रश्न का लाभ हुआ था एवं दूसरी शिफ्ट में एक प्रश्न की हानि हुई एवं कई परीक्षार्थी दशमलव में अंक आने से अपात्र हो गए थे। इस शिकायत पर ईएसबी ने जवाब दिया की उक्त के सम्बन्ध में ईएसबी स्तर से कार्रवाई अपेक्षित नहीं है।

ईएसबी जांच क्यों नहीं कर रहा है....?

ईएसबी के इस जवाब से असंतुष्ट शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय,राष्ट्रपति सचिवालय,मुख्य सचिव मप्र,प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन,प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग एवं लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से की है। जिस पर कार्रवाई करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग मप्र ने संचालक मप्र कर्मचारी चयन मंडल को दिनांक 18 जुलाई 2024 को पत्र जारी कर आवश्यक कार्यवाही कर सम्बंधित को अवगत कराने हेतु लिखा था। पांच माह बाद भी अब तक ईएसबी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। दूसरी ओर पात्रता परीक्षा के बाद चयन परीक्षा भी हो चुकी है एवं नियुक्तियां भी दी जा चुकी है । ऐसे में बड़ा सवाल है कि सामान्य प्रशासन विभाग के कहने पर भी ईएसबी जांच क्यों नहीं कर रहा है...? जांच नहीं करना,ईएसबी को और अधिक संदेह के घेरे में लाता है।

कब न्याय होगा और कब नौकरी मिलेगी....?

बेरोजगार उम्मीदवारों के लिए एक प्रश्न पूरे भविष्य को तय कर सकता है,वहीं शासन-प्रशासन भी भर्ती परीक्षाओं में निष्पक्षता और पारदर्शिता हेतु प्रतिबद्धता नहीं दिखा पा रहा है। जो उम्मीदवार ईएसबी से जांच की उम्मीद लगाए बैठे हैं,उनकी चिंता यह भी है कि दो साल पहले हुई परीक्षा के घोषित रिजल्ट के बाद चयन परीक्षा हो गई और चयनित उम्मीदवारों को नौकरी भी दी जा चुकी है। जांच के अभाव में ऐसे सारे आवेदकों की चिंता है कि उनके साथ कब न्याय होगा और कब नौकरी मिलेगी...?

बार-बार नाम बदले,लेकिन गड़बड़ी यथावत

तीन साल पहले शिवराज सरकार ने कैबिनेट की बैठक में व्यावसायिक परीक्षा मंडल ;व्यापमंद्ध का नाम बदल कर नाम कर्मचारी चयन बोर्ड कर दिया था। शिवराज सरकार ने कुछ साल पहले अंग्रेजी शब्दावली का उपयोग कर इसका नाम प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ;च्म्ठद्ध किया थाए लेकिन इससे भी फायदा नहीं हुआ तो एक बार फिर इसका नाम बदल कर्मचारी चयन बोर्ड कर दिया था। बार बार नाम बदलने के बाद भी इस बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में धांधली क्यों नहीं रुक पा रही हैं ....?