प्रदेश में भाजपा अध्यक्षों की घोषणा का पेंच फंसा हुआ

झाबुआ। संजय जैन । प्रदेश में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए भाजपा में माथापच्ची जारी है। संगठन पर्व में उम्दा प्रदर्शन करने वाला मप्र भाजपा संगठन अब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पिछड़ता नजर आ रहा है। तय समय सीमा पांच जनवरी तक अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई,वजह नामों पर सहमति नहीं बन पाना है। बताया जा रहा है कि जहां महिला सांसद व महापौर है,वहां पुरुष को ही जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सूची फाइनल हो गई है,इसे स्वीकृति के लिए दिल्ली भेजा गया,दिल्ली से भी सूची शामिल नामों को स्वीकृति मिल गई है। नामों की सूची सोमवार को जारी की जानी थी,लेकिन अब उसमें से भी कुछ जिलों में फिर विवाद शुरू हो गया है, इससे सूची अटक गई है।

इंदौर नगर अध्यक्ष का मामला उलझा-झाबुआ जिला अध्यक्ष कौन?

भाजपा का अगला झाबुआ जिला अध्यक्ष कौन? यदि कार्यकाल वाले पहलू पर राय बनती है,तो पहली दावेदारी तो छोटे से वर्तमान कार्यकाल के चलते वर्तमान अध्यक्ष भानु भूरिया की हो सकती हैं। यदि उन्हें मौका नहीं मिला तो अजय पोरवाल,गौरव खंडेलवाल और सत्येन्द्र यादव के नामों की भी चर्चा है। पिछली बार भाजपा ने मनोनित कर भानु भूरिया को मौका दिया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष-सांसद वीडी शर्मा ने इंदौर में कहा था कि प्रदेश के अधिकांश नगर-जिले के भाजपा अध्यक्षों की घोषणा एक-दो दिन में हो जाएगी,इसमें इंदौर भी शामिल है क्या...? उनका कहना था कुछ अध्यक्षों की घोषणा देर से होगी। मतलब साफ  है इंदौर नगर अध्यक्ष के दावेदारों के कारण ही भाजपा अध्यक्षों की घोषणा का पेंच फंसा हुआ है। गौरतलब है कि रायशुमारी प्रक्रिया पर दावेदारों को कम ही भरोसा है।

कौन होगा अगला भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ?

प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष 15 जनवरी तक घोषित हो सकता है। शुभंकर माने जाने वाले वीडी शर्मा को फिर से यह दायित्व मिलने का मतलब यह होगा कि इंदौर सहित कई जिलों में वर्तमान अध्यक्षों पर ही भरोसा करना हो सकता है।

वीडी शर्मा नहीं तो कौन...?

संभावित नामों में नरोत्तम मिश्रा बहुत पहले से भोपाल-दिल्ली एक किए हुए भी हैं। बैतूल विधानसभा सीट से विधायक हेमंत खंडेलवाल, अनुसूचित जाति के होने के कारण लाल सिंह आर्य भी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के दावेदार हैं। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते,राज्यसभा सांसद और युवा आदिवासी चेहरा सुमेर सिंह सोलंकी के साथ ही हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा,देवास सांसद महेन्द्र सोलंकी,पूर्व विधायक अरविंद भदौरिया के नाम भी चर्चाओं में हैं। किसी महिला को मौका मिला तो सागर की सांसद लता वानखेड़े,बुरहानपुर की विधायक अर्चना चिटनीस और सीधी की विधायक रीति पाठक के नामों की भी चर्चा है।

साफ  किया कांग्रेस का कचरा वीडी शर्मा ने

जहरीले कचरे को पीथमपुर शिफ्ट करने के बाद जिस तरह आक्रोश-हिंसा भड़की उससे लोगों का सरकार पर भी भरोसा नहीं रहा। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मैदानी लड़ाई क्या लड़ी प्रदेश भाजपा को सरकार की साख बचाने के लिए कूदना पड़ा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इंदौर में मोर्चा सम्हाला और सारा दोष कांग्रेस पर मढ़ दिया। यह भी कहा कि कांग्रेस ने झूठ परोसा जिससे हालात बिगड़े,मुख्यमंत्री तो जनभावना के साथ हैं इसलिये तो उन्होंने कहा है कि कोर्ट के सामने सारी स्थिति रखेंगे,कोर्ट जो दिशा निर्देश देगी उसका पालन करेंगे।

आखिर चूक हुई कहां?

जहरीला कचरा पीथमपुर ट्रांसफर करने के मामले में आखिर चूक कहा हुई जिससे हालात इतने बिगड़ गए। जिस हाईलेवल मीटिंग में योजना बनी होगी क्या उसमें आफ्टर इफेक्ट पर सोचा ही नहीं गया था....? ज्ञात हो कि राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री इतना बड़ा निर्णय अपने हिसाब से तो ले नहीं सकते है। क्यामुख्य सचिव से लेकर वल्लभ भवन के काबिल अधिकारियों ने कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर कुछ चर्चा नहीं की होगी....?  अब तो ऐसा साफ  प्रतीत हो रहा है कि यह प्रशासनिक मुखियाओ की एक अदूरदर्शिता रही है या सोची समझी तय रणनीति के तहत मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कचरा नही जलाने की घोषणा कर जनभावना को एक तरफा अपने पक्ष में करने का काम तो नहीं किया है।

हाथ जोड़ लिए कैलाश विजयवर्गीय  ने

कुछ दिनों से पीथमपुर-कचरा कांड में सभी पक्षों के सम्पर्क में रहे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से वीडी शर्मा ने आग्रह किया था कि वे मीडिया से चर्चा करें,लेकिन उनके इस अनुरोध पर उन्होंने कुछ ना कहने का इशारा करते हुए हाथ जोड़ लिये थे। उनका इस तरह से चुप रहना और हाथ जोड़ना चर्चा का विषय तो बना ही है। धार की विधायक नीना वर्मा की मुख मुद्रा भी अहसास करा रही थीं कि जो कुछ हुआ है,उससे उनकी शायद सहमति नहीं है। गौरतलब है कि खुद विजयवर्गीय पहले ही बयान दे चुके हैं कि पहले कचरा जलाया गया और अब यहां कचरा भेजा जा रहा है इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।

कचरा रवानगी के साथ ही साहब ट्रेनिंग पर

आईएएस स्वतंत्र कुमार सिंह ने कलेक्टर रहते भी खूब काम किये थे। गैस राहत एवं पुनर्वास संचालक रहते भी उनका नाम खूब चला है। यूनियन कार्बाइड कारखाने से कचरे की पीथमपुर रवानगी करने के बाद उन्होंने सरकार को टेंशन से राहत तो दिला दी है। अब कचरा रवाना करने के बाद स्वतंत्र कुमार सिंह एक पखवाड़े की ट्रेनिंग पर प्रशासनिक अकादमी मसूरी जा रहे हैं। वहां से लौटने के बाद ही बहुत संभव है कि सरकार उन्हें अन्य कोई महत्वपूर्ण दायित्व सौंप दे।

मैं काम करता हूं, तुम भी करो

सफाई के मामले में नंबर वन इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने राजस्व अधिकारियों की बैठक में  चेतावनी दे दी है कि इंदौर में रहना है तो काम भी करना पड़ेगा। मैं छुट्टी के दिन भी काम करता हूंए इंदौर को प्रशासनिक सेवा,योजनाओं को समय सीमा में पूर्ण करने के लिये बाकी अमले को भी अपनी जिम्मेदारी समझना ही होगी। काम में लापरवाही बरतने वाले तीन तहसीलदारों का 15-15 दिन का वेतन राजसात करने के निर्देश देकर कलेक्टर ने सख्ती के संकेत भी दे दिए हैं।

महाकाल लोक ने खोले कमाई के रास्ते

महाकाल लोक बनाए जाने के बाद से ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दर्शन-पूजन,भस्मार्ती के लिए श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ ने पंडे-पुजारियों,सुरक्षा कर्मियों के लिए कमाई के रास्ते भी खोल दिये हैं। दूसरी बार प्रशासक बनाए गए गणेश धाकड़ को जिस तरह हटाया गया है,उस घटना से अवैध कमाई करने वालों का पूरा काकस भी उजागर हुआ है।  इस घटना के बाद कलेक्टर ने तुरत-फुरत कार्रवाई भी की है। लोगों का यह पूछना भी स्वाभाविक है कि क्या बस इतने ही दोषी पाए गए थे या कुछ औरों को नजर अंदाज तो नही कर दिया गया है....?